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कई राज्यों में हार के बाद कर्नाटक में जीत से कांग्रेस में नई ऊर्जा का संचार, अब राजस्थान में कांग्रेस के सियासी तूफान पर आलाकमान हो सकता सख्त!
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस का संग्राम कांग्रेस के पक्ष में रहा जहां ब्लॉग लिखे जाने तक भले ही कांग्रेस और भाजपा को कुल कितनी सीटें मिली उसका अंतिम आंकड़ा सामने नहीं आया हो लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस कर्नाटक में सरकार बनाऐगी। चुनाव परिणाम रुझान के बाद ही भाजपा ने हार मान ली है वहीं कांग्रेस ने भी सत्तारूढ़ होने की कोशिश शुरू कर दी है, जीते हुए और चुनाव लड़े सभी प्रत्याशियों को एक रिसॉर्ट मैं एकत्रित कर दिया गया है।
इतना ही नहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कल 12:30 बजे विधायक दल की बैठक आमंत्रित की गई है जिसमें नेता का चुनाव हो जाएगा। अगर कल बैठक नहीं होती है विधायकों को राजस्थान लाया जा सकता है।समझा जाता है कि 15 मई तक नया सीएम की ताजपोशी हो जाएगी। अगर बात करें संभावित नए सीएम की तो मुख्य रूप से दो नाम सामने आ रहे हैं जिसमें डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया मुख्य दावेदार हैं। डीके शिवकुमार गांधी परिवार के नजदीकी हैं। इसी के साथ तीसरे विकल्प के रूप में खुद एआईसीसी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे का नाम चर्चा में है। अगर बात करें कांग्रेस की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका वाले नेता की तो राहुल गांधी का नाम सर्वोपरि है जिन्होंने अधिकांश समय कर्नाटक में बिताया हालांकि प्रियंका गांधी भी समय-समय पर कर्नाटक आती-जाती रही लेकिन राहुल गांधी कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के लिए मेहनत से जुड़े रहे। भाजपा की तरफ से भी खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 से अधिक जनसभाएं की थी।
चुनाव के दौरान बजरंग दल का मुद्दा भी जीत हार का कारण बनता जा रहा था लेकिन मतदान के बाद एग्जिट पोल में जो रुझान दिए थे वह लगभग सही नजर आए। कर्नाटक मैं कांग्रेस की जीत के बाद अब कांग्रेस को एक बार फिर से कई राज्यों में बुरी तरह हार का सामना करने के बाद नई ताकत का एहसास हुआ है जिसका उपयोग राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी नई ऊर्जा के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी करेगी। लेकिन प्रश्न इस बात का है कि राजस्थान में दो कांग्रेस के दिग्गजों की खींचतान आलाकमान के गले की फांस बनी हुई है। हालात यह है कि जहां अशोक गहलोत अपनी बात पर कायम बने हुए हैं वही सचिन पायलट भी अपनी बात से पीछे हटने को तैयार नहीं है। भले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने दिल्ली में केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा की शिकायत की हो लेकिन आलाकमान भी सचिन पायलट की ताकत को कम नहीं समझता विशेष रूप से युवाओं का पायलट को समर्थन के अलावा लगभग 30 से अधिक सीटों पर गुर्जर वोट भी प्रभावी हो सकते हैं।
आलाकमान को अब कोई तो निर्णय लेना ही पड़ेगा। बात करें उत्तर प्रदेश चुनाव की तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जलवा जारी है जहां उन्होंने अकेले मेयर के चुनाव में 18 में से 17 सीटों पर भाजपा का कब्जा करवा दिया। नगर पंचायतों में भी भाजपा को ही भारी तादाद में जीत मिली है। कांग्रेस तो उत्तर प्रदेश में भाजपा के अलावा सपा व भाजपा के सामने बुरी तरह पिछड़ गई है। केजरीवाल की आम पार्टी ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के माध्यम से यूपी में अपनी एंट्री कर ली है। आम आदमी पार्टी ने कौशाम्बी के नगर पंचायत सरायअकिल के एक वार्ड से प्रत्याशी रोशन लाल को जीत मिली है। रोशन लाल ने नगर पंचायत के वार्ड नंबर 6 से जीत दर्ज की है। साथ ही जालंधर लोक सभा उप चुनाव में भी आप प्रत्याशी विजई हुआ। कुल मिलाकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए ऑक्सीजन का काम करेंगे वहीं भाजपा को भी अब इसी वर्ष में होने वाले अन्य प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में नई रणनीति के साथ मैदान में उतरना पड़ेगा।
रमेश शर्मा