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पायलट खेमे के एक विधायक से अनोपचारिक वार्ता, अशोक गहलोत शीघ्र ही भूतपूर्व मुख्यमंन्त्री हो जाएंगे!
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी से सचिन पायलट खेमें के एक विधायक से अनौपचारिक बातचीत हुई, जिसमें विधायक ने कई बड़े खुलासे किये और कहा कि जल्द ही अशोक गहलोत पूर्व मुख्यमंत्री हो जायेंगे।
यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद और आधारहीन है कि हम लोगो को बंधक बना रखा है। हकीकत इसके उलट है। अशोक गहलोत ने विधायको को सादा वर्दी में तैनात सीआईडी तथा एटीएस (एंटी टेरोरिस्ट स्क्वायड) की निगरानी में जबरन कैद कर रखा है। कई विधायक निरन्तर हमारे संपर्क में है जो होटल फेयर माउंट से बाहर निकलने को आतुर है। कैद में छटपटा रहे विधायको का कहना है कि गांधीवादी अशोक गहलोत का विकृत चेहरा खुलकर सामने आ गया है।
सचिन पायलट खेमे के एक अंसतुष्ट खेमे से ताल्लुक रखने वाले एक विधायक ने अनोपचारिक बातचीत में आरोप लगाया कि गहलोत एक नम्बर के झूठे और ढोंगी व्यक्ति है। बात बात में झूठ बोलना इनकी आदत में शुमार है। एक तरफ अब वे कह रहे है कि पिछले डेढ़ साल से सचिन पायलट और उनके बीच डायलॉग नही हुए है। जबकि मीडिया द्वारा जब भी दोनों के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने हमेशा प्रगाढ़ता की बात की। यहाँ तक कि इन्होंने प्रेस का भी मजाक उड़ाया था। गहलोत ने कहा था कि हम दोनों के रिश्तों में किसी प्रकार की कोई खटास नही है। अलबत्ता आप लोग (प्रेस वाले) आपस मे आये दिन लड़ते रहते है। इसी वजह से प्रेस क्लब का भी सत्यानाश होगया है।
पायलट को नकारा, निकम्मा कहने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विधायक ने कहा कि जिस व्यक्ति की कुर्सी जा रही हो, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ना स्वभाविक है। दरअसल गहलोत के मन मे पायलट के प्रति प्रारम्भ से ही घृणा का भाव रहा है। पायलट के कारण आज गहलोत मुख्यमंन्त्री की कुर्सी पर काबिज है। वरना जब भी गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया, तब पार्टी की क्या हालत हुई, सभी जानते है । इनका मानसिक संतुलन तब और बिगड़ जाएगा, जब कुर्सी इनके हाथ से खिसक जाएगी। सप्ताह भर इंतजार करो, गहलोत भूतपूर्व हो जाएंगे।
भाजपा में शामिल होने या नया मोर्चा आदि बनाने के बारे में क्या निर्णय होगा, यह मुझे नही पता। केवल पायलट साहब ही जानते है। विधायक ने कहाकि वे लोग भी पार्टी के प्रति गहलोत से ज्यादा समर्पित है। लेकिन जब गहलोत ने अपनी ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पर देशद्रोह का मुकदमा दायर किया तो क्रोध स्वाभाविक है। इस मुकदमे से गहलोत की नीयत का साफ पता लग जाता है। एसओजी, एसीबी, सीआईडी आदि कई एजेंसियों के सैकड़ो व्यक्तियों को हमारी गिरफ्तारी के लिए तैनात कर रखा है । लेकिन गहलोत अपने मंसूबो में कामयाब नही होंगे।
आप लोगो के रहने और खाना आदि का खर्चा कौन उठा रहा है, के जवाब में विधायक ने प्रतिप्रश्न किया कि यह सवाल गहलोत से क्यो नही पूछते ? वास्तविकता यह है कि गहलोत विधायकों का विश्वास खो चुके है। अलबत्ता तो फ्लोर टेस्ट का मौका ही नही आएगा। अगर आ भी गया तो गहलोत को मुँह की खानी पड़ेगी। 80 से ज्यादा विधायक जुटाने में पसीना आएगा।