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राजस्थान में BJP के लिए संकट खड़ा, हनुमान जी बीजेपी लंका जला देंगे
जगदीप सिंह सिंधु
राजस्थान में लोकसभा चुनाव रोचक होने जा रहा है। पिछली दो बार से कांग्रेस राजस्थान में 25 सीटों पर सूखा झेल रही है। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में 25 सीटों पर जीत हासिल की और 2019 में नागौर को छोड़ कर 24 सीटों पर जीत दर्ज करके राजस्थान की बदलाव की परम्परा को मात दी थी । तीसरी बार लोकसभा चुनाव में भा ज पा के लिए चंदा धंदा मॉडल के खुलासे की परछाइयों के तले बड़ी चुनौतियाँ सामने हैं।
अबकी बार 400 पार के उद्घोष में सराबोर भारतीय जनता पार्टी के पर्ची से निकले मुख्यमंत्री की भी परीक्षा इन लोकसभा चुनावों में होगी। राजस्थान की महारानी को हाशिये पर धकेलने के निरादर को कितना वजन मिलता है ये एक कारक भी भा ज पा को भीतर ही भीतर चुभता रहेगा । हाल ही हुए विधानसभा चुनावों में अंतर्कलह और रस्साकशी के बीच एक अच्छी जीत भा ज पा को प्रदेश में जरूर प्राप्त हुयी है लेकिन मतों के प्रतिशत में कोई बड़ा अंतर रहा हो ये बिंदु भी नाकारा नहीं जा सकता। भा ज पा को 41. 69 % मत प्राप्त हुए तो कांग्रेस को 39. 53 % लेफ्ट को लगभग ! % ब स पा को 1 .82 % र लो पा को 2 . 39 % नोटा को 0 . 96 % अन्य को लगभग 11 % मत प्राप्त हुए थे।
प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी को सुनामी बताने वाले भाजपा के नेताओं का उत्साह चुनावी बांड्स के खुलासे के बाद बड़ा झटका खा गया है। मुकाबला राजस्थान में इस बार कठिन होगा। भा ज पा की चिंताएं पार्टी द्वारा काटी गई टिकटों से उजागर होने लगी हैं। जीत को सुनिश्चित करने की रणनिति के आधार पर प्रत्येक सीट पर समाजिक व् जातीय समीकरण साधने के लिए समाजिक वर्गों के दो दो तीन तीन नेताओं मंत्रियों को जिमीदारियाँ दी गयी हैं। सभी वर्तमान विधयकों व् पूर्व विधायकों को भी क्षेत्र वॉर नियुक्त किया गया है। संघ के कारकर्ताओं को नए संवाद घड़ने में लगा दिया गया है ताकि चुनावी बांड्स के खुलासे के प्रभाव को मतदाताओं तक पहुँचाने से रोका जा सके । राजस्थान में कुल मतदाता 5.26 करोड़ मतदाता हैं।
विधान सभा चुनाव के नतीजों पर अगर नजर डालें तो करीब 9 लोक सभा सीटों पर कांग्रेस की संभावनाएं बन सकती है। गंगानगर , चूरू , झुंझनू , सीकर, जयपुर ग्रामीण , धौलपुर, करोली। बांसवाड़ा उदयपुर कियुँकि अनुसूचित जनजाति की सीट हैं जहाँ आदिवासी पार्टी और कांग्रेस एक समझ के तहत चुनाव में उतरेंगी तो ये सीट भी भा ज पा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
गंगानगर आरक्षित सीट हैं। इसमें 8 विधान सभा सादुल शहर,गंगानगर,करणपुर,सूरतगढ़, रायसिंह नगर,संगरिया,हनुमान गढ़,पीलीबंगा आती हैं।
कांग्रेस के यहां 5 विधायक भा ज पा के 2 और एक निर्दलीय है। कांग्रेस को यहाँ 5 विधान सभा में 5 32 809 वोट 2023 चुनाव में मिले थे भा ज़ पा को 8 विधान सभा में 5 94 818 निर्दलीय को 3 विधानसभा में 1 99 518 .
भा ज पा ने यहाँ अपना प्रत्याशी बदल दिया है। किसान आंदोलन का प्रभाव इस क्षेत्र में है। वर्तनाम में भा ज़ पा की जो प्रत्याशी प्रियंका बैलान हैं वो मूलतय अनूपगढ़ की रहने वाली हैं। अनूपगढ़ बीकानेर लोकसभा में आता है। कांग्रेस ने यहां कुलदीप इंदौरा को प्रत्याशी बनाया है। 2019 के चुनाव में पुलवामा की लहर में निहालचंद मेघवाल को 8 97 177 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के भारत राम मेघवाल को 4 90 199 वोट मिले थे।
चूरू में 8 विधान सभा सीट नोहर,भादरा,सादुलपुर ,तारानगर,सरदारशहर,चूरू,रतन गढ़ सूजन गढ़ हैं। यहाँ कांग्रेस के 5, भा ज़ पा के 2 व् ब स पा के 1 विधायक हैं। 7 विधान सभा में कांग्रेस को 6 61 969 वोट , 6 विधान सभा में भा ज पा को 5 66 856 , 1 विधान सभा में ब स पा को 64 368 , 1 निर्दलीय को 77 250 एवम एक लेफ्ट पार्टी के प्रत्याशी को 1 01 616 वोट मिले।
चूरू की लोक सीट पिछली 5 बार से भा ज पा के खाते में ही रही है। पिछले 2 बार के भा ज पा के सांसद राहुल कस्वां कुछ दिन पहले भा ज पा को अलविदा कह कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे और कांग्रेस ने राहुल कस्वां को यहाँ से प्रत्याशी बनाया है। भा ज पा से देवेंद्र झाझरिया को प्रत्याशी उतारा गया है। 2019 लोकसभा चुनाव में लहर के दौरान भा ज़ पा के राहुल कस्वां को 7 92 999 वोट कांग्रेस के रफ़ीक मंडेलिया को 4 58 557 मत मिले थे।
शेखावाटी इलाके के झुंझुनू लोक सभा के तहत 8 विधानसभा सीट पिलानी सूरज गढ़ झुंझनू नवलगढ़ मंडावा उदयपुरवाटी खेत्री व् फतेहपुर हैं। यहाँ कांग्रेस के 6 व् भा ज पा के 2 विधायक ही हैं। कांग्रेस को 7 विधान सभा में 2023 में 6 29 463 वोट मिले जबकि भा ज पा को 8 विधान सभा में 5 61 978 व ब स प् को एक विधान सभा में 61 483 वोट प्राप्त हुए थे।
1989 में जनता दल की टिकट पर वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ यहाँ से सांसद बने थे। जाट नेता सीस राम ओला यहाँ से 5 बार सांसद रहे। 2014 की मोदी लहार में भा ज पा उमीदवार संतोष अहलावत को यहाँ 4 88 181 वोट मिले थे। 2019 की पुलवामा की लहर में नरेंद्र कुमार को 7 38 163 वोट मिले और कांग्रेस के श्रवण कुमार को लहर के बावजूद भी 4 35 616 वोट मिले थे। कांग्रेस ने बृजेन्द्र सिंह ओला को प्रत्याशी बनाया है जबकि भा ज पा शुभकरण चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जाट बहुल इस सीट पर रोचक मुकाबला किसान आंदोलन व अग्निवीर योजना की पृष्ठभूमि में होना तय है।
शेखावटी के गढ़ सीकर की सीट इंडिया गठबंधन में लेफ्ट पार्टी के लिए छोड़ दी गयी है। विधानसभा क्रमवार लक्ष्मण गढ़,धोद,सीकर,दांता रामगढ,चौमू ,नीम का थाना, खंडेला ,श्री माधोपुर हैं कांग्रेस के 5 विधायक यहाँ 2023 के विधान सभा में विजयी हुए थे भ ज पा के 3 को जीत मिली थी। कांग्रेस ने 7 विधान सभा सीटों में 6 39 720 मत पाए तो भा ज़ पा ने 8 विधान सभा सीटों पर 6,86,571 मत प्राप्त किये थे।
भा ज पा के पिछले दो बार के विजेता स्वामी सुमेधानंद सरस्वती का मुकाबला अबकी बार लेफ्ट विचारधारा की सी पी आई एम के कामरेड अमरा राम से होगा जो की संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्य चेहरों में से एक हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा का यह घर क्षेत्र भी है। किसान संघर्षों की भूमि किस और झुकेगी ये रोचक होगा.-
नागौर सीट कांग्रेस से गठबंधन में रा लो पा के खाते में आयी है। नहर लोक सभा खेत्र में लाडनू डीडवाना जयाल नागौर खिंवसर मकराना परबतसर नावां की 8 विधान सभा आती हैं। यहाँ वर्तमान में 4 कांग्रेस 1 निर्दलीय 2 भा ज पा 1 रा लो पा के खाते में हैं। यहां 2019 में रा लो पा के हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को मात दी थी। अब फिर दोनों आमने सामने होंगे लेकिन ज्योति मिर्धा ने 2023 विधान सभा चुनावों से एन पहले कांग्रेस छोड़ कर भा ज पा का दमन थम लिया था। 2019 में हनुमान बेनीवाल को 6 60 051 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस से ज्योति मिर्धा को 4 78 791 वोट मिले थे। हालाँकि दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं लेकिन नागौर में हनुमान बेनीवाल ने किसानों की हिमायत करने के चलते युवा वर्ग में खासी लोकप्रियता बनाई हुयी है।-
राजस्थान में लोक सभा चुनाव में अबकी बार भा ज पा को ग्रामीण मतदाताओं में खासी मुशक़्क़त करनी पड़ेगी कियुँकि अधिकतर जनसख्या कृषि आधारित वर्ग है। स्थानीय मुद्दों से इतर कौन से रास्ट्रीय मुद्दे यहाँ जगह पाएंगे ये परिणाम ही तय करेंगे।