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महेश झालानी
सचिन पायलट गुट ने आज दो टूक शब्दों में कहा है कि हम दिल्ली भाजपा में शामिल होने के लिए नही, अपनी पीड़ा बताने के लिये आलाकमान के पास आये है। आलाकमान से बातचीत होने के तत्काल बाद वापिस जयपुर लौट जाएंगे। बातचीत केवल आलाकमान से होगी, बिचौलिया स्वीकार नही है।
जहाँ तक भाजपा में शामिल होने का सवाल है, अगर हमें भाजपा जॉइन करनी होती तो इतना विलम्ब क्यो होता ? हमारा प्रारम्भ से ही ऐसा कोई इरादा नही था। यह केवल मीडिया तथा गहलोत समर्थकों द्वारा उड़ाई कपोल-कल्पित अफवाहें है। हम आज भी कांग्रेस पार्टी में है। कुछ लोगों का निष्कासन या निलंबन आदि अवांछनीय व गैरकानूनी हरकत के अलावा कुछ नही है। ऐसी ओछी हरकतों से हमारे इरादे कमजोर होने के बजाय और ज्यादा मजबूत होंगे।
पायलट गुट के एक असंतुष्ट विधायक गजेन्द्रसिंह शक्तावत से आज रात 8.44 बजे विस्तार से वार्ता हुई। करीब 20 मिनट हुई इस बातचीत में उंन्होने अपना सारी वेदना को प्रकट करते हुए साफ लफ्जो में कहाकि हम लोग केवल आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ रहे है। सत्ता या पद की कोई भूख नही है। आहत है तो इसलिये कि गहलोत ने हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया।
सचिन पायलट गुट का स्पस्ट आरोप है कि अशोक गहलोत की हठधर्मिता की वजह से कांग्रेस में यह संकट व्याप्त है । यदि गहलोत साहब यहाँ आकर हमको ससम्मान वापिस ले जाते है तो सारे झगड़े का अंत हो सकता है। गहलोत पहले भी सम्मानीय थे और आज भी है। लेकिन उन्होंने हमारे लिए जिन घटिया शब्दो का इस्तेमाल किया, उससे मन को बेहद पीड़ा हुई है । जिम्मेदार और शालीन व्यक्ति कभी भी नकारा, निकम्मा आदि ओछे शब्दों का इस्तेमाल नही करता है।
समर्पित कांग्रेसी होने के नाते हमें भी बेहद तकलीफ है कि पार्टी आज इस दौर से गुजर रही है । लेकिन इसके लिए अकेले गहलोत जिम्मेदार है। पार्टी को संकट से उबारना है तो गहलोत को अपने बर्ताव के लिए सच्चे मन से क्षमा मांगनी चाहिए। इससे एक पल में सारी समस्याओं का निराकरण हो सकता है। घर से बाहर रहना हमे भी अच्छा नही लगता है।
शक्तावत ने कहाकि हमारे क्षेत्र में इसलिये कोई विकास कार्य नही किये गए कि हम पर सचिन पायलट की छाप थी। मैंने वल्लभनगर में कॉलेज की मांग की, लेकिन उसको बदनीयती की वजह से पूरा नही किया गया। डीएसपी, एसडीओ तथा अन्य कोई अधिकारी हमारी डिजायर पर नही लगाया। दो-तीन घंटो तक इंतजार करने के बाद भी मुख्यमंन्त्री द्वारा नही मिलने से हमारे सम्मान को ठेस को गहरी ठेस पहुंची है।
अगर आप बात को अपने नेता के समक्ष रखना देशद्रोह है ? रात को 2 बजे विधायको की गैर मौजूदगी में पुलिस फोर्स के साथ मकान पर नोटिस चस्पा करना किस ओर इशारा करता है, इसे जनता बखूबी जानती है। शक्तावत ने बताया कि रात को मेरी पत्नी घर पर अकेली थी। पुलिस ने घंटी बजाकर उठाया। नोटिस नही लेने पर चस्पा करना सरकार की बदनीयती को प्रदर्शित करती है।
क्या हम आतंकवादी है ? क्या हम देशद्रोही है ? फिर नोटिस चस्पा करने में इतना उतावलापन क्यो ? सुबह भी तो नोटिस चस्पा किया जा सकता था। सरकार की सारी एजेंसी हमारे ऊपर ऐसे छापेमारी कर रही है मानो हम विधायक नही, खूँखार आतंकवादी है। क्या गहलोत साहब इस बात को नकार सकते है कि सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ नही किया। अगर ऐसा नही है तो फिर निकम्मा और नकारा शब्दो का प्रयोग क्यो ?
आखिर इस समस्या का हल क्या है ? यह सवाल पूछे जाने पर शक्तावत ने कहाकि हमे ना तो कोई पद चाहिए और ना हम भाजपा में जाने की जुगत भिड़ा रहे है। गहलोत साहब हमारे परिवार के मुखिया है। वे कल गाड़ी लेकर आ जाये और इतना बोल दे कि चलो अपने घर। मैं दावा करता हूँ कि कोई भी विधायक किसी प्रकार की हील-हुज्जत नही करेगा। मगर आप हो कहाँ ? दिल्ली या मानेसर ? जोरदार हंसी के साथ सवाल टाल दिया।