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Rajsthan News : फ्लॉप साबित हुई नए मुख्यमंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस, नही देखने को मिला नया विजन
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नव नियुक्त मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रेस को संबोधित किया । मुख्यमंत्री की पहली ही प्रेस कॉन्फ्रेंस बहुत ही लचर और बोझिल थी । एक तरह से इसे फ्लॉप शो कहा जाए तो कतई अतिशयोक्ति नही होगी ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भजनलाल जैसे युवा व्यक्ति का मुख्यमंत्री के रूप में चयन इसलिए किया ताकि वे अपनी प्रतिभा और ऊर्जा जनता के सामने पेश कर सके । जनता और मीडिया को पूरी उम्मीद थी कि भजनलाल प्रेस के जरिये अपने पैने और दूरदृष्टि वाले विजन का प्रदर्शन करेंगे । लेकिन इनके संबोधन में कोई नया विजन बिल्कुल भी नही दिखाई दिया ।
प्रेस कॉन्फ्रेंस से ऐसा लगा कि नए मुख्यमंत्री ने केवल रस्म अदायगी के लिए पेपर लीक के एसआईटी का गठन किया है । एंटी यंगस्टर्स स्क्वाड के गठन का औचित्य क्या है, यह समझ से बाहर है । इस तरह की स्क्वाड का गठन यूपी में किया जा चुका है । इसके बहुत ज्यादा सार्थक परिणाम सामने नही आये है ।
मुख्यमंत्री युवा है । इनमे खुद का विजन होना चाहिए । लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नही मिला । यूपी या योगी आदित्यनाथ की नकल के बजाय मुख्यमंत्री को खुद का विजन पेश करना चाहिए । प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखकर ऐसा लगा मानो वे कोई सरकारी प्रेस नोट का पठन कर रहे हो । नकल रोकने के लिए पहले ही सख्त कानून बनाया जा चुका है । इसके अलावा एसआईटी भी नकल गिरोह की जांच कर चुकी है । ऐसे में मुख्यमंत्री ने नकल रोकने की दिशा में नया क्या पेश किया, यह समझ नही आया ।
अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री बनने के साथ ही पश्चिम बंगाल की तर्ज पर राजस्थान में सीबीआई की जांच पर रोक लगाने का आदेश पारित कर भ्रस्टाचार का मार्ग प्रशस्त किया । आपको ध्यान होगा कि शारदा चिट फंड कम्पनी की जांच के सिलसिले में जब सीबीआई के अधिकारी पश्चिम बंगाल गए तो वहां की पुलिस ने सीबीआई अधिकारियों को ही हिरासत में ले लिया था । बाद में राज्य सरकार ने सीबीआई की जांच पर ही रोक का आदेश जारी कर दिया ।
इसी तर्ज पर गहलोत ने भी सीबीआई की जांच पर पाबंदी लगादी थी । नतीजतन सीबीआई अब बिना राज्य सरकार की मंजूरी के किसी भी केंद्रीय अधिकारी के खिलाफ जांच नही कर सकती है । केंद्र प्रवर्तित अरबों रुपये की राशि का राज्य सरकार के अधिकारियों ने घपला किया है । सीबीआई जांच में बहुत गड़बड़ियां सामने आई । सीबीआई की ओर से अनेक बार राज्य सरकार को जांच के लिए लिखा गया था । लेकिन भ्रस्ट अफसरों को पनाह देने वाली गहलोत सरकार ने जवाब तक देना मुनासिब नही समझा ।
नए मुख्यमंत्री से उम्मीद थी कि जिस तरह गहलोत ने सीबीआई पर पाबन्दी लगाई थी, ठीक उसी तरह वे पाबन्दी हटाने की घोषणा कर अपने मजबूत इरादों को जाहिर करेंगे । खेद का विषय है ऐसा कुछ भी नही हुआ । एसआईटी का गठन करने से कुछ नही होने वाला है । भ्रस्टाचार की असली जड़ है राजस्थान लोक सेवा आयोग । आज यह संस्था लूटने और भ्रस्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन गई है । अध्यक्ष से लेकर सदस्यों तक गहलोत के चिलमची काबिज होकर बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ कर रहे है ।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को चाहिए था कि वे सर्वप्रथम राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने की घोषणा कर अपने दृढ़ इरादों को जाहिर करते । प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पक्के इरादे वाले व्यक्ति है । इनकी कसौटी पर खरा उतरना है तो भजनलाल को ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय करने होंगे । हां, पांच साल तक टाइम ही पास करना है तो करते रहो तबादले और मंत्रिमंडल का गठन ।