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गहलोत नही है झुकने के मूड में : शैलजा की तरह शिवकुमार भी लौट सकते है बैरंग
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन विधायकों ने संकट के समय उनकी सरकार को बचाने में मदद की है, उनके हितों की रक्षा करना उनका बुनियादी दायित्व है । किसी व्यक्ति की हठधर्मिता और जिद की वजह से वफादर मंत्रियों की बलि वे किसी भी हालत में देने को तैयार नही है ।
गहलोत यह बात अजय माकन, केसी वेणुगोपाल को कह चुके है । इसके अलावा सोनिया गांधी की तरफ से भेजी गई विशेष दूत कुमारी शैलजा को भी गहलोत ने यही बात कही है । कल गहलोत से मिलने आ रहे कांग्रेसी नेता डीके शिवकुमार को भी यही संदेश दिया जाएगा ।
कुमारी शैलजा से हुई बातचीत में भी गहलोत ने इसी बात पर जोर दिया कि वे किसी के दबाव में अपने वफादार साथियो को मंत्रीमंडल से बाहर करने के पक्षधर नही है । जहां तक परफॉर्मेंस की बात है, खराब प्रदर्शन और निष्क्रिय विधायकों को निश्चित रूप से मंत्री पद से हटाया जाएगा ।
गहलोत को मनाने के लिए चार्टर प्लेन से डीके शिवकुमार कल सोनिया गांधी का संदेश लेकर जयपुर आ रहे है । सोनिया गांधी चाहती है कि उनकी विदेश यात्रा से पूर्व राजस्थान का राजनीतिक संकट दूर हो । सोनिया 5 अगस्त को लम्बी यात्रा पर विदेश जा रही है ।
शिवकुमार का मुख्य एजेंडा यही रहेगा कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रही मारधाड़ समाप्त हो । लेकिन यह उधमबाजी समाप्त होगी, इसकी संभावना कम है । तात्कालिक रूप से दोनों के समझौता हो भी जाता है, तब भी शीतयुद्ध सुनिश्चित रूप से जारी रहेगा । एक साल पहले भी गहलोत और सचिन गले मिले थे । दोनों के रिश्ते कैसे है, बताने की आवश्यकता नही है ।
सचिन पायलट गुट मुंह फाड़ रहा है । यह गुट चाहता है कि मंत्रीमंडल और राजनीतिक नियुक्तियों में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिले । पायलट मंत्रीमंडल में 6 और राजनीतिक नियुक्ति में 10 विधायको के लिए जगह मांग रहे है । इसके अलावा संगठन में महत्वपूर्ण पदो की मांग की जा रही है ।
पायलट गुट को गहलोत केवल तीन मंत्री और इतनी ही राजनीतिक देने को सहमत है । जहां तक मंत्री पद का सवाल है, गहलोत पायलट खेमे से एक को कैबिनेट, एक को राज्य मंत्री तथा एक विधायक को उप मंत्री या संसदीय सचिव से ज्यादा पद देने को सहमत नही है ।
खबर मिली है पायलट अपने खेमे के लिए गृह मंत्री का भी पद मांग रहा है और पीसीसी चीफ के पद पर हेमाराम चौधरी को बैठाने का ख्वाहिशमंद है ताकि आगामी चुनावों में पायलट अपने विधायको को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिला सके । इसके अलावा यदि पायलट गुट का कोई व्यक्ति पीसीसी चीफ बनता है तो गहलोत गुट का पूरी तरह सफाया होने से इनकार नही किया जा सकता है ।
पायलट को कांग्रेस कमेटी के महासचिव या किसी प्रदेश जैसे गुजरात अथवा यूपी का प्रभारी बनाने की चर्चा है । लेकिन पायलट राजस्थान में सक्रिय रहना चाहते है । ऐसे में हो सकता है कि उन्हें पुनः पीसीसी चीफ की गद्दी सौंप दी जाए । लेकिन गहलोत न तो पायलट के किसी विधायक को वित्त या गृह मंत्री बनाने पर सहमत नही है और न ही इससे सहमत है कि पायलट खेमें के किसी व्यक्ति को पीसीसी चीफ बनाया जाए ।
पायलट खेमा यह भी चाहता है कि करीब दर्जन भर मंत्रियों को ड्राप कर उनके समर्थित 6 विधायकों को मंत्री तथा तीन जनों को संसदीय सचिव बनाया जाए । पायलट मंत्रीमंडल से रघु शर्मा, हरीश चौधरी, प्रतापसिंह खाचरियावास, परसादीलाल, ममता भूपेश, सुखराम तथा अशोक चांदना की रवानगी चाहते है ।
शैलजा से हुई बातचीत में गहलोत ने स्पस्ट तौर पर कहा बताया कि जिन लोगों ने संकट के समय उनकी सरकार को बचाने में पूरी ईमानदारी दिखाई, अभिभावक होने के नाते उनकी ईमानदारी का मुआवजा देना उनका परम् कर्तव्य है । जब सरकार पायलट के कारण डूबने के कगार पर थी, तब मैंने वादा किया था कि हर विधायक को उसकी वफादारी का इनाम दिया जाएगा ।
गहलोत यह बात आलाकमान को भी पहले अवगत करा चुके है । कल डीके शिवकुमार को भी वही जवाब दिया जाएगा जो शैलजा को दिया गया था । राजस्थान का संकट आजकल में नही निपटा तो यह अदावत आगे खिंच सकती है । ऐसे में मंत्रीमंडल का विस्तार दीपावली या अगले साल तक खिसक जाए तो कोई ताज्जुब नही होना चाहिए । वैसे भी गहलोत ने अपने प्रथम कार्यकाल में चुनाव से करीब 6 महीने पहले राजनीतिक नियुक्तियां की थी । वह इतिहास पुनः दोहराया जा सकता है ।