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राजस्थान में कांग्रेस को डुबाने पर आमादा है अविनाश पांडे
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महेश झालानी
हर व्यक्ति के एकाध रिश्तेदार अवश्य होते है जो ब्याह शादी के वक्त ठूंसते तो सबसे ज्यादा है ही, इसके अलावा इनकी कोशिश होती है ब्याह बिगड़े कैसे। पूरे समारोह में ऐसे लोग ब्याह बिगाड़ने की जुगत में रहते है। हर चीज में मीन मेख निकालना इनका स्वभाव होता है। कांग्रेस के ऐसे ही एक रिश्तेदार है अविनाश पांडे जो गहलोत के साथ साथ पार्टी का पूरी तरह बाजा बजाने में सक्रिय है। इनकी बेतुकी रणनीति के कारण आज कांग्रेस की जबरदस्त फजीहत हो रही है। पायलट की नाराजगी के लिए भी अविनाश पांडे को दोषमुक्त नही किया जा सकता है।
अविनाश पांडे को आलाकमान ने जयपुर इसलिये भेजा ताकि वह गहलोत सरकार पर आए संकट को दूर कर सके। मगर, अविनाश पांडे आज पार्टी के लिए खुद मुसीबत पैदा कर रहे है। इनकी बेवकूफी और बचकाने बयानों के कारण ही राज्यपाल कलराज मिश्र और ज्यादा भड़क गए है। अगर राज्यपाल को पांडे मानसिक रोगी नही बताते तो विधानसभा का सत्र आहूत करने की निश्चित रूप से कलराज मिश्र परसो दोपहर ही स्वीकृति प्रदान कर देते। पांडे की बचकाना हरकतों के कारण सरकार और राजभवन के बीच जबरदस्त टकराहट बढ़ा । कल अशोक गहलोत को खुद जाकर राज्यपाल को मनाना पड़ा।
राजभवन सूत्रों से पता लगा था कि राज्यपाल ने सदन बुलाने की स्वीकृति देंने का मन बना लिया था। राज्यपाल स्वीकृति प्रदान करते इससे पहले ही अविनाश पांडे ने कई आपत्तिजनक ट्वीट कर राज्यपाल को खुलेआम चुनोती दे दी। वही हुआ, जिसका डर था। राज्यपाल ने फिर से फाइल बैरंग लौटाकर अपनी ताकत का परिचय दे दिया। राज्यपाल का अब जो बिगाड़ना हो, बिगाड़ लो। हालांकि प्रदेश का संवैधानिक मुखिया होने के नाते राज्यपाल का यह आचरण निकृष्ट कोटि का है। उन्हें यह नही भूलना चाहिए कि वे राज्यपाल पहले है और भाजपाई बाद में।
अगर प्रारम्भ से देखा जाए तो प्रभारी महासचिव के नाते अविनाश पांडे ने राजस्थान में चल रहे युद्ध को समाप्त कराने में कोई महत्वपूर्ण भूमिका अदा नही की। बकौल अशोक गहलोत के सचिन और उनके बीच डेढ़ साल से कोई डायलॉग नही था। फिर अविनाश पांडे जयपुर आकर क्या टिंडे ले रहे थे ? उंन्होने दोनों के बीच सुलह क्यों नही करवाई ? यदि सुलह के प्रयास किये तो असफल क्यो हुए ? उंन्होने आलाकमान तक को अंधेरे में रखा। मामला जब हद से आगे बढ़ गया तो आलाकमान को दखल देना पड़ा। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
सचिन, रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह को मंन्त्री पद से हटाना आदि की रणनीति अविनाश पांडे की थी। राजभवन को घेराव, नारेबाजी आदि तमाम घटिया योजनाओं के पीछे अविनाश पांडे का ही हाथ है। इन्ही के कारण सरकार और राजभवन की दूरियां बढ़ी। असंतुष्ट विधायक भी इनको शकुनि मामा बताते है। पहले भी विधयकों ने आरोप लगाया था कि पांडे जयपुर आते है और अटैची लेकर चले जाते है।
कांग्रेस वैसे ही डूब रही है। इसको बचाना है तो अविनाश पांडे जैसे नासमझ लोगो से दूरी बनानी पड़ेगी। ये कांग्रेस को जोड़ने नही, तोड़ने का कार्य कर रहे है। इन पर एक मंन्त्री के साथ व्यवसाय करने का भी आरोप है। राजस्थान के एपिसोड में ये पूरी तरह फ्लॉप साबित हुए है।