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खड़गे साहब सावधान ! गहलोत आ रहे है दिल्ली, राजस्थान के सत्यानाश के बाद अब दिल्ली की बारी
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राजस्थान में राजस्थान में भट्टी बुझने के बाद अशोक गहलोत की नजर अब मल्लिकार्जुन खड़गे की कुर्सी पर है । गहलोत इस कुर्सी को हथियाना चाहते है । उनकी इच्छा है कि अब वे राजनीतिक सलाहकार बनकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को "ठिकाने" लगा सकते है । इसी योजना पर गहलोत ने योजना बनाना प्रारम्भ कर दिया है ।
सभी जानते है कि गहलोत को बेरोजगार रहना बिल्कुल पसंद नही है । वे जब राजस्थान में फ्लॉप हो जाते है तो दिल्ली चले जाते है और जब दिल्ली में उनकी कोई पूछ नही रहती है तो वे वापिस राजस्थान लौट आते है । चुनावो में शर्मनाक पराजय के बाद वे चाहते है कि दिल्ली जाकर खड़गे को धकियाकर पावर अपने हाथ मे ली जाए ।
मासूम से दिखने वाले अशोक गहलोत नम्बर एक के धूर्त व्यक्ति है । अपने प्रतिद्वंदियों को ठिकाने लगाना उनको बखूबी आता है । उन्होंने महसूस कर लिया है अगले पांच साल तक राजस्थान में उनके लिए कोई स्कोप नही है । इसलिए वे खड़गे को अपदस्थ कर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के समकक्ष कोई पद तलाश कर उस पर काबिज होने के ख्वाहिशमंद है । उनकी सोच है कि अहमद पटेल की तरह खड़गे या सोनिया गांधी के सलाहकार बनकर वे देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी काबिज हो सकते है ।
यद्द्पि दिल्ली में अब गहलोत का पहले जैसा दबदबा नही रहा है । लेकिन वे चिलम भरने में सिद्धहस्त है । अपनी चिकनी चुपड़ी बातो से वे फिर गांधी परिवार को बरगलाकर अपने लिए उपयुक्त कुर्सी तलाशने का "जादू" इन्हें आता है । वैसे भी तीन राज्यो में कांग्रेस की पराजय के बाद खड़गे किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहे है । ऐसे में गहलोत के लिए दिल्ली दरबार मे घुसपैठ करना इतना कठिन नही है ।
गहलोत कई बार सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुके थे कि कुर्सी उन्हें छोड़ती नही है । लेकिन कुर्सी ने ऐसी लात मारी कि बेचारे अब तक सदमे में है । भले ही वे योजना कुछ भी बना ले । लेकिन आने वाला वक्त गहलोत के लिए बहुत ही कष्टकारी साबित होने वाला है । यह सिद्ध हो चुका है कि वे बहुत बड़ी पनौती है और उनके जादू की भी पोल खुल चुकी है । अब भीड़ का सारा बहाव गहलोत के बजाय पायलट की ओर जाने वाला है । गहलोत के बारे में उनके समर्थक ही यह कहने लगे है कि यह व्यक्ति जिसके कंधे पर हाथ रख देगा, उसका राजनीतिक भविष्य चौपट होना सुनिश्चित है ।
जैसा कि मैं पहले लिख चुका हूँ कि गहलोत को पहली दफा सचिन पायलट ने चुनोती दी थी । भले ही पायलट सीएम बनने में कामयाब नही हुए हो, लेकिन पांच साल तक सचिन ने गहलोत की नींद उड़ाए रखी । कभी चैन से सोने नही दिया । सीएमआर के लोग बताते है कि ख्वाब में भी गहलोत को सचिन पायलट और गजेन्द्रसिंह शेखावत नजर आते थे । इनकी वजह से कई बार नींद भी टूट जाती थी और दोनों को गरियाने लगते थे ।
गजेंद्रसिंह शेखावत वह व्यक्ति है जिसने जोधपुर में गहलोत की प्रतिष्ठा का जनाजा निकाल दिया था । करोड़ो रूपये स्वाहा करने और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने के बाद भी गहलोत अपने इकलौते और लाड़ले बेटे वैभव को जीत नही दिला पाए । गजेंद्र सिंह ने वैभव को पौने तीन लाख वोट से बुरी तरह पराजित किया । किसी भी विधानसभा क्षेत्र में वैभव को बढ़त नही मिली ।
इसी हार के मद्देनजर गहलोत ने वैभव को विधानसभा चुनावों में नही उतारा । गहलोत बखूबी जानते थे कि उनके बेटे में चुनाव जीतने के बिल्कुल भी लक्खन नही है । आरसीए का चुनाव वैभव कैसा जीता, जनता बखूबी जानती है । इस जीत के लिए सीपी जोशी ने भरपूर मुआवजा हासिल किया । बताया जाता है कि वैभव की शर्मनाक पराजय के बाद गहलोत ने जोधपुर की जनता को खूब गालिया निकाली और तीन साल तक वे जयपुर नही गए ।
शेष फिर कभी..........