जयपुर

लोकसभा चुनाव में राजस्थान में टूट जाएगा बीजेपी का घमंड

Shiv Kumar Mishra
27 March 2024 2:42 PM IST
लोकसभा चुनाव में राजस्थान में टूट जाएगा बीजेपी का घमंड
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BJP's pride will be broken in Rajasthan in Lok Sabha elections

राजस्थान में लोकसभा चुनाव रोचक होने जा रहा है। पिछली दो बार से कांग्रेस राजस्थान में 25 सीटों पर सूखा झेल रही है। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में 25 सीटों पर जीत हासिल की और 2019 में नागौर को छोड़ कर 24 सीटों पर जीत दर्ज करके राजस्थान की बदलाव की परम्परा को मात दी थी । तीसरी बार लोकसभा चुनाव में भा ज पा के लिए चंदा धंदा मॉडल के खुलासे की परछाइयों के तले बड़ी चुनौतियाँ सामने हैं।

अबकी बार 400 पार के उद्घोष में सराबोर भारतीय जनता पार्टी के पर्ची से निकले मुख्यमंत्री की भी परीक्षा इन लोकसभा चुनावों में होगी। राजस्थान की महारानी को हाशिये पर धकेलने के निरादर को कितना वजन मिलता है ये एक कारक भी भा ज पा को भीतर ही भीतर चुभता रहेगा । हाल ही हुए विधानसभा चुनावों में अंतर्कलह और रस्साकशी के बीच एक अच्छी जीत भा ज पा को प्रदेश में जरूर प्राप्त हुयी है लेकिन मतों के प्रतिशत में कोई बड़ा अंतर रहा हो ये बिंदु भी नाकारा नहीं जा सकता। भा ज पा को 41. 69 % मत प्राप्त हुए तो कांग्रेस को 39. 53 % लेफ्ट को लगभग ! % ब स पा को 1 .82 % र लो पा को 2 . 39 % नोटा को 0 . 96 % अन्य को लगभग 11 % मत प्राप्त हुए थे।

प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी को सुनामी बताने वाले भाजपा के नेताओं का उत्साह चुनावी बांड्स के खुलासे के बाद बड़ा झटका खा गया है। मुकाबला राजस्थान में इस बार कठिन होगा। भा ज पा की चिंताएं पार्टी द्वारा काटी गई टिकटों से उजागर होने लगी हैं। जीत को सुनिश्चित करने की रणनिति के आधार पर प्रत्येक सीट पर समाजिक व् जातीय समीकरण साधने के लिए समाजिक वर्गों के दो दो तीन तीन नेताओं मंत्रियों को जिमीदारियाँ दी गयी हैं। सभी वर्तमान विधयकों व् पूर्व विधायकों को भी क्षेत्र वॉर नियुक्त किया गया है। संघ के कारकर्ताओं को नए संवाद घड़ने में लगा दिया गया है ताकि चुनावी बांड्स के खुलासे के प्रभाव को मतदाताओं तक पहुँचाने से रोका जा सके । राजस्थान में कुल मतदाता 5.26 करोड़ मतदाता हैं।

विधान सभा चुनाव के नतीजों पर अगर नजर डालें तो करीब 9 लोक सभा सीटों पर कांग्रेस की संभावनाएं बन सकती है। गंगानगर , चूरू , झुंझनू , सीकर, जयपुर ग्रामीण , धौलपुर, करोली। बांसवाड़ा उदयपुर कियुँकि अनुसूचित जनजाति की सीट हैं जहाँ आदिवासी पार्टी और कांग्रेस एक समझ के तहत चुनाव में उतरेंगी तो ये सीट भी भा ज पा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।

गंगानगर आरक्षित सीट हैं। इसमें 8 विधान सभा सादुल शहर,गंगानगर,करणपुर,सूरतगढ़, रायसिंह नगर,संगरिया,हनुमान गढ़,पीलीबंगा आती हैं।

कांग्रेस के यहां 5 विधायक भा ज पा के 2 और एक निर्दलीय है। कांग्रेस को यहाँ 5 विधान सभा में 5 32 809 वोट 2023 चुनाव में मिले थे भा ज़ पा को 8 विधान सभा में 5 94 818 निर्दलीय को 3 विधानसभा में 1 99 518 .

भा ज पा ने यहाँ अपना प्रत्याशी बदल दिया है। किसान आंदोलन का प्रभाव इस क्षेत्र में है। वर्तनाम में भा ज़ पा की जो प्रत्याशी प्रियंका बैलान हैं वो मूलतय अनूपगढ़ की रहने वाली हैं। अनूपगढ़ बीकानेर लोकसभा में आता है। कांग्रेस ने यहां कुलदीप इंदौरा को प्रत्याशी बनाया है। 2019 के चुनाव में पुलवामा की लहर में निहालचंद मेघवाल को 8 97 177 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के भारत राम मेघवाल को 4 90 199 वोट मिले थे।

चूरू में 8 विधान सभा सीट नोहर,भादरा,सादुलपुर ,तारानगर,सरदारशहर,चूरू,रतन गढ़ सूजन गढ़ हैं। यहाँ कांग्रेस के 5, भा ज़ पा के 2 व् ब स पा के 1 विधायक हैं। 7 विधान सभा में कांग्रेस को 6 61 969 वोट , 6 विधान सभा में भा ज पा को 5 66 856 , 1 विधान सभा में ब स पा को 64 368 , 1 निर्दलीय को 77 250 एवम एक लेफ्ट पार्टी के प्रत्याशी को 1 01 616 वोट मिले।

चूरू की लोक सीट पिछली 5 बार से भा ज पा के खाते में ही रही है। पिछले 2 बार के भा ज पा के सांसद राहुल कस्वां कुछ दिन पहले भा ज पा को अलविदा कह कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे और कांग्रेस ने राहुल कस्वां को यहाँ से प्रत्याशी बनाया है। भा ज पा से देवेंद्र झाझरिया को प्रत्याशी उतारा गया है। 2019 लोकसभा चुनाव में लहर के दौरान भा ज़ पा के राहुल कस्वां को 7 92 999 वोट कांग्रेस के रफ़ीक मंडेलिया को 4 58 557 मत मिले थे।

शेखावाटी इलाके के झुंझुनू लोक सभा के तहत 8 विधानसभा सीट पिलानी सूरज गढ़ झुंझनू नवलगढ़ मंडावा उदयपुरवाटी खेत्री व् फतेहपुर हैं। यहाँ कांग्रेस के 6 व् भा ज पा के 2 विधायक ही हैं। कांग्रेस को 7 विधान सभा में 2023 में 6 29 463 वोट मिले जबकि भा ज पा को 8 विधान सभा में 5 61 978 व ब स प् को एक विधान सभा में 61 483 वोट प्राप्त हुए थे।

1989 में जनता दल की टिकट पर वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ यहाँ से सांसद बने थे। जाट नेता सीस राम ओला यहाँ से 5 बार सांसद रहे। 2014 की मोदी लहार में भा ज पा उमीदवार संतोष अहलावत को यहाँ 4 88 181 वोट मिले थे। 2019 की पुलवामा की लहर में नरेंद्र कुमार को 7 38 163 वोट मिले और कांग्रेस के श्रवण कुमार को लहर के बावजूद भी 4 35 616 वोट मिले थे। कांग्रेस ने बृजेन्द्र सिंह ओला को प्रत्याशी बनाया है जबकि भा ज पा शुभकरण चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जाट बहुल इस सीट पर रोचक मुकाबला किसान आंदोलन व अग्निवीर योजना की पृष्ठभूमि में होना तय है।

शेखावटी के गढ़ सीकर की सीट इंडिया गठबंधन में लेफ्ट पार्टी के लिए छोड़ दी गयी है। विधानसभा क्रमवार लक्ष्मण गढ़,धोद,सीकर,दांता रामगढ,चौमू ,नीम का थाना, खंडेला ,श्री माधोपुर हैं कांग्रेस के 5 विधायक यहाँ 2023 के विधान सभा में विजयी हुए थे भ ज पा के 3 को जीत मिली थी। कांग्रेस ने 7 विधान सभा सीटों में 6 39 720 मत पाए तो भा ज़ पा ने 8 विधान सभा सीटों पर 6,86,571 मत प्राप्त किये थे।

भा ज पा के पिछले दो बार के विजेता स्वामी सुमेधानंद सरस्वती का मुकाबला अबकी बार लेफ्ट विचारधारा की सी पी आई एम के कामरेड अमरा राम से होगा जो की संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्य चेहरों में से एक हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा का यह घर क्षेत्र भी है। किसान संघर्षों की भूमि किस और झुकेगी ये रोचक होगा.


नागौर सीट कांग्रेस से गठबंधन में रा लो पा के खाते में आयी है। नहर लोक सभा खेत्र में लाडनू डीडवाना जयाल नागौर खिंवसर मकराना परबतसर नावां की 8 विधान सभा आती हैं। यहाँ वर्तमान में 4 कांग्रेस 1 निर्दलीय 2 भा ज पा 1 रा लो पा के खाते में हैं। यहां 2019 में रा लो पा के हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को मात दी थी। अब फिर दोनों आमने सामने होंगे लेकिन ज्योति मिर्धा ने 2023 विधान सभा चुनावों से एन पहले कांग्रेस छोड़ कर भा ज पा का दमन थम लिया था। 2019 में हनुमान बेनीवाल को 6 60 051 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस से ज्योति मिर्धा को 4 78 791 वोट मिले थे। हालाँकि दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं लेकिन नागौर में हनुमान बेनीवाल ने किसानों की हिमायत करने के चलते युवा वर्ग में खासी लोकप्रियता बनाई हुयी है।

राजस्थान में लोक सभा चुनाव में अबकी बार भा ज पा को ग्रामीण मतदाताओं में खासी मुशक़्क़त करनी पड़ेगी कियुँकि अधिकतर जनसख्या कृषि आधारित वर्ग है। स्थानीय मुद्दों से इतर कौन से रास्ट्रीय मुद्दे यहाँ जगह पाएंगे ये परिणाम ही तय करेंगे।

जानिए पूरे प्रदेश की लोकसभा सीटों की भौगोलिक स्तिथि

4.84 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ, राजस्थान चुनावी दृष्टिकोण से राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य है।

वर्तमान में, भाजपा राज्य के सभी 25 संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है, भगवा पार्टी आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों में एक लकीर बरकरार रखना चाहेगी। राज्य में सात चरण के आम चुनाव के चौथे और पांचवें चरण में 29 अप्रैल (13 निर्वाचन क्षेत्र) और 6 मई (12 निर्वाचन क्षेत्र) को मतदान होना है।

राज्य में 200 विधानसभा क्षेत्र हैं। राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनावों में, सत्ता विरोधी लहर ने कांग्रेस को 100 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उखाड़ फेंकने में मदद की। भगवा पार्टी ने 73 सीटें जीतीं, बहुजन समाज पार्टी ने छह सीटें जीतीं, निर्दलीय ने 13 सीटें जीतीं, जबकि शेष आठ सीटें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी), राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), सीपीएम और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने जीतीं।

जबकि राज्य में मुख्य दावेदार भाजपा और कांग्रेस हैं, बीटीपी और बीएसपी जैसी छोटी पार्टियां केवल खेल बिगाड़ सकती हैं और राज्य के कुछ हिस्सों में सेंध लगा सकती हैं। राज्य में चुनाव परिणाम निर्धारित करने में जाति भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह देखने वाली बात होगी कि विधानसभा चुनाव की सत्ता विरोधी लहर का राज्य में लोकसभा चुनाव पर असर पड़ेगा या नहीं।

किसान संकट, बेरोजगारी और अन्य कल्याणकारी योजनाएं राज्य की समस्याओं में से कुछ प्रमुख मुद्दे हैं।

यहां राजस्थान के सभी 25 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर एक विस्तृत नज़र है:

1. गंगानगर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 1

कुल मतदाता: 17,18,421 (2014 के अनुमान के अनुसार)

महिला मतदाता: 8,08,672

पुरुष मतदाता: 9,09,749

आरक्षित: हाँ. अनुसूचित जाति के लिए.

सीमांकित: हाँ. 2008 में भादरा और नोहर विधानसभा क्षेत्रों को इस निर्वाचन क्षेत्र से हटा दिया गया था। रायसिंहनगर, सूरतगढ़ और पीलीबंगा विधानसभा क्षेत्रों को बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया था।

विधानसभा क्षेत्र: सादुलशहर, गंगानगर, करणपुर, सूरतगढ़, रायसिंहनगर (एससी), संगरिया, हनुमानगढ़, पीलीबंगा (एससी)।

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: बीजेपी का गढ़ रही इस सीट पर निहाल चंद ने 1999 और 2004 में जीत हासिल की थी. 2009 में वह कांग्रेस नेता भरत राम मेघवाल से हार गए थे. हालाँकि, चंद ने 2014 में फिर से सीट जीती और इस निर्वाचन क्षेत्र से चार बार सांसद हैं।

जनसांख्यिकी: यह गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र को 'राजस्थान का पंजाब' भी कहा जाता है क्योंकि यहां मुख्य रूप से पंजाबी हिंदू और सिख रहते हैं। यहां मेघवाल मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. जाट, सोनी, ब्राह्मण, कुम्हार और अग्रवाल भी मतदाताओं का हिस्सा हैं।

2. बीकानेर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 2

कुल मतदाता: 15,91,068

महिला मतदाता: 7,44,004

पुरुष मतदाता: 8,47,064

आरक्षित: हाँ. अनुसूचित जाति के लिए.

सीमांकित: हाँ. 2008 में रायसिंहनगर, सूरतगढ़ और पीलीबंगा विधानसभा क्षेत्रों को इस निर्वाचन क्षेत्र से हटा दिया गया था। खाजूवाला और अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्रों को परिसीमन के बाद बनाया गया था। बीकानेर विधानसभा क्षेत्र को दो भागों में विभाजित किया गया - बीकानेर पश्चिम और बीकानेर पूर्व।

विधानसभा क्षेत्र: अनूपगढ़ (एससी), खाजूवाला (एससी), बीकानेर पश्चिम, बीकानेर पूर्व, कोलायत, लूणकरणसर, डूंगरगढ़, नोखा

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: 1999 में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रामेश्वर लाल डूडी ने जीत हासिल की. हालाँकि, 2004 में अगले आम चुनाव में वह भाजपा के धर्मेंद्र से हार गए। 2009 से, भाजपा नेता अर्जुन राम मेघवाल इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

जनसांख्यिकी: इसमें संपूर्ण झुंझुनूं जिला और सीकर जिले का एक हिस्सा शामिल है। शेखावाटी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में मतदाताओं पर जाटों का दबदबा है। इस निर्वाचन क्षेत्र में मुसलमानों और राजपूतों की भी अच्छी खासी मौजूदगी है।

3. चूरू लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 3

कुल मतदाता: 17,53,825

महिला मतदाता: 8,25,785

पुरुष मतदाता: 9,28,040

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. भादरा और नोहर विधानसभा क्षेत्रों को 2008 में गंगानगर लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया था। डूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र को बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था।

विधानसभा क्षेत्र: नोहर, भादरा, सादुलपुर, तारानगर, सरदारशहर, चूरू, रतनगढ़, सुजानगढ़ (एससी)

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: यह बीजेपी का गढ़ है. पार्टी नेता राम सिंह कस्वां ने 1999 से 2014 तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2014 में, उनके बेटे राहुल कस्वां ने बसपा के अभिनेष महर्षि को हराकर सीट जीती।

जनसांख्यिकी: इसमें संपूर्ण चूरू जिला और हनुमानगढ़ जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में 3.5 लाख से अधिक जाट मतदाता हैं और 1984 के आम चुनाव को छोड़कर सभी ने लोकसभा में एक जाट को अपना प्रतिनिधि चुना है।

4. झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 4

कुल मतदाता: 16,96,788

महिला मतदाता: 8,03,434

पुरुष मतदाता: 8,93,354

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. उदयपुरवाटी विधानसभा खंड 2008 में बनाया गया था।

विधानसभा क्षेत्र: पिलानी (एससी), सूरजगढ़, झुंझुनू, मंडावा, नवलगढ़, उदयपुरवाटी, खेतड़ी, फतेहपुर

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: कांग्रेस नेता सीस राम ओला 1999 से 2013 तक सांसद थे जब उनका निधन हो गया। 2014 में बीजेपी नेता संतोष अहलावत ने कांग्रेस नेता राजबाला ओला को हराकर यह सीट जीती थी.

जनसांख्यिकी: इसमें संपूर्ण झुंझुनूं जिला और सीकर जिले का एक हिस्सा शामिल है। शेखावाटी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में मतदाताओं पर जाटों का दबदबा है। इस निर्वाचन क्षेत्र में मुसलमानों और राजपूतों की भी अच्छी खासी मौजूदगी है।

5. सीकर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 5

कुल मतदाता: 17,70,424

महिला मतदाता: 8,26,193

पुरुष मतदाता: 9,44,231

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: नहीं

विधानसभा क्षेत्र: लक्ष्मणगढ़, धोद (एससी), सीकर, दांता रामगढ़, खंडेला, नीम का थाना, श्रीमाधोपुर, चोमू

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: बीजेपी नेता सुभाष महरिया ने 1999 और 2004 में यह सीट जीती थी. 2009 में कांग्रेस नेता महादेव सिंह खंडेला ने महरिया को हराकर यह सीट जीती थी. 2014 में भाजपा नेता सुमेधानंद सरस्वती ने उनकी जगह ली।

जनसांख्यिकी: इसमें लगभग पूरा सीकर जिला और जयपुर जिले का एक हिस्सा शामिल है। शेखावाटी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में भी जाटों की मजबूत उपस्थिति है। इस बार पूर्व विधायक अमरा राम को मैदान में उतारकर सीपीएम की इस क्षेत्र में एंट्री भी कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है. क्षेत्र के किसान भी खुश नहीं हैं, जिससे चुनावी संतुलन बिगड़ सकता है।

6. जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 6

कुल मतदाता: 16,99,462

महिला मतदाता: 7,93,187

पुरुष मतदाता: 9,06,275

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. इसे 2008 में बनाया गया था.

विधानसभा क्षेत्र: कोटपूतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा, झोटवाड़ा, आमेर, जामवा रामगढ़ (एसटी), बानसूर

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: 2009 में कांग्रेस नेता लालचंद कटारिया ने चुनाव जीता था। हालांकि, बीजेपी नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ 2014 से इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

जनसांख्यिकी: यह जयपुर जिले के कुछ हिस्सों और अलवर जिले के एक हिस्से में फैला हुआ है। जयपुर ग्रामीण में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा जाट, राजपूत और अनुसूचित जातियां हैं।

7. जयपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 7

कुल मतदाता: 19,57,818

महिला मतदाता: 9,10,350

पुरुष मतदाता: 10,47,468

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. जयपुर ग्रामीण को एक अलग संसदीय क्षेत्र बनाया गया। जौहरीबाजार, बानी पार्क और फाकी विधानसभा क्षेत्रों को 2008 में भंग कर दिया गया था। विद्याधर नगर, सिविल लाइन, मालवीय नगर, बगरू और आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्रों को 2008 में नवगठित किया गया था।

विधानसभा क्षेत्र: हवा महल, विद्याधर नगर, सिविल लाइंस, किशन पोल, आदर्श नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बगरू (एससी)

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: कांग्रेस नेता महेश जोशी ने 2009 में सीट जीती लेकिन अगले आम चुनाव में बीजेपी के रामचरण बोहरा से हार गए।

जनसांख्यिकी: यह जयपुर जिले के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। ब्राह्मण और राजपूत प्रमुख जाति समुदाय हैं जो इस निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी भाग्य का फैसला करते हैं।

8. अलवर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 8

कुल मतदाता: 16,28,067

महिला मतदाता: 7,56,728

पुरुष मतदाता: 8,71,339

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. थानागाज़ी विधानसभा क्षेत्र को 2008 में दौसा लोकसभा क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था। अलवर ग्रामीण और अलवर शहरी को परिसीमन के बाद बनाया गया था। खैरथल विधानसभा क्षेत्र भंग कर दिया गया। रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र को भरतपुर लोकसभा सीट से स्थानांतरित कर दिया गया। राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ खंड 2008 में बनाया गया था।

विधानसभा क्षेत्र: तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, बहरोड़, अलवर ग्रामीण (एससी), अलवर शहरी, रामगढ़, राजगढ़ - लक्ष्मणगढ़ (एसटी)

पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: भाजपा नेता जसवन्त सिंह यादव ने 1999 में सीट जीती। 2004 में, कांग्रेस नेता करण सिंह यादव ने सीट जीती और 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार जीतेन्द्र सिंह ने उनकी जगह ली। हालांकि, जीतेन्द्र भाजपा नेता चांद नाथ से हार गए। 2014 में।

जनसांख्यिकी: यह अलवर जिले के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। अलवर में यादव एक प्रमुख जाति समुदाय है। वे निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 4 प्रतिशत मतदाता हैं। यह लगभग 3 लाख मेव मुसलमानों का घर भी है। यह वह निर्वाचन क्षेत्र भी है जहां पहलू खान की हत्या हुई थी।

9. भरतपुर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 9

कुल मतदाता: 16,86,897

महिला मतदाता: 7,75,828

पुरुष मतदाता: 9,11,069

आरक्षित: हाँ. अनुसूचित जाति के लिए.

सीमांकित: हाँ. रामगढ़ विधानसभा सीट अलवर लोकसभा क्षेत्र में स्थानांतरित कर दी गई। डीग और कुम्हेर विधानसभा क्षेत्रों को 2008 में एक में मिला दिया गया था। नदबई, वीर और बयाना विधानसभा क्षेत्रों को पूर्ववर्ती बयाना लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया था, जिसे परिसीमन के बाद भंग कर दिया गया था। 2008 में लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र भी भंग कर दिया गया।

विधानसभा क्षेत्र: कठूमर (एससी), कामां, नगर, डीग-कुम्हेर, भरतपुर, नदबई, वियर (एससी), बयाना (एससी)

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: बीजेपी नेता विश्वेंद्र सिंह ने 1999 और 2004 में यह सीट जीती थी. 2009 में कांग्रेस नेता रतन सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार खेमचंद को हराया था. हालाँकि, भाजपा ने 2014 में फिर से सीट जीती जब उसके उम्मीदवार बहादुर सिंह ने कांग्रेस नेता सुरेश जाटव को हराया।

जनसांख्यिकी: इसमें अलवर जिले का एक हिस्सा और पूरा भरतपुर जिला शामिल है। बसपा सुप्रीमो मायावती को मानने वाले जाटव जाति के लोगों की अच्छी खासी मौजूदगी है।

10. करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 10

कुल मतदाता: 15,49,662

महिला मतदाता: 7,03,997

पुरुष मतदाता: 8,45,665

आरक्षित: हाँ. अनुसूचित जाति के लिए.

सीमांकित: हाँ. यह निर्वाचन क्षेत्र 2008 में परिसीमन अभ्यास के कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में अस्तित्व में आया। धौलपुर, बारी और राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्रों को तत्कालीन बयाना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जोड़ा गया था।

विधानसभा क्षेत्र: बसेड़ी (एससी), बारी, धौलपुर, राजाखेड़ा, टोडाभीम (एसटी), हिंडौन (एससी), करौली, सपोटरा (एसटी)

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: कांग्रेस नेता खिलाड़ी लाल बैरवा ने 2009 में बीजेपी के मनोज राजोरिया को हराकर यह सीट जीती थी. हालांकि, 2014 में राजोरिया चुनाव जीत गए।

जनसांख्यिकी: इसमें करौली और धौलपुर के पूरे जिले शामिल हैं। यहां बैरवा और जाटव वोटरों का दबदबा है, उसके बाद गुर्जर और मीना वोटरों का नंबर आता है। ब्राह्मण, माली, राजपूत और मुस्लिम मतदाता भी मौजूद हैं लेकिन एससी यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

11. दौसा लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 11

कुल मतदाता: 15,24,095

महिला मतदाता: 7,09,447

पुरुष मतदाता: 8,14,648

आरक्षित: हाँ. अनुसूचित जनजाति के लिए.

सीमांकित: हाँ. बस्सी विधानसभा क्षेत्र को जयपुर लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया। थानागाजी विधानसभा क्षेत्र को 2008 में अलवर लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया था।

विधानसभा क्षेत्र: बस्सी (एसटी), चाकसू (एससी), थानागाजी, बांदीकुई, महुवा, सिकराय (एससी), दौसा, लालसोट (एसटी)

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: यह परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ है और इससे भी अधिक पायलट परिवार का क्षेत्र है। 1999 में, कांग्रेस नेता राजेश पायलट ने सीट जीती और उसी वर्ष जून में उनकी मृत्यु के बाद 2000 के उपचुनाव में उनकी पत्नी रमा पायलट ने सीट जीती। 2004 में, उनके बेटे और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सीट जीती। हालाँकि, 2009 में, स्वतंत्र उम्मीदवार किरोड़ीलाल मीना ने सीट जीत ली, लेकिन 2014 में भाजपा नेता हरीश चंद्र मीना से हार गए।

जनसांख्यिकी: इसमें पूरे दौसा जिले और जयपुर और अलवर जिलों के कुछ हिस्से शामिल हैं। यह राजस्थान की आदिवासी बेल्ट का हिस्सा है। दौसा जिले की आबादी में एसटी की आबादी 26.5% है। दौसा लोकसभा क्षेत्र में चुनाव जीतने के लिए मीना समुदाय का समर्थन प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। यहां 3 लाख से ज्यादा मीना मतदाता हैं.

12. टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 12

कुल मतदाता: 17,10,775

महिला मतदाता: 8,00,045

पुरुष मतदाता: 9,10,730

आरक्षित: नहीं

परिसीमन: हां, पूर्ववर्ती सवाई-माधोपुर और टोंक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के कुछ हिस्सों को, जिन्हें 2008 में भंग कर दिया गया था, इस निर्वाचन क्षेत्र को बनाने के लिए विलय कर दिया गया था।

विधानसभा क्षेत्र: गंगापुर, बामनवास (एसटी), सवाई माधोपुर, खंडार (एससी), मालपुरा, निवाई (एससी), टोंक, देवली-उनैरा

पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: कांग्रेस नेता नमो नारायण मीना ने 2009 में सीट जीती और 2014 में भाजपा नेता सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने उनकी जगह ली, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन को हराया।

जनसांख्यिकी: इसमें टोंक और सवाई माधोपुर के पूरे जिले शामिल हैं। जबकि मीना समुदाय प्रमुख है, गुज्जर, मुस्लिम, ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत और जाट चुनाव परिणाम बदलने में सक्षम हैं। यहां मुसलमान परंपरागत रूप से कांग्रेस को वोट देते रहे हैं. देवली और उनैरा बेल्ट में दलित इलाके शामिल हैं जो परंपरागत रूप से कांग्रेस के मतदाता हैं। ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य समुदाय के वोट लगभग 4 लाख हैं।

13. अजमेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 13

कुल मतदाता: 16,83,292

महिला मतदाता: 8,13,938

पुरुष मतदाता: 8,69,354

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. 2008 में भिनाई विधानसभा क्षेत्र को भंग कर दिया गया था। अजमेर उत्तर और अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र बनाए गए थे जबकि अजमेर पूर्व और अजमेर पश्चिम को भंग कर दिया गया था। दूदू विधानसभा क्षेत्र को तत्कालीन टोंक लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया था।

विधानसभा क्षेत्र: दूदू (एससी), किशनगढ़, पुष्कर, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण (एससी), नसीराबाद, मसूदा, केकड़ी

पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: भाजपा के रासा सिंह रावत ने 1999 और 2004 में सीट जीती। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 2009 में सीट जीती लेकिन 2014 में भाजपा नेता सांवर लाल जाट से हार गए।

जनसांख्यिकी: यह अजमेर जिले के बड़े हिस्से और जयपुर जिले के एक हिस्से में फैला हुआ है। इस निर्वाचन क्षेत्र में एससी/एसटी, मुस्लिम, जाट और वैश्यों का वर्चस्व है। ब्राह्मण, गुज्जर, रावत और राजपूत जैसी अन्य जातियों के लोगों की भी बड़ी संख्या में उपस्थिति है।

14. नागौर लोकसभा क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 14

कुल मतदाता: 16,78,662

महिला मतदाता: 7,91,931

पुरुष मतदाता: 8,86,731

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. डेगाना और मेड़ता विधानसभा क्षेत्र राजसमंद लोकसभा सीट में चले गए।

विधानसभा क्षेत्र: लाडनूं, डीडवाना, जायल (एससी), नागौर, खींवसर, मकराना, परबतसर, नावां

पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: कांग्रेस नेता राम रघुनाथ चौधरी ने 1999 में सीट जीती लेकिन 2004 में भाजपा नेता भंवर सिंह डांगावास से हार गए। 2009 में, कांग्रेस उम्मीदवार ज्योति मिर्धा ने सीट जीती लेकिन 2014 में भाजपा नेता सीआर चौधरी से हार गईं। .

जनसांख्यिकी: यह नागौर जिले के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। 2014 के अनुमान के अनुसार, इस लोकसभा क्षेत्र में 35 प्रतिशत से अधिक जाट मतदाता, 15-17 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता, 16 प्रतिशत दलित मतदाता और लगभग 14 प्रतिशत ओबीसी से संबंधित हैं।

15. पाली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 15

कुल मतदाता: 18,93,030

महिला मतदाता: 8,98,948

पुरुष मतदाता: 9,94,082

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. 2008 में जैतारण विधानसभा सीट को राजसमंद लोकसभा क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया। जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से बिलाड़ा, भोपालगढ़ और ओसियां ​​विधानसभा सीटें जोड़ी गईं। खारची और देसूरी विधानसभा सीटें भंग कर दी गईं.

विधानसभा क्षेत्र: सोजत (एससी), पाली, मारवाड़ जंक्शन, बाली, सुमेरपुर, ओसियां, भोपालगढ़ (एससी), बिलाड़ा (एससी)

पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: भाजपा नेता पुष्प जैन ने 1999 और 2004 में सीट जीती। हालांकि, वह 2009 में कांग्रेस नेता बद्री राम जाखड़ से हार गए। 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नेता पीपी चौधरी ने सीट जीती।

जनसांख्यिकी: यह पाली और जोधपुर जिलों के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। इस निर्वाचन क्षेत्र में जाटों और सीरवियों का दबदबा है। यहां के अन्य प्रमुख समुदाय जैन, राजपूत, गांची और एसटी हैं।

16. जोधपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 16

कुल मतदाता: 17,27,363

महिला मतदाता: 8,16,897

पुरुष मतदाता: 9,10,446

आरक्षित: नहीं

सीमांकित: हाँ. बिलाड़ा, भोपालगढ़ और ओसियां ​​विधानसभा क्षेत्र 2008 में हटा दिए गए। लोहावट विधानसभा सीट 2008 में बनाई गई।

विधानसभा क्षेत्र: फलोदी, लोहावट, शेरगढ़, सरदापुरा, जोधपुर, सूरसागर, लूनी, पोकरण

पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: बीजेपी नेता जसवन्त सिंह ने 1999 और 2004 में सीट जीती थी. हालांकि, 2009 में वह कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी कटोच से हार गए थे. 2014 में कटोच बीजेपी उम्मीदवार गजेंद्र सिंह शेखावत से हार गए थे.

जनसांख्यिकी: यह जोधपुर और जैसलमेर जिलों के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। यह राजपूत बहुल सीट है. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत आगामी चुनावों में भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ चुनावी शुरुआत करने के लिए तैयार हैं।

17.बाड़मेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 17
कुल मतदाता: 16,77,582
महिला मतदाता: 7,81,989
पुरुष मतदाता: 8,95,593
आरक्षित: नहीं
सीमांकित: हाँ. 2008 में शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र को इस सीट से हटा दिया गया था। बायतु विधानसभा सीट परिसीमन के बाद नव निर्मित की गई थी।
विधानसभा क्षेत्र: जैसलमेर, शेओ, बाड़मेर, बायतू, पचपदरा, सिवाना, गुढ़ा मालानी, चोहटन (एससी)
पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: कांग्रेस नेता सोना राम चौधरी ने 1999 में सीट जीती लेकिन 2004 में भाजपा नेता मानवेंद्र सिंह से हार गए। कांग्रेस नेता हरीश चौधरी ने 2009 में सिंह को हराया। हालांकि, 2014 में भाजपा नेता सोना राम सत्ता में वापस आ गए। 2014 में निर्दलीय उम्मीदवार जसवन्त सिंह को हराया।
जनसांख्यिकी: यह जैसलमेर जिले के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है और पूरे बाड़मेर जिले को कवर करता है। भौगोलिक दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है। इस निर्वाचन क्षेत्र में जाटों और राजपूतों का वर्चस्व है जो चुनाव परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक समुदाय को कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है.
18. जालोर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 18
कुल मतदाता: 18,24,968
महिला मतदाता: 8,60,921
पुरुष मतदाता: 9,64,047
आरक्षित: नहीं
सीमांकित: नहीं
विधानसभा क्षेत्र: आहोर, जालोर (एससी), भीनमाल, सांचौर, रानीवाड़ा, सिरोही, पिंडवाड़ा आबू (एसटी), रेवदर (एससी)
पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: कांग्रेस नेता बूटा सिंह ने 1999 में चुनाव जीता लेकिन 2004 में भाजपा उम्मीदवार बी सुशीला से हार गए। हालांकि सिंह ने 2009 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन वह भाजपा नेता देवजी मानसिंगराम पटेल से हार गए। पटेल ने 2014 में भी यह सीट जीती थी.
जनसांख्यिकी: इसमें जालोर और सिरोही के पूरे जिले शामिल हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में ओबीसी मतदाताओं का मजबूत आधार है. जालोर में मीनाओं के वोट 50,000 से ज्यादा हैं जबकि एससी के वोट तीन लाख से ज्यादा हैं।
19. उदयपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 19
कुल मतदाता: 18,17,940
यूक्रेनी संसदीय क्षेत्र छवि श्रेय होन्ज़ासौकुप/विकिमीडिया कॉमन्स
महिला मतदाता: 8,87,933
पुरुष मतदाता: 9,30,007
आरक्षित: हाँ. अनुसूचित जनजाति के लिए.
सीमांकित: हाँ. 2008 में वल्लभनगर और मावली विधानसभा सीटों को चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया। भीम, कुंभलगढ़, राजसमंद और नाथद्वारा विधानसभा सीटों को राजसमंद लोकसभा सीट में स्थानांतरित कर दिया गया। आसपुर, सलूम्बर, गोगुंदा, खेरवाड़ा को पूर्ववर्ती सलूम्बर लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया था, जो परिसीमन के कारण भंग हो गया था।
विधानसभा क्षेत्र: गोगुंदा (एसटी), झाड़ोल (एसटी), खेरवाड़ा (एसटी), उदयपुर ग्रामीण (एसटी), उदयपुर, सलूंबर (एसटी), धरियावद (एसटी), आसपुर (एसटी)
पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: कांग्रेस नेता रघुवीर सिंह मीना ने 2009 में सीट जीती लेकिन 2014 में भाजपा के अर्जुन मीना से हार गए।
जनसांख्यिकी: यह उदयपुर और डूंगरपुर जिलों के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। यह आदिवासी बहुल निर्वाचन क्षेत्र है.
20. बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 20
कुल मतदाता: 16,92,502
महिला मतदाता: 8,28,582
पुरुष मतदाता: 8,63,920
आरक्षित: हाँ. अनुसूचित जनजाति के लिए.
सीमांकित: हाँ. 2008 में दानपुर विधानसभा क्षेत्र को भंग कर गढ़ी विधानसभा सीट बनाई गई।
विधानसभा क्षेत्र: डूंगरपुर (एसटी), सागवाड़ा (एसटी), चोरासी (एसटी), घाटोल (एसटी), गढ़ी (एसटी), बांसवाड़ा (एसटी), बागीदौरा (एसटी), कुशलगढ़ (एसटी)
पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: 1999 में कांग्रेस नेता ताराचंद भगोरा ने सीट जीती। 2004 में बीजेपी नेता धन सिंह रावत सत्ता में आए। हालांकि, 2009 में भगोरा ने बीजेपी उम्मीदवार हकरू मैदा को हराकर फिर से सीट जीत ली। 2014 में बीजेपी के मानशंकर निनामा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी.
जनसांख्यिकी: यह डूंगरपुर जिले के कुछ हिस्सों और पूरे बांसवाड़ा जिले में फैला हुआ है। यह एक आदिवासी सीट है, जिसकी तीन-चौथाई से अधिक आबादी एसटी के रूप में पहचानी जाती है। शेष जातियों या समुदायों का चुनावी नतीजों को बदलने में बहुत कम योगदान होता है।
21. चित्तौड़गढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 21
कुल मतदाता: 18,18,147
महिला मतदाता: 8,89,575
पुरुष मतदाता: 9,28,572
आरक्षित: नहीं
सीमांकित: हाँ. 2008 में वल्लभनगर और मावली विधानसभा सीटें उदयपुर लोकसभा क्षेत्र से स्थानांतरित कर दी गईं। इसी तरह, लाडपुरा और रामगंज मंडी विधानसभा क्षेत्र कोटा लोकसभा सीट में स्थानांतरित कर दिए गए। प्रतापगढ़ विधानसभा सीट को पूर्ववर्ती सलूंबर लोकसभा क्षेत्र से जोड़ा गया था।
विधानसभा क्षेत्र: मावली, वल्लभनगर, कपासन, बेगूं, चित्तौड़गढ़, निंबाहेड़ा, बड़ी सादड़ी, प्रतापगढ़ (एसटी)
पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: भाजपा के श्रीचंद कृपलानी ने 1999 और 2004 में सीट जीती। हालांकि, वह 2009 में कांग्रेस नेता गिरिजा व्यास से हार गए। 2014 में, भाजपा नेता चंद्र प्रकाश जोशी ने व्यास को हराया।
जनसांख्यिकी: यह उदयपुर जिले के कुछ हिस्सों और पूरे चित्तौड़गढ़ जिले में फैला हुआ है। परिसीमन के बाद चित्तौड़गढ़ निर्वाचन क्षेत्र में ब्राह्मण प्रमुख जाति बन गए। यहां मुस्लिम और गुज्जर आबादी भी अच्छी खासी है।
22. राजसमंद लोकसभा क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 22
कुल मतदाता: 16,99,401
महिला मतदाता: 8,19,875
पुरुष मतदाता: 8,79,526
आरक्षित: नहीं
सीमांकित: हाँ. यह 2008 में अस्तित्व में आया। डेगाना और मेड़ता विधानसभा क्षेत्र 2008 में नागौर लोकसभा क्षेत्र से जोड़े गए। जैतारण विधानसभा सीट पाली लोकसभा क्षेत्र से जोड़ी गई। उदयपुर लोकसभा सीट से भीम, कुंभलगढ़, राजसमंद और नाथद्वारा विधानसभा सीटें जोड़ी गईं। ब्यावर विधानसभा सीट को अजमेर लोकसभा सीट से जोड़ा गया था।
विधानसभा क्षेत्र: ब्यावर, मेड़ता (एससी), डेगाना, जैतारण, भीम, कुंभलगढ़, राजसमंद, नाथद्वारा
पिछले चार लोकसभा चुनावों के नतीजे: कांग्रेस नेता गोपाल सिंह शेखावत ने 2009 में सीट जीती लेकिन 2014 में बीजेपी नेता हरिओम सिंह राठौड़ से हार गए।
जनसांख्यिकी: इसमें संपूर्ण राजसमंद जिला और अजमेर, नागौर और पाली जिलों के कुछ हिस्से शामिल हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में कमोबेश राजपूत, जाट और ब्राह्मण मतदाताओं का अनुपात समान है। 2008 में, इसने उदयपुर को सामान्य सीट के रूप में प्रतिस्थापित कर दिया।
23. भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 23
कुल मतदाता: 17,54,877
महिला मतदाता: 8,50,847
पुरुष मतदाता: 9,04,030
आरक्षित: नहीं
सीमांकित: हाँ. बनेड़ा विधानसभा क्षेत्र को विघटित कर दिया गया जबकि हिंडोली विधानसभा सीट 2008 में कोटा लोकसभा क्षेत्र में जोड़ दी गई।
विधानसभा क्षेत्र: आसींद, मांडल, सहारा, भीलवाड़ा, शाहपुरा (एससी), जहाजपुर, मांडलगढ़, हिंडोली
पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: भाजपा नेता विजयेंद्र पाल सिंह ने 1999 और 2004 में सीट जीती। हालांकि, वह 2009 में कांग्रेस नेता सीपी जोशी से हार गए। 2014 में, भाजपा उम्मीदवार सुभाष बहेरिया ने कांग्रेस नेता अशोक चांदना को हराकर सीट जीती।
जनसांख्यिकी: इसमें संपूर्ण भीलवाड़ा जिला और बूंदी जिले का एक हिस्सा शामिल है। यहां 3.5 लाख से ज्यादा ब्राह्मण वोटरों का दबदबा है. निर्वाचन क्षेत्र में एससी/एसटी, गुज्जर और जाटों की भी अच्छी-खासी मौजूदगी है।
24. कोटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 24
कुल मतदाता: 17,44,539
कोटा संसदीय क्षेत्र में 2.5 लाख से अधिक मीनारें हैं। छवि क्रेडिट रिकजे/विकिमीडिया कॉमन्स
महिला मतदाता: 8,31,153
पुरुष मतदाता: 9,13,386
आरक्षित: नहीं
सीमांकित: हाँ. 2008 में चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से लाडपुरा और रामगंज मंडी विधानसभा सीटें जोड़ी गईं। हिंडोली विधानसभा सीट हटा दी गई। कोटा उत्तर और कोटा दक्षिण विधानसभा सीटें परिसीमन के बाद बनाई गईं। दीगोद और बारां विधानसभा सीटें भंग कर दी गईं.
विधानसभा क्षेत्र: केशोरायपाटन (एससी), बूंदी, पीपल्दा, सांगोद, कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण, लाडपुरा, रामगंज मंडी (एससी)।
पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणाम: भाजपा नेता रघुवीर सिंह कौशल ने 1999 और 2004 में सीट जीती। 2009 में, कांग्रेस नेता और पूर्व कोटा शाही परिवार के वंशज इज्यराज सिंह ने 2009 में सीट जीती। हालांकि, वह भाजपा नेता ओम से हार गए। 2014 में बिड़ला।
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