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धारीवाल सहित सभी को मिलेगी क्लीनचिट, केवल चेतावनी दिए जाने की संभावना
कांग्रेस के जिन तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किए गए है, उन तीनों को जवाब मिलने के बाद क्लीनचिट दिए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है । ज्यादा से ज्यादा तीनो को चेतावनी दी जा सकती है । तीनो के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई के संकेत नही है ।
ज्ञातव्य है कि रविवार को हुए कांग्रेस के हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद पर्यवेक्षको की रिपोर्ट के बाद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अनुशासनात्मक समिति की महासचिव तारिक अनवर के हस्ताक्षर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है । दस दिन में तीनों से जवाब मांगा गया है ।
दिल्ली में कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि समानांतर बैठक क्यो की गई, इसके कारणों के पीछे जाया जाए तो पता लगता है कि अधिकांश विधायको को सचिन पायलट के नाम पर आपत्ति थी । तीनों का इरादा आलाकमान के आदेश या निर्देश की अवहेलना करना कतई नही था । केवल उन्होंने तरीका अपनाया, उसे उचित नही कहा जा सकता है ।
सूत्रों का कहना है कि अनुशासन समिति के पास किसी विधायक ने इस बात की लिखित शिकायत नही की है कि इन तीनो ने विधायको को बरगलाया अथवा बहकाया । समिति को केवल इस बात पर आपत्ति अवश्य है कि जो बात धारीवाल के घर पर आयोजित बैठक में कही गई, यह बात विधायक सीएमआर में आयोजित पीएलसी की बैठक में रख सकते थे । तीनो से चूक अवश्य हुई है, लेकिन किसी ने भी आलाकमान के खिलाफ कोई बयानबाजी नही की है । ऐसे में तीनों को केवल चेतावनी देकर क्लीनचिट दे दी जाएगी ।
उधर तीनो व्यक्ति कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की तैयारी कर रहे है । गहलोत भी तीनो की भरपूर पैरवी करेंगे । जवाब में मुख्य फोकस यही रहेगा कि सचिन पायलट ने बीजेपी से मिलकर चुनी हुई सरकार को गिराने की उच्च स्तरीय साजिश रची थी । इसी के तहत वे 19 विधायको के साथ हरियाणा की बेजेपी सरकार के संरक्षण में महीने भर तक मानेसर में रहे । पायलट की साजिश की वजह से ही सौ से ऊपर विधायकों को जयपुर से लेकर होटल में भटकना पड़ा था ।
जवाब में इस बात का भी उल्लेख किया जाएगा कि मानेसर जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई आलाकमान के निर्देश पर की गई थी । तर्क यह भी दिया जा सकता है कि क्या विधायकों को अपनी भावना प्रकट करने का कोई अधिकार नही है ? अगर समूचे प्रकरण को बारीकी से देखा जाए तो किसी भी व्यक्ति ने सचिन पायलट और उनके साथियों का विरोध करने के अतिरिक्त आलाकमान के खिलाफ एक लफ्ज भी नही बोला है ।
सूत्रों का कहना है कि आलाकमान को यह फीडबैक दिया गया है कि तीनों के खिलाफ कोई कार्रवाई करना मुनासिब नही होगा । इसी दृष्टि से तीनों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है । यदि आलाकमान की मंशा इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की होती तो तीनों को कारण बताओ नोटिस के बजाय निलंबित भी किया जा सकता था ।