अजमेर

अब इस बात का लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा खामियाजा!

Special Coverage News
25 Jan 2019 3:57 AM GMT
अब इस बात का लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा खामियाजा!
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इससे गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं का ख्याल नहीं रखा गया है। देश में केबल कारोबार से लाखों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

24 जनवरी को अजमेर राजस्थान सहित देश के 11 राज्यों में केबल नेटवर्क पर टीवी चैनलों का प्रसारण नहीं हो सका। केन्द्र की भाजपा सरकार की नीतियों के विरोध में केबल आॅपरेटरों ने हड़ताल रखी। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी हुई जिससे घरों और प्रतिष्ठानों में केबल तकनीक से टीवी पर प्रसारण होता है। अलबत्ता टाटा स्काई, जीओ, आदि के डीटीएच कनेक्शन वालों का प्रसारण जारी रहा।


अजमेर में केबल आॅपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष सोहनलाल शर्मा और सचिव अजय कपूर ने बताया कि ट्राई ने एक फरवरी से जो टेरिफ लागू किया है उससे उपभोक्ताओं को केबल शुल्क ज्यादा देना पड़ेगा। वर्तमान में हम उपभोक्ताओं को मात्र दो सौ रुपए प्रतिमाह में प्रसारण उपलब्ध करवा रहे हैं, जबकि नई नीतियों में फ्री चैनल्स को देखने के लिए भी 154 रुपए की राशि देनी होगी। इसके बाद सोनी, जी, स्टार जैसे चैनल्स का शुल्क भ्ज्ञी देना होगा। सरकार ने बडी डीटीएच कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नीति बनाई है। इससे गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं का ख्याल नहीं रखा गया है। देश में केबल कारोबार से लाखों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। यदि बड़ी कंपनियांें की वजह से केबल कारोबार ठप होता है तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार ने सिनेमा के मुकाबले केबल पर जीएसटी भी ज्यादा निर्धारित किया है। सिनेमा पर मात्र पांच प्रतिशत, जबकि केबल पर 18 प्रतिशत जीएसटी है। एक ओर देश में टीवी का महत्व बढ़ा है, तब सरकार ने टीवी देखने पर शुल्क बढ़ा दिया है।


उन्होंने माना कि 24 जनवरी को प्रसारण बंद होने से उपभोक्ताओं को परेशानी हुई, लेकिन यह लडाई उपभोक्ताओं के लिए ही लड़ी जा रही है। उपभोक्ताओं के मन में भी सरकार की इस नीति के प्रति नाराजगी है। जिसका खामियाजा सरकार को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। जिन उपभोक्ताओं के घरों में टाटा स्काई, जीओ जैसी बड़ी कंपनियों के कनेक्शन है उन्हें पता है कि ये कंपनियां कैसे चल रही है। उपभोक्ताओं को बेवजह चैनलों का शुल्क देना पड़ता है। एचडी चैनलों पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। कंपनियां अपनी मर्जी से शुल्क में वृद्धि कर देती है। एक माह के बजाए तीन माह का शुल्क जबरन वसूला जाता है।

जबकि केबल आॅपरेटर अपने उपभोक्ता की हर परेशानी का ख्याल रखता है। कंपनियां एडवांस शुल्क वसूलती है, जबकि आॅपरेटर एक दो माह तक प्रसारण दिखाने के बाद शुल्क लेता है। कई बार तो कई माह का शुल्क डूब जाती है। सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे उ पभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9251031003 पर सोहन लाल शर्मा तथा 8114425101 पर अजय कपूर से ली जा सकती है।

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