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ईडी ने राजस्थान में फैलाया अपना व्यापक जाल, निरंजन आर्य सहित कई लोगों की निगरानी
अवैध रूप से अर्जित धन के आधार पर चुनाव लड़ने या लड़ाने वालो के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की स्पेशल टीम ने राजस्थान में बहुत बड़ा जाल फैला दिया है । ईडी की टीम के राडार पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कई निकटतम व्यक्ति शामिल है । अव्वल नम्बर पर मुख्य सचिव निरंजन आर्य है जिनकी हर गतिविधि पर ईडी के अलावा आयकर विभाग की भी पैनी नजर है ।
ईडी सूत्रों ने बताया कि उसके विभाग को पुख्ता खबर मिली है राजस्थान के चुनावों में कांग्रेस की ओर से भारी मात्रा में काला धन इस्तेमाल होने की संभावना है । यह धन मुख्यमंत्री के एक ओएसडी द्वारा कई प्रत्याशियों को वितरित किये जाने के ईडी को पुख्ता सबूत मिले है । इसी के मद्देनजर ईडी ने कॉन्ट्रेक्ट आधार पर कुछ प्राइवेट लोगों की भी सेवाएं ली है । ये लोग कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस के प्रत्याशियों के यहां घुसपैठ कर चुके है ।
सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री के कई निकटतम व्यक्ति मसलन निरंजन आर्य और उनकी पत्नी संगीता आर्य, ओएसडी देवाराम सैनी, राजस्थान पर्यटन निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, खान मंत्री प्रमोद जैन भाया, एक एसीएस तथा दो बड़े राजनेताओ की कड़ी निगरानी पिछले दो सप्ताह से की जा रही है । सीएम हाउस भी निगरानी से अछूता नही है ।
ईडी का मानना है काला और अवैध तरीको से अर्जित धन दिल्ली, हरियाणा, मुम्बई और पूना से आने की पुख्ता संभावना है । अपनी पड़ताल में ईडी और आयकर विभाग को खबर मिली है कि पूना में पाली जिले के हजारों कारोबारी है । इनमें से कई कारोबारियों से निरंजन आर्य को मोटी राशि मिलने की संभावना है । आर्य की निगरानी के लिए छह जनो की एक स्पेशल टीम सोजत में सक्रिय है । तीन होटल और गेस्ट हाउस में रुककर ये लोग आर्य की बारीकी से निगरानी कर रहे है ।
सूत्रों का यह भी कहना है कि पूना के ही एक अन्य कारोबारी से भी राजस्थान में भारी मात्रा में काला धन आने की संभावना है । इस कारोबारी का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पुत्र वैभव गहलोत से भी निकट का सम्बंध बताया जाता है । वैभव गहलोत बतौर सीए अपनी सेवाएं भी इस व्यवसायी की कम्पनी को दे चुके है ।
ईडी के सूत्रों ने बताया कि 8 नवम्बर को एक वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस और दो राजनेताओ के यहां छापे मारने की योजना थी । सूचना लीक होने की वजह से छापे की कार्रवाई स्थगित करदी गई है । ईडी का सारा ध्यान अब कोटा और सवाई माधोपुर केंद्रित है । ज्ञात हुआ है कि यहां से काले धन की आवक और निकासी होने की संभावना है ।
ईडी नही चाहती है कि उनके छापे नाकामयाब रहे । इसलिए अब पुख्ता निगरानी के बाद ही छापो को अंजाम दिया जाएगा । एसीएस सुबोध अग्रवाल के यहां छापा मारने से पूर्व करीब 15 दिनों तक ईडी की टीम निगरानी करती रही । उनके आवास के पास चार व्यक्ति अलग अलग समय पर सादे लिबास में तैनात रहे । कार्यालय की वीडियोग्राफी 24 अक्टूबर को ईडी के मुख्यालय में पहुंच चुकी थी । इसी तरह की वीडियोग्राफी एक अन्य वरिष्ठ आईएएस और दो आईपीएस की भी की जा चुकी है ।
यह भी ज्ञात हुआ है कि पांच-छह लोगों की कॉल रिकार्डिंग भी एमएचए और वित्त मंत्रालय की अनुमति से की जा रही है ताकि इन लोगों को दबोचने में आसानी रहे । लोग आजकल व्हाट्सअप कॉल करते है ताकि उनकी बातचीत गोपनीय रहे । लेकिन कुछ एप्प के जरिये व्हाट्सएप्प की कॉल की डिटेल को डिटेन किया जा सकता है ।
सूत्रों का कहना है कि एक शराब, होटल और फार्मा कम्पनी के मालिक भी ईडी तथा आयकर के दायरे में है । राजसमन्द के एक बड़े व्यवसायी की वीडियोग्राफी और फिजिकल वेरिफिकेशन पूरा हो चुका है । ईडी, आयकर विभाग के अलावा सेंट्रल एक्साइज वाले भी हाथ धो कर पीछे पड़े हुए है । इस व्यवसायी को नोटिस भी मिल चुका है ।
सीएम के अलावा यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की पड़ताल में सक्रियता खूब बढ़ गई है । एयरपोर्ट चौराहे के पास कालीन व्यवसायी के ठहरे हुए ईडी के लोग अधिकांश समय धारीवाल के चुनाव कार्यक्रम में शामिल होकर मुख्यालय को रिपोर्ट भेज रहे है । ईडी और आयकर विभाग वालो का मानना है कि गहलोत सरकार में धारीवाल और प्रमोद जैन भाया ने सर्वाधिक नाजायज धन कमाया है । चम्बल रिवर फ्रंट के दस्तावेजो को भी खंगाला जा रहा है । एक और टीम छतीसगढ़ के बाद सवाई माधोपुर में सक्रिय होकर यहां के विधायक दानिश अबरार की पड़ताल में जुट गई है ।
यह भी पता चला है कि सीएमओ से जुड़ा एक व्यक्ति ईडी और आयकर विभाग के निरन्तर सम्पर्क में है । इस व्यक्ति के जरिये दोनों विभागों को बहुत ही पुख्ता और गोपनीय सूचना मिल रही है । ऐसी ही सूचना मेडिकल और स्वायत्त शासन विभाग से जुड़े अधिकारियों से धारीवाल के बारे में एकत्रित की जा रही है ।