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राजस्थान से बड़ी खबर: शीघ्र खुलने वाले है सुलह के दरवाजे, कल्ला और विश्वेन्द्र बन सकते है डिप्टी सीएम
सचिन पायलट गुट को वैसे तो पिछले साल भर से सुनहरे सपने दिखाए जा रहे है । लेकिन लगता है कि अब जल्दी ही इस गुट की मांग पूरी होंने की संभावना है । ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि इस माह के अंत तक गहलोत और पायलट गुट में सम्मानजनक समझौता हो सकता है ।
दोनों के बीच सुलह में सबसे बड़ा पेंच यह है कि पायलट जिनको मंत्री बनवाना चाहते है, गहलोत को उन नामों पर आपत्ति है । पायलट अपने खेमे से छह मंत्री बनवाना चाहते है । जबकि गहलोत अधिकतम तीन मंत्री बनाने पर सहमत है । पायलट ने पिछले दिनों छह विधायको की सूची प्रियंका गांधी को भिजवाई थी । जिनमे हेमाराम, विश्वेन्द्र सिंह, रमेश मीणा, दीपेंद्र सिंह, गजराज खटाना और वेदप्रकाश सोलकी का नाम था । गहलोत इनमें से हेमाराम, विश्वेन्द्र सिंह तथा मुरारी लाल मीणा को मंत्री बनाने को राजी है । जबकि पायलट सभी छह विधायको के लिए पैरवी कर रहे है । खटाना, दीपेंद्र सिंह और वेदप्रकाश सोलंकी के नाम से भी गहलोत को बेहद चिढ़ है ।
हालांकि विश्वेन्द्र सिंह मुख्यमंत्री से मिलने के बाद पायलट से भी मिलने गए । लेकिन अब उनकी ज्यादा निष्ठा अशोक गहलोत के प्रति है । सार्वजनिक रूप से विश्वेन्द्र सिंह मुख्यमंत्री की भरपूर तारीफ भी कर चुके है । यह भी चर्चा जोरों पर है कि आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में दो जनों को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है । ब्राह्मण कोटे से बीडी कल्ला और ओबीसी से विश्वेन्द्र सिंह । अगर कल्ला को उप मुख्य मंत्री नही बनाया जाता है तो शांति धारीवाल इस कुर्सी पर काबिज हो सकते है ।
कांग्रेस में झगड़ा विकराल रूप नही ले, इसलिए प्रियंका गांधी बीच बचाव करना चाहती है । उन्होंने पायलट को दिल्ली तलब किया है । लेकिन सूत्र इसकी पुष्टि नही करते है । क्योंकि प्रियंका फिलहाल हिमाचल प्रदेश है । वैसे आज नही तो कल पायलट की प्रियंका से बातचीत होना संभव है । वे छह नही तो चार विधायक हेमाराम, विश्वेन्द्र, रमेश मीणा और दीपेंद्र को मंत्री बनवाने की पैरवी करेंगे । रमेश मीणा और दीपेंद्र के नाम पर गहलोत किसी भी हालत में सहमत नही होंगे ।
उधर मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों से वर्तमान मंत्रियों के होश उड़े हुए है । किसी को ड्राप नही किया गया तो उनका महकमा बदलना सुनिश्चित है । चिकित्सा मंत्री रघू शर्मा, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह तथा प्रमोद जैन से महत्वपूर्ण विभाग छीनकर उन्हें सामाजिक अधिक्कारिता जैसा विभाग दिया जा सकता है । धारीवाल के विभाग में तब्दीली की उम्मीद कम है । लेकिन डोटासरा को विधि और न्याय विभाग दिया जा सकता है ।
राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन राजस्थान की लड़ाई को स्थायी तौर पर समाप्त करने के पक्ष में नही है । लेकिन वे अकेले निर्णय लेने में सक्षम नही है । न तो उनकी बात पायलट मानते है और न ही वे गहलोत को निर्देश देने की स्थिति में है । आलाकमान उनको समय नही दे पा रहा है । इसलिए मामला खटाई में पड़ा है । जब तक सोनिया स्वयं हस्तक्षेप नही करेगी, तब तक राजस्थान का मसला सुलझने वाला नही है । प्रियंका भी सोनिया की सलाह पर सुलह करवाएगी ।