जयपुर

जय श्री राम, आ गऐ आपके शहर में मिलावट राम

Shiv Kumar Mishra
24 Sept 2020 12:10 PM IST
जय श्री राम, आ गऐ आपके शहर में मिलावट राम
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मो हफीज

आज सुबह अचानक भ्रमण पर निकले तो राम जी की कृपा से काफी दिनों से ओझल हुए मिलावट राम जी से भेंट हो गई।राधे राधे जय श्री राम के सम्बोधन के बाद मिलावट राम जी ने प्यारी सी मुस्कान के बाद कुछ अपनी कही कुछ हमारी सुनी। इधर उधर की करने के बाद हमने कहा भाई मिलावट राम जी पुलिस की सजगता के कारण इन दिनों आपके कारोबार में कुछ मुश्किलें बढ़ गई है कुछ दिनो तो एक अभियान चला था अवधि पार मिलावटी खाद्य पदार्थों के विरुद्ध पर अब सब कुछ ठीक हो गया है। मिलावट राम जी ने हमारी बात काटते हुए कहा वे यहीं नहीं रुके कहने लगे अरे भाई बसंता हमारे धंधे को मुग़ल बादशाह अंग्रेजी शासन नहीं रोक पाऐ आज के शासन में कंहा दम रहा है जो हमारे धंधे को रोक पाऐ। कुछ समय की बात है नतीजा ढाक के तीन पात जेसा समय वेसादाम फिर शुरू हो गया काम फिर हमें ही नेताजी का दारोगा स्वास्थ्य विभाग सबका ही खयाल रखना पड़ता है हमने कहा की पहले तो शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलता था गांधी वादी शासन में इस बार भी अवधि पार मिलावटी खाद्य पदार्थों पर सरकार की मार पडी लेकिन कुछ ही समय में सब कुछ शांत हो गया।

बंसता जी गांधीवादी शासन हो या राम भक्ति का जाप करने वाले सत्यवादी हरिश्चंद्र बने मर्यादा पुरुषोत्तम का प्रचार प्रसार करनेवाला शासन हो काम तो सभी शासन में गांधी छाप नोटों के दर्शन लाभ से ही निकलते हैं सभी को प्यार गांधी छाप नोटों से है। कुछ दिनो अभियान की सख्ती फिर नोटों की मान मनुहार से सभी के दिल मोम हो जाते है।अब भाई बंसता जी देखो तो पिछले शासन में तो सभी नेता हमारे अपने भाई बंधू स्वजातीय राम भक्त मर्यादा पुरुषोत्तम के मानने वाले थे तब हमें कोई परेशानी नहीं हुई बस जय श्री राम किलों का आठ सौ ग्राम वह भी रामजी की कृपा से शुद्ध मिलावटी देशी घी तोलने का काम हम मज़े से करतें थे। अबकी बार विधायकों की बाडा बंदी सैर सपाटे का खर्च आनंद शोक मोज मनुहार का खर्च कुछ ज्यादा हो गया है तों वसूली तो बनती है ना। इस कोरोना काल में जनता को ही निचोडना राजधर्म हैं सो कोई इधर से कोई उधर से दे दनादन भार तो सारा जनता को ही ढोना पड़ता है। हमने कहा भाई यह तों लोकतंत्र का अपमान है घोर अपमान लोकतंत्र में तो जनता ही जनार्दन होती हैं। दुखी परेशान हाल जनता कोरोना महामारी से मरी जा रही है और उसे हर जगह मिलावट का सामान बेचा जा रहा है इससे जनता की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी यह तों बडा अनर्थ हैं।

मिलावट राम जी ने हमें बड़े त्रिरस्कार से कहा भाई बसंता तू है बडा भोला है भोले भंडारी तुझे पता ही नही मंदिर के नाम पर भगवान की मर्यादा को तार तार कर मुंह में राम बगल में छुरी रखने वाले नेताओं से जन सेवा की आशा रखना देश की जनता के लिए एक छलावा से कम नहीं है नेताओं के छलावे झूठ पर भरोसा करना देश की जनता के भाग्य के अमिट लेख है और नेताजी के झूठ को भगवान भाग्य का लेख समझ जनता आज भी ठगी जारही है। गांधीजी के त्यागी तपस्वी जीवन को अपनी आत्मा से निकाल कर सत्ता को ही सत्य मोक्षदायिनी मानकर उसी के लिए जीने मरने वाले नेताओं से जन कल्याण की आशा करना तेरे जेसे भोले भंडारी भक्त के लिए ठीक है। राजनीति में आज के समय यह कोरी बकवास है।

भाई बसंता राजनेताओं के आलीशान बंगले पार्टी कार्यालय चम चमाती गाड़ीयां नेताओं के पृचार में उड़ते हेलीकॉप्टर हवाई यात्रा के खर्च कंहा से आते हैं भाई नेता पुत्रों की हर शाम रंगीन हर दिन होली हर रात दिवाली ऐसे ही थोडी मनती है इसके लिए हमारे जेसो को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। दीपावली पर अफसरों का बबलू भ्रष्टाचार की फुलझडी अत्याचार का अनार ट्रासंफर की दलाली की कव्वाली जो सुनता है उसके लिए तो हमे ही त्याग बलिदान करना पडता है। हमने कहा मिलावट राम जी राम भजो आप तो हमारे राम भक्ति से सराबोर मर्यादा का जाप अपने मुख से करने वाले नामी परनामी शेषनामी बहुनामी अनामी कुलनामी फुल नामी काली के चरणों स्वामी प्रकाण्ड पंडित तिलक जनेऊ धारी नेताजी के जीवन की अखण्ड प्रयोगी सत्यगामीयोगीजी जिनके मुख से श्रीराम दया के सागर है जाप निरन्तर चलता हो उनके चेहरे परभ्रष्टाचार अत्याचार की कालिख पोतने का सरासर ग़लत काम कर रहे हो। खबरदार हमारे नेता भोले भंडारी धन लोभ माया से अंजान अज्ञानी है। इस पर मिलावट राम जी ने नहले पर दहला मार दिया कहा की एक राम राजा दशरथ का बेटा एक राम जन जन के घट में बेठा। भाई बसंता घट में बेठे राम को अपनी आत्मा से निकाल फेंकने को राम जी की तलाश मंदिर मस्जिद चर्च में होती हैं।जब आत्मा से राम निकल जाएं तो व्यक्ती की आत्मा भी मर जाती हैं मरी हुई आत्मा के लोग ही फिर मकान दुकान बेंक बेलेंस पद की प्रतिष्ठा में आत्मिक सुख तलाश करतें हैं तीर्थों की यात्रा में मारे मारे फिरते हैं पर सुख नहीं पाते हैं।

हमने मिलावट राम जी की बात काटते हुए कहा की भाई ये तो रोज गोविंद के दरबार में जाते हैं नोरात्रे रोजे भी करते हैंमिलावट राम जी बोलें की ये भगवान की मूर्ति मे ईश्वर को जानकर दोनों आंखें बंद कर प्रार्थना करते हैं है भगवान मेरी बंद आंखें तेरी साक्षात मूर्ति को नहीं देख रही बस तू मेरे कर्मो को मत देखना। मैं तेरे नाम को बडा भोज करुंगा तेरा सत्संग कराउंगा। बसंता भाई यह व्यापार और व्यापार करना हमारे खून में शामिल हैं जो हमें हर शासन में भगवान भक्त दोनों से करना आता है।हमने कहा भाई जीवित आदमी की आत्मा मे तो परमात्मा रहता है इसीलिए हमारे धर्म में आत्मा को परमात्मा माना गया है। गरीब मजदूर किसान आदमी की आत्मा को सताने वाला ईश्वर कादास ईश्वर का बंदा अब्दुल्ला नहीं हो सकता है ईश्वर इनकी आत्मा में कभी निवास नहीं करता। ये तो बडे अधर्मी काम करते हैं मिलावट राम जी झट से बोले बावरे हमारी आत्मा में हमारे कुकर्मों की काली स्याही का इतना घना अंधेरा छाया है जिससे घबराकर हामारे शरीर से हमारी आत्मा का स्वर्गवास बहुत पहले ही हो गया है अब कहां आत्मा कंहा परमात्मा बस भोतिक दुनिया में भोतिक शरीर को सुखी रखने के लिए ही हम अधर्मी जी रहे हैं। हमे अब लोक लाज भगवान का डर कंहा है हमें अब मंदिर मस्जिद से ज्यादा शमशान घाट जाने की जरूरत है।

श्मशान कावीराना जले शरीर की राख मिट्टी का ढेर भी हमारा जीवन बदलने की प्ररेणा हमें अब कंहा देता है।सब कुछ होने के बाद भी हमारे शरीर में एक वीराना है जिसमे हमारी अकेली आत्मा चीखती-चिल्लाती है जो हमे रात को भी सोने नही देती है। नींद के लिए नशा करना अपने कर्मों को भूलने की यही एक दवा है देश का गरीब अपने दुखों को भूलने के लिए तो हम अपने पापों को भूलने के लिए शराब के नशे में डूबे हैं। गली गली में शराब के ठेके खुलें है यह उपलब्धि हमारी सरकार की दिन रात बढ रही है। हमने फिर जोर देकर कहा की भाई देश में न्याय पालिका लोकतंत्र का चोथ स्तभं प्रेस मीडिया भी तों है भाई बसंता मी लार्ड को बनाने वाली सरकार को कोन चला रहा है वंहा भी तो हमारा ही बहुमत है और मीडिया का भी तों हम ही ध्यान रखते हैं ठाकुर साहब की बेटी की डोली की विदाई की बेला पर नाई के बराबर एक हिस्सा उनका नेग वे भी लेजाते है।अब पत्रकारिता एक व्यापार बन चुकी है जंहा पर हम जेसे भीमकाय काले कलूटे मालिक बने कलमची मरियल का पेट भरते हैं।पेट की आग आदमी को बागी बना देती हैं अब तो भ्रष्ट नोकरशाह दलाल चेनल चला रहे हैं उन्हें भी पेसा चाहिए जो हमारे पास है इसलिए हर शासन में राशन के बदले चंदे के बदले मिलावट राम की ही जय होती है और होती भी रहेगी?हमने भी अब चलने में ही अपनी भलाई समझी फिर बुढ़ापे में समय से घर जाना ठीक रहता है।राम राम जय श्री राम किलों के आठ सौ ग्राम खाओ और मिलावट राम के गुण गाओ राधे राधे।

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