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अध्यक्ष सीपी जोशी ने दी चेतावनी, आखिर कैसे चलेगा सदन?
17 जनवरी को राजस्थान विधानसभा में राज्यपाल कल्याण सिंह के अभिभाषण के दौरान इतना हंगामा हुआ कि सदन के नेता व सीएम अशोक गहलोत तथा प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया तक आमने सामने हो गए। सवाल उठता है कि ऐसे हालातों में सदन कैसे चलेगा, जबकि 18 जनवरी को तो अभिभाषण पर बहस होनी है। असल में 17 जनवरी को आरएलपी के हनुमान बेनीवाल ने जो आग लगाई, उसमें गहलोत और कटारिया जैसे पुराने और अनुभवी नेता भी झुलस गए।
राज्यपाल ने जैसे ही भाषण देना शुरू किया वैसे ही बेनीवाल ने मूंग खरीद का मुद्दा उठा दिया। बेनीवाल का कहना रहा कि राज्यपाल को कांगे्रस सरकार की बढ़ाई करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि मूंग खरीद बंद कर सरकार ने किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया है। हंगामा बढ़ता देख राज्यपाल के अभिभाषण को पढ़ा हुआ मान लिया गया। राज्यपाल के जाने के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो बेनीवाल ने पिछले भाजपा सरकार पर भी टिप्पणी कर दी।
इस पर नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने बेनीवाल पर कार्यवाही करने की मांग की। कटारिया का कहना रहा कि सदन तभी चलेगा, जब कार्यवाही होगी। भले ही पांच वर्ष तक सदन न चले। इसी दौरान प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने सदन के नेता गहलोत को लेकर भी टिप्पणी की। इस पर गहलोत ने कहा कि सदन को न चलने देने की धमकी देना उचित नहीं है। जब विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने खड़े होकर अपनी बात कह रहे हैं तो विपक्ष को सुनना चाहिए। गहलोत की बात को आगे बढ़ाते हुए अध्यक्ष ने कटारिया से कहा कि आप भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। कटारिया ने कहा कि हंगामा करने और असंसदीय भाषा का उपयोग करने वाले विधायकों को चेतावनी देने से कुछ नहीं होगा। कार्यवाही होगी, तभी समझ आएगी।
कैसे चलेगा सदन?
17 जनवरी को विधानसभा में जो कुछ भी हुआ उसे किसी भी तरह लोकतंत्र के अनुरूप नहीं माना जा सकता। पिछली बार तो 200 में से 163 सदस्य भाजपा के थे और कांग्रेस के मात्र 21 सदस्य। इसलिए सदन में एक तरफा माहौल दरहा, लेकिन इस बार 99 सदस्य कांग्रेस के तथा 73 भाजपा के हैं। दोनों दलों में दिग्गज नेता जीत कर आए हैं। अध्यक्ष की कुर्सी पर सीपी जोशी जैसे नेता बैठे हैं। हनुमान बेनीवाल जैसे विधायक तो चाहेंगे कि भापजा और कांग्रेस के विधायक आपस में उलझ जाएं। 17 जनवरी को भी बेनीवाल ने ऐसा ही किया। जोशी के लिए सदन को चलाना आसान नहीं होगा।
राज्यपाल की अस्वस्थ्यता
17 जनवरी को भी राज्यपाल कल्याण सिंह अस्वस्थ्यता देखने को मिली। दो अधिकारियों ने पकड़ कर विधानसभा की सीढ़ियां राज्यपाल को चढ़ाई। इसी प्रकार लौटते समय भी राज्यपाल को सीढ़ियों से उतारा गया। राज्यपाल को चलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।