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जाति गत गणना पर छिड़ी बहस, बिहार के बाद राजस्थान में भी तैयारी, हरियाणा के गृह मंत्री बोले देश को बांटने की कवायद!
वैसे तो जातिगत गणना को लेकर पिछले कई वर्षो से देश में पक्ष और विपक्ष अलग अलग वक्तव्य दे कर इसे बड़ा मुद्दा बनाए हुए है। मगर जातिगत गणना कराने वाला देश का पहला प्रदेश बन चुका है। इतना ही नहीं बिहार में जातिगत गणना के परिणाम कराई जाने के बाद वर्गीकरण और उनकी संख्या भी सामने आ गई जिसके बाद अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद ने मंत्री मंडल में गणना के अनुपात करने की फार्मूला बनाने की भी सलाह दे डाली।
जिस से यह कल्पना की जा सकती है की जातिगत गणना का क्या प्रभाव पड सकता है। याने अपनो को अपने से ही उलझने की स्थिति सामने आ सकती है। अब राजस्थान के सीएम गहलोत ने भी कल ही जातिगत गणना को लागू करने की बात कही है। मगर इन सबके विपरीत हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है की जातिगत गणना देश को टुकड़ों में बांटने का सबब बन सकता है। उन्होंने इसे चुनावी खेल बताया। विज ने कहा की जातिगत जनगणना देश को एकजुट करने के बजाय उसको अलग-अलग टुकड़ों में बांटने का एक उचित प्रयास है। 70 साल बाद हमें भारतीय होकर जीना चाहिए। हम सब एक हैं, हम सब भारतीय हैं। जातिगत जनगणना की प्रमाणिकता क्या है?
इसका मतलब ये हुआ कि सरकार के हाथ में रजिस्टर आ गया कि जिसको चाहे उस जाति में डाल दे। क्या जनगणना में आने के बाद ही लोगों को लाभ मिलेगा? ये सब चुनावी खेल है पहले भी मंडल आयोग हुआ था। कुल मिलाकर एक बार फिर से जातिगत गणना एक नए स्वरूप में मुद्दा बनता जा रहा है। जिसे पक्ष और विपक्ष अपनी अपनी पार्टी की नीति अनुरूप इसे देश के लिए अच्छा और बुरा बताने की कवायद में जुटा है।
यहां यह सर्व विदित है की बिहार में जाति गत गणना के मामले में बिहार हाई कोर्ट का पहले स्थगन बाद में पक्ष में निर्णय आया था। मुझे ठीक से ध्यान नहीं पर शायद सुप्रीम कोर्ट में भी इसका निर्णय बिहार सरकार के पक्ष में आया था। अब देखने वाली बात यह होगी की अन्य प्रदेशों में सरकार का जातिगत गणना को लेकर क्या रुख रहेगा और बिहार में क्या जातिगत गणना के आधार पर सरकार में प्रतिनिधित्व देगी?