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किसानों की हिमायत के नाम पर कांग्रेस की ओर से दिए गए धरने पर सचिन पायलट की उपस्थिति को राजनीतिक लोग बड़े ही रहस्यमय और कौतूहल की दृष्टि से देख रहे है । जबकि हकीकत यह है कि अब पायलट के पास गहलोत के समक्ष नत मष्तक होने के अलावा कोई विकल्प नही है ।अगर सचिन को अपना वजूद बचाना है तो फिलहाल उसे गहलोत से कदमताल करना ही होगा । राजनीति के इस नौसिखिए खिलाड़ी ने पहले जो गलती की थी, अब उसकी पुनरावृति कर पैरों में कुल्हाड़ी नही मारना चाहता है । इसलिए सचिन बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से फूंक फूंक कर कदम उठा रहे है ।
पायलट अब पूरी तरह कंगाल हो चुके है । ना तो उनके पास संगठन में कोई पद है और न ही मंत्रिमंडल में कोई स्थान बचा है । अपनी बचकानी और मूर्खतापूर्ण हरकतों की वजह से वे ना केवल उप मुख्यमंत्री का पद गंवा बैठे है बल्कि उनको पीसीसी चीफ का पद भी छोड़ना पड़ा है । वे खुद तो डूबे, साथ ही अपने 18 साथियों को भी ले डूबे । ये तमाम लोग इसलिए सचिन के साथ भाजपा में जाने के लिए उतावले हुए ताकि मंत्री पद पा सके । लेकिन जब भाजपा ने इनको अंगूठा दिखा दिया तो लौट के बुद्धू घर को आगये ।
पायलट ने महसूस किया है कि कांग्रेस में जगह बनानी है तो खामोश होकर बैठना पड़ेगा । वे भलीभांति जानते है कि अशोक गहलोत को बाईपास करके वे कुछ भी हासिल नही कर सकते । इसलिए मजबूरीवश उनको गहलोत के साथ धरने पर बैठना पड़ा । हालांकि पायलट पूरी तरह से गहलोत से तालमेल करने की कोशिश कर रहे है । लेकिन गहलोत इनको माफ करने के मूड में नही है । तभी तो पायलट के अभिवादन को भी गहलोत नजरअंदाज कर गए ।
पायलट की बचकानी हरकतों से गहलोत को काफी मुसीबत झेलनी पड़ी । पहले मुख्यमंत्री बनने के लिए पायलट ने खूब नाटक किया । उप मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे समानांतर सरकार चलाते रहे । और बाद में भाजपा के कुछ नेताओं की सांठगांठ से सरकार को गिराने की साजिश को अंजाम देने की कोशिश की । हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाकर गहलोत के लिए मुसीबत खड़ी करते रहे । पायलट का एकमात्र उद्देश्य गहलोत को अपदस्थ करना । लेकिन राजनीति के जादूगर ने पायलट की तमाम कुटिल चाल को बेपर्दा करते हुए अपनी कुर्सी बचा ली ।
निश्चय ही आज पायलट पदविहीन होकर हाशिये पर बैठे हो । लेकिन पार्टी में विग्रह के मद्देनजर आलाकमान इनको और इनके कुछ साथियों को एडजस्ट करने की जुगत में है ताकि राजस्थान में पार्टी और सरकार निर्विध्न संचालित होती रहे । इसलिए प्रदेश कार्यकारिणी की सूची इतने दिनों से अटकी हुई है । विदेश यात्रा से लौटकर राहुल वापिस आगया है । उम्मीद है कि कल सूची जारी हो सकती है । सूची में सचिन के कुछ लोगों को भी स्थान मिलने के कयास लगाए जा रहे है ।
हालांकि गहलोत और पायलट के खेमे के बीच काफी दूरियां बनी हुई है । दोनो गुट एक दूसरे को परास्त करने की योजना में समय व्यतीत कर रहे है । इनकी आपसी फूट के कारण राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल का विस्तार हासिये पर चला गया है । दोनो गुटों ने अपने विधायको को बाड़े में बंद रखा था । बाड़े में बंद दोनों गुटों के विधायक इसका मुआवजा मांगने के लिए काफी दिनों से दबाव डाल रहे थे । इन विधायकों को उचित स्थान नही मिला तो असन्तोष पैदा होना स्वाभाविक है ।
हकीकत यह है कि पार्टी के बीच अव्वल दर्जे की मारधाड़ मची हुई है तथा पार्टी को नेताओ ने टुकड़ो में बांटकर रख दिया है । जितने नेता, उतने धड़े । राजस्थान के प्रभारी अजय माकन भी लाख मशक्कत के बाद भी इलाज करने में असहाय है । अगर सचिन पायलट गुट को उचित प्रतिनिधित्व नही मिला तो खुलकर मारकाट मचेगी । उधर गहलोत के प्रति वफादार विधायको की अपेक्षा पूरी नही हुई तो उधम मचाने में ये भी पीछे नही रहेंगे । यानी मारधाड़, घमासान और उधमबाजी मचना अवश्यम्भावी है ।