जयपुर

राजस्थान में चुनाव की तारीख बदली उधर भाजपा में दिख रहा नेतृत्व के खिलाफ विरोध, देव जी पटेल बचे बाल बाल, जान बचाने को लेकर दौड़ाई कार

रमेश शर्मा
11 Oct 2023 11:54 AM GMT
राजस्थान में चुनाव की तारीख बदली उधर भाजपा में दिख रहा नेतृत्व के खिलाफ विरोध, देव जी पटेल बचे बाल बाल, जान बचाने को लेकर दौड़ाई कार
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राजस्थान में मतदान की तिथि बदली बदली अब 25 नवंबर को होंगे चुनाव।क्या अब वसुंधरा को घेरने की तैयारी?

भारतीय जनता पार्टी को अनुशासन के लिए बड़ी पहचान मिली हुई है अनुमान होता यह है कि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ता सड़कों पर नहीं आते है। मगर इस बार विधानसभा चुनाव की घोषणा और राजस्थान में प्रत्याशियों की पहली घोषित सूची ने न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे हिंदुस्तान में एक इस तरह का मेसेज दिया है जिससे भाजपा के शीर्ष नेता भी इस सोच में पड़ गए हैं की क्या राजस्थान के कार्यकर्ता नेतृत्व का विरोध करने के लिए सड़कों पर आ सकते हैं। भाजपा ने 9 अक्टूबर को राजस्थान के प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी 9 अक्टूबर को कोई खास विरोध नहीं हुआ यह लेकिन देखते ही देखते 10 अक्टूबर को प्रदेश के लगभग 8 से 10 स्थान पर घोषित प्रत्याशियों प्रत्याशियों के नाम का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया। और देखते ही देखते यह विरोध आज 11 अक्टूबर बुधवार को सांसद को विधायक का टिकट देने के मामले में लगभग जान लेवा हमला जैसा हो गया। शुक्र है की दोनों ही पक्षों में कोई गंभीर हादसा नही हुआ।

जालोर सांसद देवजी पटेल को भाजपा की सूची में उनके गृह क्षेत्र सांचौर से प्रत्याशित घोषित किए जाने के बाद आज वे अपने कुल देवों की पूजा अर्चना के बाद पथमेड़ा होते हुए वापस सांचौर लौट रहे थे थे जहां राह में कुछ लोगों को खड़ा देख सांसद ने गाड़ी रुकवा कर कारण जानना चाहा लेकिन गाड़ी रुकते ही देवजी पटेल मुर्दाबाद के नारे लगने लग गए, संसद का सुरक्षा गार्ड नीचे उतरता इतने में ही देखते ही देखते गाड़ी पर पथराव शुरू हो गया, यह दृश्य देखते ही सांसद पटेल ने अपनी गाड़ी के शीशे चढ़ा लिए और गाड़ी तेज रफ्तार में शुरू हो गई गनीमत रही की सामने कोई चपेट में नहीं आया। गाड़ी दौड़ते देख प्रदर्शनकारियो ने समझा कि उन पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है जिसको लेकर सांसद के गाड़ियों के काफिले पर भी पत्थरबाजी होती रही, और दो स्कॉर्पियो के पीछे से शीशे भी टूट गए कुल मिला कर भाजपा में इस तरह का विरोध प्रदर्शन शायद कि पहले देखने को मिला होगा।

अभी तो 41 टिकट ही जारी हुई है शेष 159 टिकट पर क्या होगा कुछ नही कहा जा सकता! ""वसुंधरा राजे"" वसुंधरा राजे चार बार सांसद और दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुकी है। लेकिन अंतिम बार मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके केंद्रीय नेतृत्व से उनकी दूरियां बढ़ती गई। लेकिन शायद वसुंधरा ने सभी स्थितियों का मजबूती से मुकाबला किया। 2023 के विधानसभा चुनाव आने के साथ दिल्ली और वसुंधरा में और ज्यादा मतभेद होकर सामने आ गए इसके बाद लगभग ऐसे लगने लगा कि शायद वसुंधरा को साइड लाइन किया जा रहा है। अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है की वसुंधरा को उनके क्षेत्र में ही जहां से वे संसद और विधायक का चुनाव जीतती आ रही है उसी क्षेत्र में उन्हें घेरने की कोशिश की जा रही है! चुनाव से पहले ही वसुंधरा गुट के नेताओं को किनारे किया जाने की शुरुआत के बाद अब वसुंधरा राजे को उन्हीं के गढ़ में घेरने की तैयारी हो रही है।

वसुंधरा के सामने ऐसे अधिकारी जो किसी समय में वसुंधरा राजे के नजदीकी अधिकारियों में माने जाते थे और अपनी राजकीय सेवाओं के दो दशक झालरापाटन में ही गुजारे थे। इन अधिकारी रावसिंह मौजावत ने पिपलिया मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद झालरापाटन से चुनाव लड़ने की घोषणा कर सबको चकित कर दिया। कुल मिलाकर कांग्रेस की सूची आने से पहले ही भाजपा में टिकट वितरण का मामला अनुशासन से भी अधिक प्रभावी होता दिख रहा है। सुनने में यह भी आया है कि जो भाजपा की पहली सूची जारी की गई है उसमें कुछ नाम पर पुनर्विचार किया जा सकता है?

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