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राजस्थान की बड़ी खबर: पायलट की कुंडली मे राहु-केतु हावी, गहलोत नही छोड़ेंगे सीएम की कुर्सी
जितना संस्पेंस और रोमांच एकता कपूर के सीरियल में नही होता, उससे ज्यादा संस्पेंस राजस्थान की राजनीति में पिछले तीन साल से बना हुआ है । कभी लगता था कि अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने वाले है तो अनेक बार ऐसी भी परिस्थितियां बनी जिससे यह अहसास हुआ कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले है । बदली हुई परिस्थितियों में ऐसा प्रतीत होता है कि गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने वाले नही है और बजट तक वे अपनी गाड़ी को संचालित करने में कामयाब रहेंगे ।
मानेसर प्रकरण के बाद हुए समझौते के बाद आलाकमान की ओर से सचिन पायलट को पुख्ता भरोसा दिया गया कि कुछ दिनों बाद उन्हें सीएम के पद पर काबिज कर दिया जाएगा । आलाकमान के भरोसे पायलट तीन साल तक चुप्पी साधे रहे । पिछले दिनों प्रधानमंत्री की भानगढ़ यात्रा के बाद सचिन ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए गुलाम नबी की आड़ में अशोक गहलोत पर हमला बोला और साथ मे उन्होंने अनुशासनहीनता करने वाले शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ पर कार्रवाई की मांग की ।
हकीकत यह है कि सचिन पायलट की कुंडली मे दुष्ट ग्रह पैठ जमाए हुए है । कोई शांत ग्रह उनको सीएम बनाने का रास्ता प्रशस्त करता है तो राहु और केतु मार्ग में अवरोध पैदा कर देते है । सितम्बर की 25 तारीख को शांत ग्रह की सक्रियता से पायलट का सीएम बनने के रास्ते खुल गए थे । लेकिन राहु-केतु ने ऐसा उधम मचाया कि सीएम की कुर्सी फिर से खिसक गई । दिल्ली से आए पर्यवेक्षको को बैरंग लौटना पड़ा ।
राजनीतिक हलकों में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निपटने के बाद शायद पायलट की राह के कांटे हट जाए । लेकिन अध्यक्ष का चुनाव भी सम्पन्न होगया और मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष बन भी गए, लेकिन पायलट का पीछा राहु-केतु ने अभी तक नही छोड़ा है । वही खड़गे है जो पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर आए थे । पायलट को पूरी उम्मीद थी कि अपनी बेइज्जती का खड़गे जल्दी ही बदला लेंगे । लेकिन यह कांग्रेस है । इस पार्टी में त्वरित और सही फैसले बहुत कम होते है ।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बयान दिया था कि दो दिन के भीतर राजस्थान का मामला निपटा दिया जाएगा । काफी वक्त बीत चुका है वेणुगोपाल के बयान को । लेकिन मामला आज भी लंबित है । प्रदेश की जनता, कांग्रेस पार्टी और अन्य राजनीतिक दल रहस्य और रोमांच से भरपूर राजस्थान के एपिसोड को चटखारे लेकर देख रही है । वे लोग अवश्य चिंतित है जो गहलोत और पायलट के समर्थक है । यदि गहलोत बरकरार रहते है तो पायलट समर्थकों का बाजा बजना तय है । अगरचे पायलट का पलड़ा भारी होगया तो गहलोत के खास सिपहसालारों का भविष्य अंधकारमय है ।
जिस तरह एकता कपूर अपने सीरियल में कभी सास को मरवा देती थी तो कभी पति को । कुछ एपिसोड के बाद मरा हुआ पति जिंदा कर दिया जाता था । कमोबेश यही सबकुछ राजस्थान की कांग्रेस में चल रहा है । आचार्य प्रमोद कृष्णम यह कह कर कइयों की धड़कन बढ़ाकर चले जाते है कि राजस्थान में शीघ्र नया सवेरा होने वाला है । वेणुगोपाल आदेश जारी करते है कि कोई भी नेता या कार्यकर्ता अनर्गल बयानबाजी नही करें । लेकिन राजस्थान में बयानबाजी करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है ।
दिल्ली से जिस प्रकार के संकेत मिल रहे है उससे यही जाहिर होता है कि बजट पास किये बिना गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने वाले नही है । हारी हुई बाजी को जीतने में गहलोत सिद्धहस्त माने जाते है । जिस तरह उन्होंने राहुल गांधी और खड़गे को वशीकृत किया है, उससे जाहिर होता है कि दिसम्बर तक उनकी कुर्सी को कोई खतरा नही है । खड़गे या गांधी परिवार भी गुजरात के चुनाव के मद्देनजर किसी तरह के बदलाव की जोखिम उठाना नही चाहेगा ।
उधर पायलट को भी सीएम के पद का मोह त्याग देना चाहिए । क्योंकि राहु और केतु उन पर जबरदस्त रूप से हावी है । अगर एक साल के लिए सीएम बन भी जाते है तो इस बात की कोई गारंटी नही है कि वे कांग्रेस को वापिस सत्ता पर काबिज कराने में कामयाब हो जाए । ऐसे में सारी बुराई का ठीकरा उनके सर पर ऐसा फूटेगा कि पूरा राजनीतिक कैरियर हमेशा के लिए ध्वस्त होकर रह जाएगा । समय को देखते हुए आत्मघाती कदम वापिस खींचना ही श्रेयस्कर होगा ।