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उल्टा पड़ा गहलोत का दांव, कुर्सी छोड़ने के निर्देश, गहलोत नही बनने देंगे पायलट को मुख्यमंत्री
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राहुल को मनाने गए अशोक गहलोत को होना पड़ा निराश । दो टूक शब्दों में राहुल ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद बनने से किया इनकार । हालांकि राहुल पहले ही इनकार कर चुके थे कि वे अध्यक्ष नही बनना चाहते है । बावजूद इसके गहलोत उन्हें मनाने के लिए आज केरल के कोच्चि पहुंचे थे । मेरे पत्रकार मित्र अनुपम शुक्ला का कहना है कि राहुल से मुलाकात के बाद गहलोत के चेहरे पर उदासी देखने को मिली । अनुपम प्रारम्भ से ही भारत यात्रा को कवर कर रहे है ।
अनुपम के अनुसार राहुल आज बड़े ही आक्रमक थे । उन्होंने गहलोत की बात सुनने के बजाय उन्हें निर्देश दिए है । इसके बाद गहलोत के तेवर ढीले पड़ गए । कल तक गहलोत दोनो पदों पर कार्य करने पर अड़े हुए थे । लेकिन आज उनकी बोली अचानक बदल गई । उनका कहना है कि अध्यक्ष पद पर रहते हुए कोई भी व्यक्ति सीएम का दायित्व ढंग से निर्वहन नही कर सकता है । इसका सीधा अर्थ यह निकलता है कि गहलोत को सीएम की कुर्सी छोड़ने का निर्देश दे दिया गया है । वे कब तक इस पद पर बने रहेंगे, इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी ।
अनुपम का मानना है कि अब अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने के अलावा गहलोत के पास कोई विकल्प नही बचा है । ज्ञातव्य है कि अशोक गहलोत शुरू से ही अध्यक्ष बनने के इच्छुक नही थे । क्योंकि अध्यक्ष बनने का मतलब सीएम की कुर्सी छोड़ना । जबकि गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के पक्ष में नही है । नए हालातों में राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन काबिज होगा, यह देखना दिलचस्प होगा ।
राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है जहां पिछले ढाई साल से गहलोत और सचिन के बीच सियासी घमासान चल रहा है । राजनीतिक स्थिति कभी गहलोत के पक्ष में होती है तो कभी सचिन के । इस वजह से राजनीति के जानकारों के अनुमान और विश्लेषण धराशायी होकर रह जाते है । कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर अभी तक तय नही हो पाया है कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा । क्या गहलोत को शिरडी बाबा का आशीर्वाद मिलेगा ? क्या वे अपनी कुर्सी बचा पाने में कामयाब होंगे, ये कुछ ऐसे सवाल है जिनके नतीजे अगले कुछ दिनों में दिखाई देंगे ।
बहरहाल, गहलोत का हर सम्भव प्रयास होगा कि सचिन पायलट किसी भी हालत में इस कुर्सी पर नही बैठ पाए । क्योकि सचिन सीएम बनते है तो गहलोत की तमाम जादूगरी और 50 साल के तजुर्बे की शर्मनाक पराजय होगी । ऐसे में विधायक दल की बैठक में नए नेता के चयन की प्रक्रिया अपनाने का गहलोत अंतिम दाव खेल सकते है । अगर ऐसा हुआ तो सचिन का नेता निर्वाचित होना बेहद कठिन होगा । 123 विधायको में 75 से ज्यादा विधायक गहलोत के इशारे पर वोटिंग करेंगे । अगर सचिन को दिल्ली से सीएम बनाकर भेजा जाता है तो बड़ा बखेड़ा होने की सम्भावनाओ से इनकार नही किया जा सकता है ।