जयपुर

भाजपा ने पायलट से बनाई दूरी

महेश झालानी
13 July 2020 5:18 AM GMT
भाजपा ने पायलट से बनाई दूरी
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अपेक्षित संख्या में एकत्रित नही हुए विधायक

पुख्ता खबर मिली है कि अशोक गहलोत की सरकार से खतरा टल गया है और सचिन पायलट ने फिलहाल भाजपा में जाना निरस्त कर दिया है । ऐसी चर्चा है कि आलाकमान द्वारा पायलट को मना लिया गया है । पायलट ने भले ही अशोक गहलोत की नींद उड़ा दी हो, लेकिन वे विधायको की वांछित संख्या एकत्रित कर पाने में असफल रहे है ।

उधर भाजपा नेताओं ने पायलट को कल ही स्पस्ट कर दिया था कि जब तक वे लगभग 30 विधायको का बंदोबस्त नही कर पाते है, तब तक पार्टी उनका साथ नही देगी । ज्योतिरादित्य सिंधिया पायलट का ब्रेन वाश कर भाजपा में लाने की पूरी तैयारी कर चुके है । लेकिन एक निकटतम मित्र की सलाह पर पायलट ने भाजपा में जाने का फिलहाल मानस बदल लिया है ।

मित्र का कहना है कि भाजपा में जाने के बाद आखिर हासिल क्या होगा ? मुख्यमंन्त्री की कुर्सी मिलने से रही । ज्यादा से भाजपा में जाने पर उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है । यह पद पहले से ही पायलट के पास है । फिर भाजपा की झूठन चाटने का फायदा क्या ?

वैसे तो मुख्यमंन्त्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के प्रारम्भ से ही जंग छिड़ी हुई है । कुछ अन्य मामलों को लेकर भी दोनों के बीवः मतभेद है । लेकिन गहलोत द्वारा एसओजी से धारा 124 ए में नोटिस दिलवाने के बाद पायलट के सब्र का पैमाना छलक पड़ा । इस धारा में उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान है । अगर यह नोटिस जारी नही होता तो आज कांग्रेस की स्थिति इतनी खराब नही होती ।

पहले एसओजी द्वारा पायलट सहित पांच लोगों को नोटिस जारी किया गया । लेकिन जब पायलट की नाराजगी सामने आई तो आनन फानन में एसओजी ने मुख्यमंन्त्री सहित चीफ व्हिप, निर्दलीय विधायक आदि को नोटिस जारी किया गया । गहलोत को जब अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्हें सफाई देनी पड़ी कि कानून से ऊपर कोई नही है । मुझे भी एसओजी की ओर से नोटिस मिला है जिसका समय मिलने पर मैं जवाब दूंगा ।

ज्ञात हुआ है कि आलाकमान ने भी एसओजी द्वारा जारी इस नोटिस पर अपना रोष जाहिर किया है । बहरहाल ! खबर मिली है कि अविनाश पांडे आज कभी भी प्रेस कर सकते है जिसमे कहा जायेगा कि गहलोत और पायलट के बीच किसी प्रकार की कोई टकराहट नही है । कुछ गलतफहमी थी, जो दूर करली गई है । जहां तक मंत्रिमंडल विस्तार और पीसीसी चीफ को बदलने का सवाल है, इस पर आलाकमान से बातचीत कर निर्णय लिया जाएगा ।

यदि मामला किसी तरह नही निपटता है तो वसुंन्धरा को आगे कर गहलोत पायलट का सारा खेल बिगाड़ सकते है । वसुंधरा द्वारा मुख्यमंन्त्री पद की दावेदारी ठोक कर गजेन्द्रसिंह के मंसूबो पर पानी फेरा जा सकता है । गहलोत की सरकार गिरे या बचे, अलवर के चार-पांच विधायको की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी ।

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