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राजस्थान में बड़ी तादाद में IAS का तबादला,अखिर जाना ही पड़ा मंजु राजपाल को जेडीए से, सूची पर नजर आती है गहलोत की छाप
यूपी में 9 IAS अधिकारियों के हुए तबादले।
महेश झालानी
जैसा कि मैंने पहले ही लिख दिया था कि मंजु राजपाल की जेडीए से रवानगी तय है । राज्य सरकार ने इनको इस पद से मुक्त कर आनंदी को यहां तैनात कर दिया है । इधर आईएएस की तबादला सूची में अशोक गहलोत की छाप स्पस्ट रूप से नजर आ रही है । गहलोत के कई खासमखास अफसरों को बेहतर और मनचाही पोस्टिंग मिली है । इसके अलावा गहलोत के वक्त लगाए गए कुछ अफसरों को कई साल बाद भी छेड़ा नही गया है ।
मंजु राजपाल की कार्यशैली कई राजनेताओ और सीएमओ में तैनात एक अफसर को पसंद नही आ रही थी । ईमानदारी के लिए विख्यात मंजु राजपाल में जेडीए आयुक्त बनने के बाद दलालो और बिचोलियों का पूरा सफाया कर पूरी प्रक्रिया पारदर्शी करदी थी । यही बात अफसरों और राजनेताओ को चुभने लगी थी । अनन्तः इनको आठ महीने में यहां से रवाना कर सहकारिता विभाग के सचिव पद संभालने के लिए भेज दिया गया है ।
निश्चित रूप से आनंदी एक काबिल अफसर मानी जाती है । जेडीए भ्रस्टाचार का बहुत बड़ा समुंदर है । इस समुंदर को कैसे पार किया जाए, यह उनके लिए बहुत बड़ी चुनोती होगी । जमीन माफिया, दलाल और राजनेता गलत कार्य करवाने के लिए निरन्तर दबाव डालते रहेंगे । ये इस मायाजाल से कैसे बचती है, यह देखना होगा । आनंदी अफसरों या राजनेताओ के दबाव में गलत कार्य को अंजाम देगी, ऐसा कोई सोचता है तो यह गलत है । यह मंजु राजपाल की फोटोकॉपी है ।
उधर टी रविकांत के बजाय वैभव गैलेरिया को यूडीएच का प्रमुख शासन सचिव बनाया गया है । टी रविकांत की छवि ईमानदार अफसरों में शुमार होती है तथा ये यूडीएच में काम भी बेहतर तरीके से कर रहे थे । इनको बदलकर गैलेरिया को लाना रहष्य की बात है । गैलेरिया पहले जेडीसी रह चुके है । उस वक्त ये काफी बदनाम हुए थे । अब इनको यूडीएच की कमान देना अफसरों के गले।नही उतर रहा है । ये जेडीसी के अलावा पीडब्लूडी और मेडिकल एजुकेशन जैसे मलाईदार विभाग में काम कर चुके है ।
शुभ्रा सिंह का मेडिकल विभाग से जाना तय माना जा रहा था । इन पर कई प्रकार के गम्भीर आरोप लग रहे थे । चिकित्सा मंत्री भी इंनकी कार्यशैली को पसंद नही करते थे । वैसे भी ये मुख्य सचिव सुधांश पन्त से वरिष्ठ है, इसलिए इनको सचिवालय में रखना कतई उचित नही था । चर्चा थी कि इन्हें रेवेन्यू बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर अजमेर भेजा जा सकता है । लेकिन इसके बजाय रोडवेज का अध्यक्ष बनाया गया है । रोडवेज की खस्ता को ये ठीक कर पाएगी, इसकी दूर दूर तक कोई संभावना नजर नही आती है ।
तबादला सूची में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) अखिल अरोड़ा,अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) आनंदकुमार और अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) आलोक का नाम नही देखकर अफसरों में हैरानगी है । अरोड़ा और आनंदकुमार अशोक गहलोत के वक्त से अपने पदों पर बरकरार है । इसमें कोई गफलत नही है कि तीनो ही बेहद सुलझे और काबिल अफसर है । अरोड़ा को केवल काम से मतलब रहता है । फालतू की पंचायतबाजी और गुटबाजी से कोई सरोकार नही रखते । कमोबेश यही हाल आनंदकुमार का है । आलोक की कार्यशैली काबिले तारीफ है । एक अफसर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहाकि सरकार के पास इन दोनों का कोई विकल्प है ही नही ।
उधर गहलोत के ओएसडी रहे देवाराम सैनी को उनके इच्छित पद पर नियुक्ति दे दी गई है । ये पहले भी बीकानेर में पदस्तापित थे और अब भी बीकानेर में ही नियुक्ति हुई है । गहलोत के राज में डीआईपीआर रहे पुरुषोत्तम शर्मा, जिनके खिलाफ एसीबी ने पीई दर्ज कर रखी है, को पदोन्नति के बाद रोडवेज का एमडी बनाया गया है । ये गहलोत के विश्वस्त अफसरों में से एक है । गहलोत को रोज सूचना पहुंचाने वालो में यह भी शुमार है । शुभ्रा सिंह की नाक में दम करने के लिए अकेला पुरुषोत्तम शर्मा ही काफी है ।
पूरी सूची को देखने के बाद यही लगता है कि सुधांश पन्त का वीटो पावर काम कर गया है । वैसे कुछ तबादले शिखर अग्रवाल की सिफारिश पर हुए है । अब आईपीएस की तबादला सूची का इंतजार रहेगा जो कभी भी जारी हो सकती है । पुलिस की तबादला सूची में संजय अग्रवाल, अशोक राठौड़, दिनेश एमएन, अजय लाम्बा, बीजू जॉर्ज जोसफ, मालिनी अग्रवाल, भूपेंद्र साहू और गोविंद गुप्ता का नाम देखने को मिल सकता है ।