जयपुर

पायलट ने पूरी तरह भट्टी बुझा दी गहलोत की, घमासान अभी दो साल और जारी रहेगा

Shiv Kumar Mishra
23 Dec 2021 9:57 AM IST
पायलट ने पूरी तरह भट्टी बुझा दी गहलोत की, घमासान अभी दो साल और जारी रहेगा
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सचिन पायलट ने सार्वजनिक रूप से एक गीत गाकर जाहिर कर दिया है कि वे राजस्थान में रहकर ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छाती पर मूंग दलते रहेंगे । राजस्थान से बाहर जाने का उनका कोई इरादा नही है । अर्थात 2024 तक प्रदेश में दोनों के बीच जंग जारी रहेगी । इसका सीधा नुकसान मरणासन्न कांग्रेस को होगा ।

गहलोत खेमा यह उम्मीद लगाए बैठा था कि पायलट को संगठन में जिम्मेदारी दिलाकर उन्हें राजस्थान से बाहर बेदखल कर दिया जाएगा ताकि गहलोत स्वच्छंद होकर राज कर सके । लेकिन पायलट ने गहलोत के सभी मंसूबो पर यह गाना गाकर "जीना यहां, मरना यहां । इसके सिवा जाना कहाँ" पानी फेर दिया । एक सार्वजनिक समारोह में इस गाने के माध्यम के जरिये अपनी इच्छा का इजहार कर दिया ।

हकीकत यह है कि आज राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत की "नकारा और निकम्मे" सचिन पायलट के सामने पूरी तरह भट्टी बुझ चुकी है । पायलट की प्रतिष्ठा और लोकप्रियता में दिन प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है जबकि किराए से बुलाने पर गहलोत की सभा मे भीड़ एकत्रित नही हो पा रही है । लगता है 24 आते आते गहलोत का राजनीतिक दीया पूरी तरह बुझ जाएगा । यह कल्पना नही, भविष्य का अक्स है ।

माना कि अशोक गहलोत राजनीति के बहुत बड़े जादूगर थे । लेकिन अब पायलट के मामले में अब वे लगातार मात खा रहे है । साल भर पहले पायलट की दुकान पूरी तरह लुट चुकी थी । लेकिन गहलोत ने उसी लुटी दुकान को अपनी नासमझी की वजह से आबाद कर दिया है । गहलोत के कारण ही पायलट देश भर में हीरों की मानिंद छाए हुए है । फिल्मी हीरों की तरह समूचे देश मे बिना "प्रायोजित कार्यक्रम" के उनका जगह- जगह जोरदार स्वागत हो रहा है । लोग केवल इनकी एक झलक पाने के लिए बावले है ।

आपातकाल के बाद जब देश मे जनता पार्टी की सरकार थी, उस वक्त स्व इंदिरा गांधी गुमनाम जिंदगी व्यतीत करने को विवश थी । चरणसिंह तथा मोरारजी देसाई आदि ने मुकदमे दर्ज कर इंदिरा गांधी को हीरोइन बना दिया । नतीजतन वे फिर से प्रधानमंत्री पद पर काबिज़ होगई । कमोबेश यही हाल सचिन पायलट का है । उनकी जितनी अनदेखी की गई, पायलट उतने बड़े हीरो साबित हो रहे है । बकौल एक खुफिया एजेंसी अफसर के-मोदी के बाद सबसे ज्यादा भीड़ जुटाने की क्षमता पायलट में है ।

राजस्थान और देश के विभिन्न हिस्सों में पायलट का जो स्वागत हो रहा है, वह अभूतपूर्व है । इनके काफिले में सैकड़ो की तादाद में वाहन होते है । सड़क के किनारे हाथ मे माला लिए असंख्य लोग उनकी झलक पाने को बेताब रहते है । अगर स्थिति को अभी से नियंत्रण में नही लिया गया तो यह "नकारा" और "निकम्मा" व्यक्ति गहलोत को हुक्का गुड़गुड़ाने के लायक भी नही छोड़ेगा ।

राजनीतिक नियुक्तियों में अनावश्यक देरी कर पायलट को गहलोत बेवजह हीरों बनाने पर तुले हुए है । पायलट के पास जो कुछ भी लुटाने के लिए था, वह पहले ही लुट चुका है । इसलिए अब वे अनुशासन के दायरे में रहते हुए दौरे के नाम पर अशोक गहलोत की नींद उड़ाने में सक्रिय है । वे उन विधायकों के घर पर भी जा रहे है जो गहलोत के कट्टर समर्थक माने जाते है । राजगढ़ विधायक जौहरी लाल मीणा न तो बहुत बड़े नेता है और न ही उनकी पायलट से नजदीकियां है । मीणा की पत्नी के निधन पर मातमपुरसी की आड़ में पायलट ने अपना जलवा दिखा दिया । इसी प्रकार गहलोत के घर मे जाकर पायलट अपनी ताकत से रूबरू करवा रहे है ।

पहले वे केवल गुर्जरों के ही नेता माने जाते थे । लेकिन अब वे मालियों सहित सभी कौम के नेता बन गए है । गहलोत मंत्रिमंडल के आधे से ज्यादा मंत्री और विधायक चोरी छिपे अक्सर पायलट से मिलते रहते है । ज्यादातर लोगों का मानना है कि 2024 में कमान गहलोत नही, पायलट के हाथ मे रहेगी । इसलिए इनके इर्द-गिर्द जबरदस्त भीड़ रहती है । विधायकों के मिलने का नम्बर कई दिनों बाद आता है । जबकि गहलोत सुबह से ही विधायकों की इंतजार में बैठे रहते है ।

गहलोत को अंततः राजनितीक नियुक्तियां भी करनी ही होगी । विधायक चाहे किसी भी खेमे के हो, उनका सब्र जवाब देने लगा है । निर्दलीय और बसपा के विधायक भी अब संसदीय सचिव तथा राजनीतिक पद हासिल करने के लिए मुखर हो रहे है । फिलहाल संसदीय सचिव की नियुक्तियों का मामला कानूनी पचड़े में फंस चुका है । ऐसे में वे 15 विधायक जो संसदीय सचिव बनने की आस लगाए बैठे थे, घर बैठकर मूंगफली सेंक रहे है । यही हाल फोकट के रायचंदो का है ।

कई विधायक बनने चले थे मंत्री और उनको थमा दिया "सलाहकार" का झुनझुना । और किसी को नही तो कम से कम डॉ जितेंद्र सिंह को तो शर्म आनी चाहिए थी । इतने वरिष्ठ होने के बाद भी मिला क्या ? बाबाजी का ठुल्लू । इससे इनकी इज्जत में बेहद गिरावट आई है । इनकी हालत ऐसी होगई जैसे किसी को बनना था प्रिंसिपल और बना दिया चपरासी ।

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