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भाजपा का चुनावी मिशन, शीर्ष नेताओं की मुलाकात से हलचल बढ़ी! संगठन और सरकार में बदलाव की अटकलों का बाजार गर्म!
रमेश शर्मा
कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद भाजपा अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी मिशन मोड़ पर आ गई है। भले ही लोक सभा के चुनाव अगले वर्ष के मध्य तक होंगे लेकिन इस वर्ष के अंत से पहले होने वाले कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव की परीक्षा के रूप में मानकर भाजपा गंभीरता से विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए गंभीर और तत्पर दिखाई पड़ रही है। इसी को लेकर पिछले 36 घंटों में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की दो बैठकों का दौर हो चुका है जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता बी संतोष सहित कुछ और नेता भी शामिल रहे।
भाजपा के दिग्गज नेताओं की बैठकों के दौर के बाद अब कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं जिसमें प्रमुख रुप से चर्चा है कि संगठन और सरकार में कुछ बदलाव किया जा सकता है। मसलन संगठन के कुछ नेताओं को सरकार में और सरकार में शामिल कुछ नेताओं को संगठन में लाया जा सकता है। इसी के साथ कुछ प्रदेशों में भी संगठन में फेरबदल किया जा सकता है।
भाजपा का मानना यह है कि हाल ही पिछले वर्ष और इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से कांग्रेस ने लोक लुभावनी लोक प्रिय योजनाओं के सहारे हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में मतदाताओं को अपनी ओर खींचा है, उससे 2024 में पार्टी के सामने कई राज्यों में बड़ी चुनौती मिल सकती है। इसे देखते हुए पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है और इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि राजस्थान में दी कांग्रेस ने सचिन पायलट और गहलोत के सियासी संकट से ज्यादा चुनाव में राजस्थान सरकार की योजनाओं को विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है। यह बताने की जरूरत नहीं की खुद मुख्यमंत्री गहलोत महंगाई राहत शिविरों में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए आम जनों से रूबरू होने का अभियान चलाए हुए हैं।
कुल मिलाकर केवल कांग्रेसी ही नहीं बल्कि भाजपा भी समझ गई है कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई कल्याणकारी योजनाएं विधानसभा चुनाव मैं जीत के लिए बहुत बड़ा योगदान कर सकती है और चुनाव जीतने के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है। देखने वाली बात होगी भाजपा के शीर्ष नेताओं में जो मंथन हुआ है वह सार्वजनिक रूप से किस प्रकार का संदेश लेकर सामने आता है।