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महेश झालानी
राजगढ़ (चूरू) में जितना रुतबा विधायक कृषणा पूनिया का है, उससे कही ज्यादा दबदबा उनके पति वीरेंद्र पूनिया का है। सरकारी अफसरों से लेकर पुलिस वालों तक धमकाने का कार्य वीरेंद्र ही करता था। सरकारी अफसर इससे जबरदस्त खौफ खाते थे।
राजगढ़ के सीआई विष्णुदत्त बिश्नोई की आत्महत्या के पीछे विधायक और उसके पति की कितनी भूमिका है, सीआईडी पुलिस इसकी बारीकी से पड़ताल कर रही है । मोबाइल की काल डिटेल के अलावा सीसीटीवी की फुटेज भी खंगाली जा रही है । इसके अतिरिक्त विधायक के नजदीक रहने वाले कार्यकर्ताओं का भी इतिहास खोजा जा रहा है । साथ ही सेवर जेल में बन्द एक कैदी की भी जांच की जा रही है।
तथाकथित जन सेवक राजगढ़ कांग्रेस की विधायक कृष्णा पूनिया के पति द्रोणाचार्य अवार्डी वीरेंद्र पूनिया रेलवे में पिछले कई साल से कागजों में नौकरी कर रहे हैं। वे जयपुर स्टेशन पर एनडब्लूआर में मुख्य टिकट निरीक्षक (सीटीआई/स्लीपर) के पद पर तैनात हैं। वे कई साल से गायब हैं। फिर भी वे हर महीने सैलरी उठा रहे हैं। यही नहीं यह सब रेलवे के रिकॉर्ड में दर्ज है। बावजूद इसके रेलवे के जयपुर मंडल को इसकी खबर तक नहीं है।
पूनिया से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा - 'मुझे इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना है। मैं तो बस खिलाड़ियों को देश हित की भावना से आगे बढ़ाने का दायित्व निभा रहा हूं। मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं है।' नौकरी से नदारद होने की बात पूर्णतया मनगढ़ंत है । पूनिया की पत्नी तथा विधायक कृष्णा पूनिया का कहना है कि 'यह कार्रवाई राजनैतिक द्वेष भावना से प्रेरित है। मुझे परेशान करने के लिए मेरे परिवार को टारगेट किया जा रहा है। यदि मेरे पति कई साल से नौकरी नहीं कर रहे थे, तो विभाग को एक्शन लेना चाहिए था ।
उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर के स्पोर्ट्स ऑफिसर आरके अहलावत ने कहा 'मैंने तो रेलवे के जयपुर मंडल को कई बार पत्र लिखकर इस संबंध में आला अफसरों को पूरी जानकारी दे दी थी। इसके बाद मंडल ने वीरेंद्र पूनिया पर क्या कार्रवाई की, मुझे इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है ।
रेलवे ने वीरेंद्र पूनिया को 25 फरवरी 2015 को गणपति नगर स्थित केपी सिंह स्टेडियम में बतौर एथलीट कोच नियुक्त किया था । इसके बाद से ही वे अपने मूल विभाग की बजाय इस पद पर दिखावे के तौर पर कार्य कर रहे है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी पत्नी एथलीट कृष्णा पूनिया ने कांग्रेस के टिकट पर सादुलपुर से विधायक का चुनाव लड़ा और वे जीत गईं।
सूत्रों की मानें तो किसी ने रेल मंत्रालय में वीरेंद्र पूनिया की शिकायत की थी कि उन्हें सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद चुनाव में पत्नी का प्रचार करते हुए देखा गया है। तब रेल मंत्रालय ने उत्तर पश्चिम रेलवे को जांच करने के निर्देश दिए। जांच में सामने आया कि पूनिया 31 मार्च 2018 के बाद से कहां नौकरी कर रहे हैं, विभाग को इसकी जानकारी ही नहीं है।
एनडब्ल्यूआर स्पोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा मंडल को यह अवगत कराया गया है कि पूनिया को 31 मार्च 2018 के बाद किसी भी खेल कार्य पर नहीं लगाया गया है। उनके द्वारा अटेंडेंस रजिस्टर में खुद ही दादागिरी से उपस्थिति दर्ज की जा रही है । जयपुर मंडल द्वारा 28 मार्च 2018 को पूनिया का ट्रांसफर जयपुर से सीटीआई, अजमेर के पद पर कर दिया गया था लेकिन उन्होंने वहां जॉइन ही नहीं किया।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और इनके फेसबुक पेज से यह लेख साभार लिया गया है