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गहलोत की चाल से भाजपा बेहाल, लखावत या तो हारेंगे अथवा भागेंगे
महेश झालानी
भाजपा के प्रत्याशी ओंकारसिंह लखावत की राज्यसभा चुनावो में पराजय सुनिश्चित है। अपनी इज्जत को बचाने के लिए वे कांग्रेस पर मनगढ़ंत आरोप मंढ कर या स्वास्थ्य का बहाना बनाकर मैदान से भाग भी सकते है।
अभी तक ऐसा कोई गणित नही बना जिसकी वजह से 102 वोटों की भरपाई 72 मतों से हो जाये। ऐसे में लखावत के शर्मनाक पराजय अथवा चुनाव में पीठ दिखाने के अलावा कोई विकल्प नही है । बेहतर होगा कि लखावत आत्मसमपर्ण करदे अन्यथा वर्षो से अर्जित उनकी प्रतिष्ठा ध्वस्त होकर रह जायेगी।
प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की सिफारिश पर भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजेन्द्र गहलोत के अलावा चौथे उम्मीदवार के रूप में लखावत को भी टिकट दे दी। भाजपा को भरोसा था कि वे निर्दलीयों के अलावा सचिन पायलट की मदद से कांग्रेस के असंतुष्ट विधयकों को तोड़कर लखावत की नैया पार करा देंगे। लेकिन गहलोत की अभेद्य नीति के कारण कांग्रेस नही, भाजपाइयों के भी टूटने का खतरा उत्पन्न होगया है।
तयशुदा बात है कि कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी वेणुगोपाल और डांगी अपेक्षाकृत ज्यादा मतों से विजयी होंगे। कॉन्ग्रेस के दोनों प्रत्यशियों को जीतने के लिए महज 102 मतों की आवश्यकता है। जबकि गहलोत ने इसके मुकाबले 125 मतों का जुगाड़ कर रखा है। यानी जरूरत से भी करीब 13 विधायक ज्यादा।
इन परिस्थितियों में भाजपा के दूसरे प्रत्याशी ओंकारसिंह लखावत की दयनीय हालत का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है। इस समय देश मे अशोक गहलोत को जल्दी सी मात देने वाला नेता नही है। अपने को चाणक्य समझने वाले अमित शाह की भी गहलोत के सामने घिग्घी बंध जाती है।
गहलोत को अंदेशा होगया था कि विधायको की खरीद फरोख्त के बोरी भरकर नोट जयपुर आ सकते है। महारथी गहलोत ने महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) एमएल लाठर से कोरोना की आड़ लेकर सीमाओं को सील करने का आदेश जारी करवा दिया बाद में संशोधित कर बॉर्डर को सील करने के बजाय नियंत्रित करने के आदेश प्रसारित हुए जो आज भी लागू है ।
गहलोत की इस चाल से षड्यंत्र रचने वालों के सारे मंसूबो पर पानी फिर गया । सीमा पर कड़ी चौकसी के कारण नोटों की बोरियां अटक कर रह गई। इस प्रकार बीजेपी एन्ड कम्पनी का ड्रामा मंचन से पहले ही फ्लॉप होगया । कोई अप्रत्याशित घटना घटित नही हुई तो 19 जून को वेणुगोपाल, नीरज डांगी कांग्रेस से और राजेंद्र गहलोत भाजपा से राज्यसभा के सदस्य होंगे। बेचारा लखावत....?
लेखक राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार है और उनके निजी विचार है.