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Kirori Singh Bainsla : गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, जिनके एक इशारे पर थम जाता था राजस्थान
Colonel Kirori Singh Bainsla : गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया है। बैंसला ने जयपुर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मणिपाल अस्पताल ले जाया गया था जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बैंसला के निधन पर लोग ट्विटर पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
बैंसला के निधन पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने शोक जताते हुए लिखा है, गुर्जर नेता, कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जी के निधन का समाचार सुन अत्यंत दु:ख हुआ. उन्होंने आजीवन समाज की भावनाओं को आवाज दी. उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान देने व परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना करती हूं.
गुर्जर नेता, कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जी के निधन का समाचार सुन अत्यंत दु:ख हुआ। उन्होंने आजीवन समाज की भावनाओं को आवाज दी। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान देने व परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना करती हूं।
गुर्जर नेता, कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जी के निधन का समाचार सुन अत्यंत दु:ख हुआ। उन्होंने आजीवन समाज की भावनाओं को आवाज दी। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान देने व परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना करती हूं।#ColBainsla pic.twitter.com/cGexG5RSR7
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) March 31, 2022
किरोड़ी बैंसला के एक इशारे पर राजस्थान के गुर्जर एकजुट हो उठते थे. पिछले दो दशकों में कई बार गुर्जर आरक्षण आंदोलन समय-समय पर सरकारों के गले की फांस बना है. 2008 में, बैंसला ने गुर्जर समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल करने के लिए एक बड़े आंदोलन ने देश भर का ध्यान आकर्षित किया था. उस दौरान राजस्थान में रेल और सड़क जाम कर दिए गए थे. गुर्जर समुदाय के इस आंदोलन में हुई पुलिस फायरिंग में लगभग 70 लोगों की मौत हुई थी.
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ. गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की थी लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ हो गया. उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया. बैंसला शुरूआती दौर में सेना में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए. बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए जहां उन्होंने सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी का परिचय दिया.
किरोड़ी सिंह बैंसला एक समय में पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे हैं. कहा जाता है कि उन्हें दो उपनामों से भी जाना जाता है, सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर का चट्टान' और साथी कमांडो 'इंडियन रेम्बो' कहते थे. सेना में एक सिपाही के तौर पर शुरूआत करने वाले बैंसला कर्नल की रैंक तक पहुंचे.
बैंसला के चार संतान हैं, उनकी एक बेटी रेवेन्यु सर्विस और दो बेटे सेना में हैं और एक बेटा निजी कंपनी में कार्यरत है. बता दें कि बैंसला की पत्नी का निधन पहले ही हो चुका है और वे अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते थे.
सेना से रिटाटर होने के बाद किरोड़ी सिंह राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के अधिकारों की बात उठाने लगे. आंदोलन के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया. आंदोलन को लेकर बैंसला पर कई तरह के आरोप भी लगे. गुर्जर आरक्षण आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. किरोड़ी सिंह कहते थे कि उनके जीवन को मुगल शासक बाबर और अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, दो लोगों ने ही प्रभावित किया है.