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राजनीतिक कैरियर का आज आखिरी दिन था, बेहद दुखद, शर्मनाक अंत
मिसकैलकुलेशन, ओवर स्मार्टनेस और मूर्ख चमचों के जमघट ने शिखर के बिल्कुल करीब जा पहुंचे अशोक गहलोत को वापस खींच लिया। और न केवल वापस खींचा बल्कि इस प्रक्रिया में ऐसी खाई में धकेल दिया जहां से उनका निकलना अब असंभव है। बेहद दुखद, शर्मनाक अंत! राजनीतिक कैरियर का आज आखिरी दिन था।
यह एक जादूगर कहे जाने वाले व्यक्ति के बारे में कहा जाए तो यह कहावत बिल्कुल गलत साबित होगी लेकिन यही हुआ। कहते है कि राजनीत मे कब किसका बुरा वक्त आ जाए और कब किसका सितारा चमक जाए कहा नहीं जा सकता है। जादूगर का आज अंतिम दिन था जब कांग्रेस सुप्रीमों से मुलाकात हुई। कहा जा रहा है उन्होंने अपना इस्तीफा उन्हे सौंप दिया है। देखना यह होगा कि आगे क्या कार्यवाही होगी।
सोनिया से माफी मांगी, अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ूंगा
मैं पिछले 50 वर्षों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं…जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया. मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं. पूरे देश में यह संदेश चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब हो रहा है. हमारी परंपरा है कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है. दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं पाया. मैं मुख्यमंत्री हूं और विधायक दल का नेता हूं, यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया. इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा. मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है.
गहलोत ने दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा
खबर मिली है कि अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सोनिया को सौप दिया है । इस्तीफा स्वीकार होगा या नही, सोनिया करेगी फैसला । इस्तीफे में लिखा है कि मैं स्वेच्छा से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देता हूँ । कृपया इसे तुरन्त प्रभाव से स्वीकार करें ।
शिकारी खुद शिकार हो गया
अशोक गहलोत और उनके लोग अजय माकन का शिकार करना चाह रहे थे। उनके पीछे पड़ गए थे। आरोप पर आरोप लगा रहे थे। मगर माकन शांत बने रहे। और गहलोत आज बहुत बेआबरू होकर 10 जनपथ से बाहर निकले।
अशोक गहलोत से पहले जो मुख्यमंत्री अपनी ओवर स्मार्टनेस की वजह से मारा गया वह अजीत जोगी थे। कांग्रेस में कुछ लोग यह समझते हैं कि सोनिया और राहुल कुछ नहीं समझते। इन्हें बहलाया जा सकता है बरगलाया जा सकता है। शराफत को कमजोरी समझते रहे।