उल्टा पड़ा गहलोत का दांव, कुर्सी छोड़ने के निर्देश, गहलोत नही बनने देंगे पायलट को मुख्यमंत्री
Ashok Gehlot, Sachin Pilot, Congress, Rajasthan, Jaipur
राहुल को मनाने गए अशोक गहलोत को होना पड़ा निराश । दो टूक शब्दों में राहुल ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद बनने से किया इनकार । हालांकि राहुल पहले ही इनकार कर चुके थे कि वे अध्यक्ष नही बनना चाहते है । बावजूद इसके गहलोत उन्हें मनाने के लिए आज केरल के कोच्चि पहुंचे थे । मेरे पत्रकार मित्र अनुपम शुक्ला का कहना है कि राहुल से मुलाकात के बाद गहलोत के चेहरे पर उदासी देखने को मिली । अनुपम प्रारम्भ से ही भारत यात्रा को कवर कर रहे है ।
अनुपम के अनुसार राहुल आज बड़े ही आक्रमक थे । उन्होंने गहलोत की बात सुनने के बजाय उन्हें निर्देश दिए है । इसके बाद गहलोत के तेवर ढीले पड़ गए । कल तक गहलोत दोनो पदों पर कार्य करने पर अड़े हुए थे । लेकिन आज उनकी बोली अचानक बदल गई । उनका कहना है कि अध्यक्ष पद पर रहते हुए कोई भी व्यक्ति सीएम का दायित्व ढंग से निर्वहन नही कर सकता है । इसका सीधा अर्थ यह निकलता है कि गहलोत को सीएम की कुर्सी छोड़ने का निर्देश दे दिया गया है । वे कब तक इस पद पर बने रहेंगे, इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी ।
अनुपम का मानना है कि अब अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने के अलावा गहलोत के पास कोई विकल्प नही बचा है । ज्ञातव्य है कि अशोक गहलोत शुरू से ही अध्यक्ष बनने के इच्छुक नही थे । क्योंकि अध्यक्ष बनने का मतलब सीएम की कुर्सी छोड़ना । जबकि गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के पक्ष में नही है । नए हालातों में राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन काबिज होगा, यह देखना दिलचस्प होगा ।
राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है जहां पिछले ढाई साल से गहलोत और सचिन के बीच सियासी घमासान चल रहा है । राजनीतिक स्थिति कभी गहलोत के पक्ष में होती है तो कभी सचिन के । इस वजह से राजनीति के जानकारों के अनुमान और विश्लेषण धराशायी होकर रह जाते है । कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर अभी तक तय नही हो पाया है कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा । क्या गहलोत को शिरडी बाबा का आशीर्वाद मिलेगा ? क्या वे अपनी कुर्सी बचा पाने में कामयाब होंगे, ये कुछ ऐसे सवाल है जिनके नतीजे अगले कुछ दिनों में दिखाई देंगे ।
बहरहाल, गहलोत का हर सम्भव प्रयास होगा कि सचिन पायलट किसी भी हालत में इस कुर्सी पर नही बैठ पाए । क्योकि सचिन सीएम बनते है तो गहलोत की तमाम जादूगरी और 50 साल के तजुर्बे की शर्मनाक पराजय होगी । ऐसे में विधायक दल की बैठक में नए नेता के चयन की प्रक्रिया अपनाने का गहलोत अंतिम दाव खेल सकते है । अगर ऐसा हुआ तो सचिन का नेता निर्वाचित होना बेहद कठिन होगा । 123 विधायको में 75 से ज्यादा विधायक गहलोत के इशारे पर वोटिंग करेंगे । अगर सचिन को दिल्ली से सीएम बनाकर भेजा जाता है तो बड़ा बखेड़ा होने की सम्भावनाओ से इनकार नही किया जा सकता है ।