जयपुर

गरीबी से निकले जितेंद्र तंवर ने बदली हजारों गरीबों की जिदंगी..

Special Coverage News
9 Jan 2019 5:03 AM GMT
गरीबी से निकले जितेंद्र तंवर ने बदली हजारों गरीबों की जिदंगी..
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सामान्य गरीब परिवार में जन्म लेना कभी भी भी प्रतिभाशाली व्यक्तीयो के लिए बाधा नहीं बना है। जन्म लेना वैसे भी व्यक्ति का अपनी ईच्छा अनुसार संभव नहीं है। जन्म मरण अप यस हानि ये विधाता के लिखे लेख होते जिसे हर व्यक्ति भोगता है। जन्म जात प्रतिभा के धनी लोग अपने कर्मो से अपना भाग्य स्वयं लिख देते हैं। इसी प्रकार के व्यक्ति जितेंद्र तंवर है जो सामान्य परिवार में जन्म लेकर अभाव अभियोग गरीबी से लडकर राजधानी जयपुर में नामदेव फाईनेंस कम्पनी के मालिक 31 वर्ष की आयू मे बन गए हैं। समाज के हजारों गरीब परिवारों की आर्थिक जरूरत को पूरा करके समाज के पिछडे गरीब तबकेकी आर्थिक हालत को बदलने का काम इनकी कम्पनी कर रही है।


गरीब और गरीबी का दंश बचपन में झेलकर बडे हुए जितेन्द्र ने गरीबी के कारण 12 वीं तक शिक्षा ग्रहण की है।अपने परिवार का सहारा बनने के लिए इन्होंने वर्ष 2004 से 2009 तक गांवों में बीमा के साथ ट्रेक्टर बेचने का काम किया है। सेल्स मेन बनकर एक ग्राहक को अपना सामान किस प्रकार बेचा जाता हैं उसके सर्व गुण जितेंद्र के व्यक्तित्व में समाहित है। महज 31 वर्ष की आयू मे 100 करोड़ रुपये वार्षिक टर्नओवर की कम्पनी के मालिक बने जितेन्द्र की सफलता स्वयं अपने आप मे एक मिसाल है जो दूसरे के लिए भी प्रेरणादायक हैं। वर्ष 2013 मे पंजाब राज्य की नामदेव फिन लीज कम्पनी को जितेंद्र ने खरीद कर आज अपनी मेहनत के बल पर जयपुर की बडी ख्याति नाम कम्पनी में शामिल कर दिया है।अपनी मेहनत से अर्जित कमाई से बहन भाईयों की स्वयं की शादी घर मकान जिसका सपना एकसाधारण व्यक्ति देखता है वह अपनी मेहनत से बिना किसी सहारे के ये हासिल कर चुके हैं।


अपनी गरीबी को याद रखकर जीवन जीने वाले जितेन्द्र कुमार का लक्ष्य समाज के कमजोर वर्गो का जीवन बदलना है। समाज बदलने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ये अपनी कम्पनी के माध्यम से वाजिब दरो पर सभी प्रकार के लोन देने का काम करते हैं।इनकी कम्पनी से पांच हजार परिवार अबतक लाभान्वित हो कर आर्थिक रूप से मजबूत हो चुके हैं। सफलता की उचांई हासिल करके लगातार अपने ग्राहकों कर्मचारियों से परिवारिक सम्बधं बनाए रखना और सबसे जुडे हुए रहना इनकी सफलता का मुख्य कारण है। राजधानी जयपुर के हरमाड़ा गाँव में पेदा होकर पले बढ़े ग्रामीण परिवेश के जितेन्द्र कुमार की सफलता समाज के लाखो करोड़ों अभाव अभियोग मे पलने वाले नोजवानों के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत है। कहते है कोशिश करने वालों की हार नहीं होतीइन पंक्तियों का यदी कहीं जीता जागता सबूत है तो वह प्रेरणा दायी व्यक्तित्व हमें जयपुर शहर में गुदडी के लाल के रुप में जितेंद्र तंवर मे दिखाई देता है।समाज में आज आरक्षण की बैशाखी प्राप्त करने के लिए मरनेमारने परउतारु हमारी दिशा हीन युवा पीढ़ी राजनेताओं के इशारों पर व्यर्थ के कामो मे लगकर अपने जीवन का अमुल्य समय अपनी जवानी की उर्जा नष्ट करने में लगी है।


हर समय काम नहीं होने का रोना पीटनेवाले नोजवानो के लिए जीवन के पथ पर जितेंद्र तंवर मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।अपने जीवन के अमुल्य समय को व्यर्थ के कामोमे नहीं लगाकर यदी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति मे लगाया जाए तो जीवन में कोई भी लक्ष्य प्राप्त करना असम्भव नहीं है।लक्ष्य सपने हमारे अपने है तो उन्हें प्राप्त करने के लिए मेहनत भी हमें ही करनी होगी।लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जो सपने हमने देखे हैं यदी हम उन्हें प्राप्त करना चाहते हैं तो सर्व प्रथम ईमानदारी से हमारी कोशिशों का जायजा लेकर अपनी कमियों पर भी विचार करके उन्हें दूर करने का प्रयास करें तब बडे से बडा लक्ष्य भी प्राप्त करना मुश्किल नहीं है। जवानी की सफलता की कहानी लिखना सही मायने में पुरुषार्थ हैंऔर ऐसे ही पुरुषार्थी सफल व्यवसायी समाज सेवी का नाम जितेंद्र तंवर हैं जिनके कठिन परिश्रम से अर्जित मुकाम के सामने सम्पूर्ण पुरस्कार अलकंरण छोटे पड जाते हैं।

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