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रिश्वतखोर पहाड़िया को बचाने की जा रही है तैयारी, जुलाई में था रिटायरमेंट
अलवर के कलेक्टर रहे नन्नू मल पहाड़िया रिटायर्ड होते इससे पहले वे रिश्वत लेते दबोचे गए । राज्य सरकार निलंबित कर अब इनके खिलाफ जांच करेगी ।
भरतपुर जिले के मूल निवासी पहाड़िया को मुख्यमंत्री के बेहद करीब माना जाता है । इसके अलावा श्रम मंत्री टीकाराम जूली और कांग्रेस के महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह से भी इनकी काफी घनिष्ठता रही है । अलवर से आ रही लगातार शिकायतों के चलते इन्हें कलक्टर पद से हटाकर विभागीय जांच विभाग में तैनात किया गया था ।
पहाड़िया उस समय बेहद चर्चा में आए थे जब ये स्व मास्टर भंवरलाल मेघवाल के ओएसडी हुआ करते थे । मेघवाल के पास शिक्षा विभाग था । उस समय बिना भेंट पूजा तबादले की कल्पना करना भी बेमानी था । मंत्री के अलावा नन्नू मल पहाड़िया और मंत्री जी की बेटी बनारसी मेघवाल ने तबादलों में जमकर पैसा कूटा । मेघवाल के समय तय हुई तबादलों की रेट का रिकार्ड गोविंद सिंह डोटासरा ने तोड़ डाला । उस वक्त एक से दो लाख तबादलों की दर तय थी । डोटासरा ने आते ही रेट दुगनी करदी ।
सचिवालय के गलियारों में चर्चा थी कि पहाड़िया को आरपीएससी का चेयरमैन बनाया जा सकता है । लेकिन संजय श्रोत्रिय की नियुक्ति के बाद पहाड़िया को कोई दीगर राजनीतिक पद देने की तैयारी चल रही थी । इनका इसी जुलाई में रिटायरमेंट है । चर्चा है कि एसीबी इनको क्लीनचिट देने की तैयारी कर रही है । क्योंकि एसीबी पर जबरदस्त राजनीतिक दबाव है ।
उधर यह चर्चा भी जोरो पर है कि रिटायरमेंट के बाद पहाड़िया कठूमर या भरतपुर जिले की किसी सुरिक्षत सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे । पहाड़िया के पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य से भी निकट के ताल्लुक है । एक लॉबी पहाड़िया को बचाने के लिए तेजी से सक्रिय होगई है । उनके खिलाफ चालान पेश होगा, इसकी कम ही संभावना नजर आती है ।