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Rajsthan News : चुनाव परिणाम के बाद आएगा प्रदेश में भूचाल, भ्रस्ट मलाई खाने में सक्रिय : सरकार असहाय
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राजस्थान में राजनैतिक और प्रशासनिक भूचाल आने की पूरी पूरी संभावना है । यदि परिणाम बीजेपी के अनुकूल नही आए तो भजनलाल शर्मा को गंभीर खतरों से रूबरू होना पड़ सकता है । ऐसे में प्रशासनिक ढांचे में भी उथल पुथल की संभावनाओ से इनकार नही किया जा सकता है ।
परिणाम क्या आएंगे, इसकी भविष्यवाणी करना बेमानी होगा । बीजेपी मानकर चल रही है तमाम 25 सीट उसकी झोली में आ रही है । अगर एकाध सीट का बीजेपी को नुकसान होता है तो भजनलाल सरकार की सेहत पर ज्यादा असर पड़ने वाला नही है । लेकिन पांच या इससे ज्यादा के नुकसान की स्थिति में भजनलाल की सेहत चन्नी जैसी हो सकती है ।
राजनीतिक विश्लेषक मानकर चल रहे है कि बीजेपी को निश्चित रूप से क्षति होने की संभावना है । क्योंकि अब तक जो हवा दिखाई दी है उसके मुताबिक सभी 25 सीट आना मुमकिन दिखाई नही दे रहा है । कांग्रेस का दावा है कि उसे लगभग 10 सीट का लाभ होगा । जबकि राजनीतिक पंडितों की मान्यता है कि कांग्रेस को न्यूनतम चार और अधिकतम आठ सीट हासिल हो सकती है ।
अगर सभी जगह जैसे एमपी, यूपी, छतीसगढ़, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र आदि में भी बीजेपी को समान नुकसान होता है तो भजनलाल को कोई नुकसान नही होने वाला है । यदि अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में बीजेपी सेहत ज्यादा खराब होती है तो इसका सीधा असर भजनलाल शर्मा की कुर्सी पर पड़ना स्वाभाविक है । इन हालातों में प्रदेश की कमान भजनलाल के स्थान पर दीगर व्यक्ति को दिए जाने की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता है ।
इन परिस्थितियों में इसका सीधा असर प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे पर पड़ना स्वाभाविक है । यदि भजनलाल हटते है तो प्रशासनिक अमले में भारी उथल होगी । यद्यपि मुख्य सचिव सुधांश पन्त काफी परिश्रम कर रहे है और उनकी नीयत पर भी कोई शक नही किया जा सकता है । बावजूद प्रशासनिक ढांचा जर्जर स्थिति में है । जानकारों का मानना है प्रशासन दिशाहीन काम कर रहा है ।
अधिकांश लोगों की मान्यता है कि आज भी प्रशासन पर अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की पकड़ है ।
गहलोत के ओएसडी रहे देवाराम सैनी बांसवाड़ा तबादला होकर बीकानेर आ गए । महेंद्र सोनी का अजमेर हुआ तबादला भी निरस्त होगया । पुरुषोत्तम शर्मा भी सीकर में रहकर कांग्रेस की सेवा में सक्रिय है । इसके अलावा वित्त विभाग से जुड़े अफसर भी अपने पदों पर कायम है । आरपीएससी के सदस्य और अध्यक्ष भी सरकार को अंगूठा दिखाते बेखौफ काम कर रहे है । लोगो का स्पस्ट आरोप है कि भजनलाल उसी तर्ज पर काम कर रहे है जिस पर गहलोत कार्य कर रहे है ।
उधर मुख्य सचिव सुधांश पन्त अलग थलग से पड़े हुए है । तन्मय कुमार की मंडली हावी होकर पन्त को असफल करने में सक्रिय है । यह मंडली समानांतर रूप से सरकार चला रही है । यह स्थिति सरकार के लिए बेहद घातक साबित होने वाली है । बीजेपी ने साफ तौर पर वादा किया था कि सत्ता में आते ही आरपीएससी को भंग कर दिया जाएगा । लेकिन ऐसा नही हुआ । माना कि आरपीएससी सदस्यों को हटाने में संवैधानिक बाधा है । लेकिन जब उमेश मिश्रा या ओपी गल्होत्रा को डीजीपी पद से हटाया जा सकता है आरपीएससी सदस्यों और लोकायुक्त प्रताप कृष्ण लोहरा पर मेहरबानी क्यों ? जस्टिस लोहरा बेहद खास है अशोक गहलोत के । उसी तरह जैसे देवाराम, महेंद्र सोनी और पुरुषोत्तम शर्मा आदि है ।
उधर एसीबी की तरह पुलिस विभाग की भी सेहत बहुत बिगड़ी हुई है । डीजीपी यूआर साहू काफी ईमानदार और काबिल अफसर है । लेकिन अन्य अफसर मनमानी करने पर आमादा है । क्राइम ब्रांच हो या विजिलेंस, भ्रस्टाचार का नंगा नाच हो रहा है । भ्रस्टाचार निरोधक ब्यूरो आज स्वयं भ्रस्टाचार में डूबा हुआ है । पिछले चार पांच साल में भ्रस्टाचारियो को बचाने का अड्डा बनकर रह गया है । हेमन्त प्रियदर्शी इस विभाग की कमान संभालने में पूरी तरह नाकामयाब रहे ।
यदि भजनलाल को अपनी छवि को और उजला बनाना है तो अफसरों की नाक में नकेल डालनी होगी और गहलोत के अफसरों की मनमानी पर रोक लगाने के सार्थक प्रयास करने होंगे । ये अफसर सरकार की छवि पर निरन्तर कालिख पोतते रहेंगे । इसके अलावा पन्त को भी तन्मय की मंडली पर सख्ती बरतते हुए अपनी ताकत का एहसास कराना होगा ।
परिणाम आने में अभी एक माह का समय है । फिलहाल सरकार के बारे में आम लोगो की यही राय है कि यह केवल घिसट रही है । सक्रिय होकर काम करने में विफल है । सरकार को इस टैग से छुटकारा पाना होगा । इसके लिए भाषण की नही, चाबुक चलाने की आवश्यकता है ।