जयपुर

भूपेंद्रसिंह ईमानदार है तो उन्हें देना चाहिए इस्तीफा

Shiv Kumar Mishra
16 Oct 2020 3:08 PM IST
भूपेंद्रसिंह ईमानदार है तो उन्हें देना चाहिए इस्तीफा
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स्वेच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) का अर्थ होता है कि कार्मिक द्वारा अपनी मर्जी से सेवा से छुटकारा पाना । यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी राजकीय सेवा करने का इच्छुक नही है तो वह 50 वर्ष की आयु अथवा 20 वर्ष की सेवा पूरी करने के लिए आवेदन कर सकता है । वीआरएस का निचोड़ यही है कि व्यक्ति की अब बिल्कुल भी सेवा करने में रुचि नही है । यानी वह सरकारी झंझटों से छुटकारा पाना चाहता है ।

राजस्थान के निवर्तमान डीजीपी डॉ भूपेंद्र सिंह यादव जिन्हें बहुत ही ईमानदार माना जाता है, ने भी सरकारी झंझटों से छुटकारा पाने के लिए स्वेच्छिक सेवानिवृति ग्रहण की । नैतिक ईमानदारी का तकाजा यही था कि उन्हें आरपीएससी के अध्यक्ष का पद नही ग्रहण करना चाहिए था । लेकिन ऐसा नही हुआ । पूरी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी ।

महज छह माह के अतिरिक्त कार्यकाल का लाभ लेने के लिए भूपेंद्र सिंह ने पहले वीआरएस का स्वांग रचा । आरपीएससी के चैयरमैन दीपक उप्रेती का कार्यकाल समाप्त होता, उससे पहले ही भूपेंद्र सिंह भागकर अजमेर पद ग्रहण करने पहुंच गए । जब उनको सरकारी कामकाज का मोह ही नही था तो इन्होंने आरपीएससी के अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए इतनी भागदौड़ क्यों की ?

हकीकत में देखा जाए तो यह पूरी तरह नैतिक रूप से बईमानी और कुटिल चालबाजी है । जो व्यक्ति नैतिक रूप से बेईमान हो, वह ईमानदारी से योग्य व्यक्तियों का चयन कर पायेगा ? सचमुच भूपेंद्र सिंह अपने को ईमानदार समझते है तो उन्हें तत्काल आरपीएससी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए । क्योकि प्रतिष्ठा से बड़ा पद नही होता है ।

छह माह अतिरिक्त कार्य कर भूपेंद्र सिंह ज्यादा से ज्यादा 20 लाख रुपये और अर्जित कर सकते है । क्या यह राशि उनकी प्रतिष्ठा से बहुत बड़ी है ? क्या वे रोटी में सोना मिलाकर खाने की ख्वाहिश रखते है ? नही तो इन्हें अविलम्ब इस्तीफा देकर समूचे देश मे एक मिसाल कायम करनी चाहिए । हाल ही में हुई नियुक्तियों के बाद प्रदेश में यह चर्चा जोरों पर है कि भर्तियों में खूब लूटपाट मचेगी ।

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