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गहलोत की पोटली में निकली चुनावी महक, उधर गजेंद्र सिंह का केंद्र ने बढ़ाया कद और फिर हुआ .......
रमेश शर्मा
जिस खुशी और उत्साह के साथ मुख्यमंत्री लगभग 4 माह से आज पेश किए जाने वाले बजट को लेकर व्यस्त थे। उसी बजट में प्रदेशवासियों को चाहे ऐतिहासिक सौगात नहीं दी हो मगर विधानसभा में पेश किया गया बजट जरूर इतिहास बन कर रह गया। राजस्थान मैं पार्टी के सियासी संकट और इसी वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर 2023_ 24 के बजट को गहलोत ने मुख्य रूप से विजय श्री दिलाने के दृष्टि कौन से बजट को आमजन के लिए सौगात देने वाला बजट बनाने का सिरे से प्रयास किया।
इतना ही नहीं बजट कंप्लीट होने पर बजट पेश होने की पूर्व संध्या पर उन पांच बड़े अधिकारियों के साथ एक फोटो भी मीडिया में प्रसारित हुआ जिन्होंने इस बजट को मेहनत से मुख्यमंत्री की मंशा अनुरूप तैयार किया। मगर जिस जोश और खरोश के साथ मुख्यमंत्री ने बजट प्रस्तुत करना शुरू किया अचानक उनके निकटतम और प्रदेश के मंत्री महेश जोशी ने जाकर उनको कान में कुछ संदेश दिया जिसके बाद में अचानक सीएम ने सारी शब्द के साथ बजट पढ़ना बंद कर दिया। और देखते देखते मुख्यमंत्री द्वारा पढ़े गए बजट को पिछले बजट को दोहराने वाली बात सामने आई। जिस पर सदन में विपक्ष में हंगामा शुरू कर दिया दो बार स्थगित किए जाने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा इसे भूल स्वीकार कर लेने के साथ बजट पढ़ना शुरू कर जिस तरह से उम्मीद लगाई जा रही थी सौगात की बौछार शुरू कर दी।
शायद ही उन्होंने किसी वर्ग को छोड़ा हो जो कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में प्रस्तावित बजट से लाभान्वित होने वाला है। मगर यह तो पहले ही समझ कर चला जा रहा था कि बजट चुनावी बजट होगा। मगर यह किसी को पता नहीं था कि जिस सूटकेस में मुख्यमंत्री गहलोत प्रस्तावित बजट लेकर आए हैं इस सूटकेस में पन्ने पलटे हुए मिलेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मुद्दे को जिस प्रकार से विपक्ष को आगे लाना था वह नहीं ला पाई जिसका कारण कल केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान में जेड प्लस सुरक्षा देने की घोषणा से जोड़ा जा रहा है। शेखावत को जेड प्लस सिक्योरिटी देने से अगले मुख्यमंत्री का चारा मान कर भी देखा जा रहा है। गलती का एहसास होते ही विपक्ष तेज गति से आक्रमक हुआ था वह बाद में जाकर ठंडा हो गया।
यही नहीं राजस्थान से भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दिल्ली में भी पीसी के माध्यम से इस मामले को उठाया। जहां तक बजट की बात है कई मन लुभावन घोषणा के बावजूद भी सबसे अधिक गुस्सा उन सीनियर सिटीजन में है जिन्हें सामाजिक पेंशन बढ़ने की उम्मीद बनी हुई थी। पेंशन की तो बात छोड़ो बजट में सीनियर सिटीजन को रोडवेज में पूर्व में दी जाने वाली छूट को भी बहाल नहीं किया गया। इसी प्रकार सोशल मीडिया सहित प्रदेश के सभी छोटे और बड़े समाचार पत्रों में राज्य में 7 नए जिले बनाने और 3 संभाग बनाने की खबरें लगातार जोर शोर से चल रही थी।
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जैसा कि मैंने मेरे कल वाले ब्लॉग में लिखा था की राम लुभाया कमेटी ने नए जिले बनाने संबंधी रिपोर्ट फाइनल नहीं की है। वैसा ही हुआ जिला बनाने वाली समिति की रिपोर्ट आने पर निर्णय लिया जाएगा। कुल मिलाकर अब देखने वाली बात यह होगी कि बजट मैं नए पृष्ठ की जगह पुराने बजट का पृष्ठ लग जाने के मामले में क्या कुछ एक्शन होता है और इसके लिए किस पर गाज गिरेगी! वही यह भी देखने वाली बात होगी कि बजट पर विभागीय चर्चा होने के दौरान क्या कुछ और नई घोषणा हो सकती है।