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राजस्थान में खंडित जनादेश की आशंका: कांग्रेस कर्नाटक और बीजेपी गुजरात मे कर सकती है विधायकों की बाड़ेबंदी
राजस्थान में अभी किसी तरह की भविष्यवाणी करना पूरी तरह नाइंसाफी होगी । लेकिन मेरा आकलन है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों को स्पस्ट बहुमत मिलने की संभावना नजर नही आती है । ऐसे में निर्दलीयों की एक बार फिर से लॉटरी खुल सकती है । दोनों पार्टियों की ओर से विधायकों की बाड़ेबंदी की योजना बनाई जा रही है ।
यद्यपि दोनों पार्टियों की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि उन्हें स्पस्ट बहुमत हासिल होगा । लेकिन हकीकत यह है कि दोनों ही अंदर ही अंदर खौफजदा है । कांग्रेस की तरह भी बीजेपी भी आशंकित है कि उसे स्पस्ट बहुमत नही मिल रहा है । अगर दोनों पार्टियां 90 के आसपास रहती है तो ऐसे में बाड़ेबंदी होना स्वाभाविक है । अभी से दोनों पार्टियों की योजना बनाई जा रही है कि बहुमत के करीब होने की स्थिति में विधायकों की बाड़ेबंदी कहां की जाए ।
ज्ञात हुआ है कि कांग्रेस अपने और निर्दलीयों विधायकों को कर्नाटक और बिजेपी गुजरात या फिर हरियाणा के मानेसर में बाड़ेबंदी कर सकती है । केंद्रीय नेता इस दिशा में काम करने के लिए सक्रिय होगये है । यदि कांग्रेस बहुमत के आसपास रहती है तो संभावना यही है कि अशोक गहलोत सरकार बनाने में कामयाब हो सकते है । राजनीति के माहिर खिलाड़ी गहलोत को बाड़ेबंदी और जोड़तोड़ का खूब तजुर्बा है । तभी तो बिजेपी के अथक प्रयासों के बावजूद वह गहलोत की सरकार को गिराने में नाकामयाब रही । जबकि कर्नाटक, एमपी और महाराष्ट्र में उसने निर्वाचित सरकार को गिरकर अपनी सरकार बनाई ।
भारी तादाद में हुए मतदान ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नींद उड़ाकर रखदी है । कांग्रेस का दावा है कि तादाद से ज्यादा मतदान उनके अनुकूल रहा । जबकि ऐसा ही दावा बीजेपी के नेता भी कर रहे है । हकीकत क्या है, यह 3 दिसम्बर को पता लगेगा । मैं कोई भविष्यवक्ता नही हूँ । लेकिन मतदाताओ के मूड को भांपने के बाद निचोड़ यही निकलता है कि दोनों पार्टियां बहुमत हासिल करने में नाकामयाब रहेगी ।
मेरी मान्यता है कि दोनों दलों को 85-88 के बीच सीट मिल सकती है । शेष 25 से 30 सीटे निर्दलीय और आरएलपी, बीएसपी व अन्य दलों को मिलने की संभावना है । ऐसे में सरकार बनाने में निर्दलीयों की महत्वपूर्ण भूमिका से इनकार नही किया जा सकता है । इन हालातों में दोनों पार्टियों की ओर से निर्दलीयों को रिझाने के लिए नोटों की बोरिया खोली जा सकती है । पैसों की कमी न बीजेपी के पास है और न ही गहलोत के पास । अगर गहलोत निर्दलीयों को पटाने में कामयाब रहते है तो निश्चित रूप से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एक बार फिर से वे काबिज हो सकते है ।
गैर भाजपा की सरकारो को गिराने और अपनी सरकार बनाने का अमित शाह और मोदी को जबरदस्त तजुर्बा है । बराबर की स्थिति होने पर बीजेपी की ओर से तिजोरी खोली जाएगी । स्थानीय नेताओं के बजय ऑपरेशन की बागडोर स्वयं अमित शाह अपने हाथ मे ले सकते है । एक बात और ध्यान देने की है कि एकाध सीट कम होने के बाद भी राज्यपाल कलराज मिश्र बीजेपी के पक्ष का ही पक्ष लेंगे । राज्यपाल बनाए ही इसलिए जाए है ताकि संकट के समय वह निर्ममता से कानून की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी पार्टी के पक्ष में फैसला दे ।
फिलहाल यह तमाम बातें इसलिए की जा रही क्योकि ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है । सट्टा बाजार और टीवी चैनल आदि बीजेपी को 125 से ज्यादा सीट दे रहे है । यानी बीजेपी को स्पस्ट बहुमत । लेकिन मेरा दिल इस बात की गवाही नही दे रहा है । मेरा मानना है दोनों दल 85-90 सीट के आसपास रह सकते है ।
हो सकता है कि मेरा अनुमान बिल्कुल गलत हो । जिस तरह बीजेपी की 125 सीट आ सकती है तो कांग्रेस पर संशय क्यो ? बीजेपी और मीडियाकर्मी दावा कर रहे है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड़ शो और सभाओ के कारण बीजेपी को 25 सीट की निश्चित रुप से लाभ होने वाला है । लेकिन भाजपाइयों को यह नही भूलना चाहिए कि पिछले चुनावों में मोदी ने दौसा में सभा की थी । पूरे क्षेत्र में पार्टी का सूपड़ा साफ होगया था । दिल्ली और पंजाब की भी अनदेखी नही की जानी चाहिए ।
ऐसा माना जा रहा है कि 3 दिसम्बर को चुनाव परिणाम देखने के बाद मुकम्मल रणनीति बनाई जाएगी । लेकिन बाड़ेबन्दी की योजना को अंजाम देने के लिए अभी से रणनीति का खाका तैयार किया जा रहे है । कई बार परिणाम अप्रत्याशित और चौकाने वाले भी होते है । इस दफा मतदाताओ ने बिना शोरशराबा और अपनी जुबान पर ताला जड़ते हुए रिकार्ड तोड़ मतदान किया है । मतदाताओ की चुप्पी 3 दिसम्बर को कोई नया गुल भी खिला सकती है ।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव की 199 सीटों पर वोटिंग हो गई है. चुनाव आयोग के मुताबिक, राज्य में कुल 74.96 प्रतिशत वोटिंग हुई है. राज्य में शनिवार को 74.13 प्रतिशत वोटिंग हुई. जबकि 0.83 प्रतिशत वोटिंग डाक मतपत्र और घरेलू मतदान के जरिए हुई है. 2018 के चुनाव में राजस्थान में 74.06 प्रतिशत मतदान हुआ था. यानी इस बार चुनाव में 0.9 प्रतिशत मतदान ज्यादा हुआ है. ऐसे में राज्य के वोटिंग ट्रेंड को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं.
बताते चलें कि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज चला रहा है. इसके साथ ही पिछले 20 साल का वोटिंग ट्रेंड यह भी कहता है कि जब भी मतदान प्रतिशत घटा है तो इसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिला है, जबकि मतदान प्रतिशत बढ़ने का फायदा बीजेपी को मिला है. इस बार चुनाव में 5.25 वोटर्स थे और 1863 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. अब 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे, तब पता चल सकेगा कि राजस्थान में रिवाज कायम रहता है या गहलोत सरकार परंपरा को तोड़ पाती है?
'कुल 199 सीटों पर मतदान हुआ'
बताते चलें कि राजस्थान में कुल 200 सीटें हैं, लेकिन वोटिंग 199 सीटों पर हुई है. राज्य में 2013 और 2018 में भी 199 सीटों पर मतदान हुआ था. इस साल चुनाव के बीच श्रीगंगानगर जिले की करणपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कूनर (75 साल) का निधन हो गया. ऐसे में चुनाव आयोग ने मतदान स्थगित कर दिया था. कूनर ने 4 नंववर को नामांकन भरा था. अब यहां उपचुनाव कराए जाएंगे. गुरमीत सिंह वर्तमान में करणपुर से कांग्रेस विधायक भी थे. उन्होंने 2018 में निर्दलीय चुनाव जीता था और मंत्री बने थे.
'इस बार सबसे ज्यादा जैसलमेर में वोटिंग'
इस बार राजस्थान में सबसे ज्यादा जैसलमेर में 82.32 प्रतिशत मतदान हुआ है. उसके बाद प्रतापगढ़ में 82.07%, बांसवाड़ा में 81.36% और हनुमानगढ़ में 81.30 प्रतिशत वोटिंग हुई. राज्य में सबसे कम मतदान पाली में 65.12 प्रतिशत हुआ है. उसके बाद सिरोही में 66.62%, करौली में 68.38%, जालोर में 69.56 % और सवाई माधोपुर में 69.91 % वोटिंग हुई है.
'इन दिग्गजों के नतीजों पर सबकी नजर'
इस बार चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, राज्य वर्धन सिंह राठौड़, बाबा बालकनाथ, नरेंद्र कुमार, भागीरथ चौधरी, किरोड़ी लाल मीणा, देवजी पटेल, दीया कुमारी, गौरभ वल्लभ जैसे नेता मैदान में उतरे थे.
इस बार कांटे की जंग...
जानकारों का कहना है कि इस बार चुनाव में कांटे की टक्कर है. लोगों के बीच दोनों पक्षों का माहौल रहा. लोगों तक दोनों पार्टियों के नेताओं ने पहुंचने की कोशिश की है. वोटरों में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है. चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने सचिन पायललट और अशोक गहलोत के बीच की दरार को हवा देने की कोशिश की.
क्या कहता है राज्य का वोटिंग ट्रेंड?
राजस्थान का चुनावी ट्रेंड कहता है कि विधानसभा चुनाव में अगर मतदान प्रतिशत कम हुआ है तो कांग्रेस की सरकार बनी है. साल 1998 के चुनाव में 63.39 फीसदी वोटिंग हुई थी और कांग्रेस की सरकार बनी थी. गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद 2003 के चुनाव में 67.18 फीसदी मतदान हुआ और बीजेपी सरकार बनी. तब 3.79 फीसदी वोटिंग बढ़ी थी. वसुंधरा राजे पहली बार मुख्यमंत्री बनीं थीं. राज्य में 2008 में 66.25 प्रतिशत वोटिंग हुई और कांग्रेस की सरकार बनी. कांग्रेस ने 96 सीटें जीतीं. जबकि बीजेपी की 78 सीटें आईं. तब मतदान प्रतिशत 0.93 फीसदी घट गया था. गहलोत दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
'2018 में कांग्रेस ने जीती थीं 99 सीटें'
2013 के चुनाव में एक बार फिर 8.79 फीसदी मतदान बढ़ा और बीजेपी की सरकार बनी. इस चुनाव में 75.04 वोटिंग हुई. बीजेपी को 167 सीटें मिली थीं. कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गई थी. राजे दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं थीं. 2018 के चुनाव में 0.98 प्रतिशत कम वोटिंग हुई. कुल 74.06 प्रतिशत मतदान हुआ. राज्य में सत्ता का उलटफेर हुआ और कांग्रेस की सरकार बनी. बसपा के 5 और कुछ निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे. गहलोत को फिर से सीएम बनाया गया. कांग्रेस ने 99 सीटें जीती थीं.
इस बार जिलों में क्या रहा वोटिंग प्रतिशत?
जिला प्रतिशत
अजमेर 72.81
अलवर 74.41
बांसवाड़ा 81.36
बारां 79.92
बाड़मेर 76.88
भरतपुर 71.80
भीलवाड़ा 75.42
बीकानेर 74.13
बूंदी 76.38
चित्तौड़गढ़ 79.86
चूरू 74.78
दौसा 73.49
धौलपुर 77.47
डुंगरपुर 73.59
गंगानगर 78.21
हनुमानगढ़ 81.30
जयपुर 75.16
जैसलमेर 82.32
जालोर 69.56
झालावाड़ 80.24
झुझनूं 72.11
जोधपुर 70.09
करौली 68.38
कोटा 76.00
नागौर 71.89
पाली 65.12
प्रतापगढ़ 82.07
राजसमंद 72.87
सवाई माधोपुर 69.91
सीकर 73.01
सिरोही 66.62
टोंक 72.73
उदयपुर 73.32
1998 में क्या हाल रहा...
वोटिंग प्रतिशत- 63.39%
कांग्रेस- 153
बीजेपी- 33
2003 में क्या हाल रहा...
वोटिंग प्रतिशत- 67.18%
बीजेपी- 120
कांग्रेस- 56
2008 में क्या हाल रहा...
वोटिंग प्रतिशत- 66.25%
कांग्रेस- 96
बीजेपी- 78
2013 में क्या हाल रहा...
वोटिंग प्रतिशत- 75.04%
बीजेपी- 163
कांग्रेस- 21
2018 में क्या हाल रहा...
वोटिंग प्रतिशत- 74.06%
कांग्रेस- 99
बीजेपी- 73