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आखिर राजस्थान सरकार के अगस्ता हेलीकॉप्टर का होगा क्या, अधिकारी इसका समाधान खोजने में विफल हो रहे है। सरकार इस हेलीकॉप्टर से जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहती है, मगर इसको कोई भी कम्पनी या कबाड़ी कोडियो में खरीदने के लिए तैयार नही है।
राज्य सरकार ने 2006 में इस बहुचर्चित अगस्ता हेलीकॉप्टर ए 109 ई को 20 करोड़ में खरीदा था। लेकिन अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल के दौरान चूरू जाते वक्त इस विमान में अचानक खराबी आगई थी। लिहाजा आपात लैंडिंग करते हुए इसे खेत मे उतारा गया। बाद में इस हेलीकॉप्टर को ट्रक में लादकर जयपुर लाया गया । तभी से यह स्टेट हैंगर पर कबाड़ के रूप में खड़ा है।
राज्य सरकार ने अनेक बार इस कबाड़ हेलीकॉप्टर से छुटकारा पाने की कोशिश की, लेकिन सफलता हासिल नही हुई। पहले 12.40 करोड़ में बेचने के लिए आंतरराष्ट्रीय टेंडर जारी किए गए । लेकिन कोई भी खरीददार ने इसमें रूचि नही दिखाई।
पिछले माह इसका मूल्य घटाकर 4.5 करोड़ रुपये किये गए और बोली की तिथि 4 सितम्बर तय की गई । परन्तु इस तारीख को भी किसी ने कोई रुचि नही दिखाई। पिछले 9 साल से खड़े इस हेलीकॉप्टर पर 3 लाख सालाना व्यय इसके रखरखाव के नाम पर नाली में बहाए जा रहे है। जबकि इसके मेंटिनेंस पर एक पैसा खर्च नही हो रहा है।
सरकार समझ नही पा रही है कि इससे छुटकारा कैसे पाया जाए। स्क्रेप कॉर्पोरेशन ने भी अब अपने हाथ खड़े कर लिए है। राज्य सरकार के अधिकारी नए सिरे से इसको बेचने के लिए जुट गए है। सरकार को चाहिए कि इसे तौल के भाव मे बेचकर छुटकारा पाना चाहिए।