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राजस्थान: पहले चरण में ही फंस रही हैं भाजपा की 12 में से 7 सीटें, पढिए चौंकाने वाली रिपोर्ट
जगदीप सिंह सिंधु
राजस्थान में लोकसभा चुनाव रोचक होने जा रहा है। आज जब भाजपा के सबसे वीवीआइपी लोकसभा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से अपनी पहली लोकसभा रैली में प्रचार का बिगुल फूंक रहे हैं तो जाटलैंड के दूसरे छोर पर स्थित सीकर में उनके सिपहसालार अमित शाह रोड शो कर रहे हैं। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान की 12 सीटों- बीकानेर, गंगानगर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, नागौर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर शहरी, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर और दौसा- पर 19 अप्रैल को मतदान होना तय है।
पिछले दो बार से राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी सूखा झेल रही है। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में 25 सीटों पर जीत हासिल की थी और 2019 में नागौर को छोड़ कर 24 सीटों पर जीत दर्ज करके राजस्थान की बदलाव की परम्परा को मात दी थी। तीसरी बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए चंदा-धंधा मॉडल के खुलासे की परछाइयों के तले बड़ी चुनौतियां सामने हैं। वर्तमान परिस्थितियों में जो संकेत धरातल से उभर रहे हैं उनमें भाजपा के लिए राजस्थान में लगभग 10 सीटें फंसी हुई लगने लगी हैं।
2023 में हुए विधानसभा के चुनावों के परिणामों और वर्तमान स्थितियों की समीक्षा में सामने आते समीकरण से तस्वीर कुछ साफ हो रही है। भाजपा अबकी बार कितनी सीटें जीत सकती है या उसके तिलिस्म के टूट जाने के संकेत धरातल पर दिखाई देंगे। अबकी बार 400 पार के उद्घोष में सराबोर भारतीय जनता पार्टी की पर्ची से निकले पहली बार के विधायक से मुख्यमंत्री बने भजन लाल शर्मा की परीक्षा भी इन लोकसभा चुनावों में होनी है। राजस्थान की महारानी वसुंधरा राजे को हाशिये पर धकेलने के निरादर को मतदाताओं के बीच कितना वजन मिलता है, यह कारक भी भाजपा को भीतर ही भीतर चुभता रहेगा।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में अंतर्कलह और रस्साकशी के बीच एक अच्छी जीत भाजपा को प्रदेश में जरूर प्राप्त हुई है लेकिन दोनों दलों के मतों के प्रतिशत में कोई बड़ा अंतर नहीं रहा। भाजपा को 41.69 प्रतिशत मत प्राप्त हुए तो कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत, लेफ्ट को लगभग 1 प्रतिशत, बसपा को 1 .82 प्रतिशत, रालोपा को 2.39 प्रतिशत , नोटा को 0.96 प्रतिशत और अन्य को लगभग 11 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे।
विधानसभा चुनाव के नतीजों पर अगर नजर डालें तो राजस्थान में करीब नौ लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की संभावनाएं बन सकती है- गंगानगर, चूरू, झुंझनू, सीकर, जयपुर ग्रामीण, धौलपुर और करौली। बांसवाड़ा, उदयपुर चूंकि अनुसूचित जनजाति की सीट है जहां आदिवासी पार्टी और कांग्रेस एक समझ के तहत चुनाव में उतरेंगी, तो यह सीट भी भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
राजस्थान में बसपा अब तक कुल 12 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है जिनमें डॉ. गजेंद्र सिंह राठौड़ को नागौर, विक्रम सिंह को धौलपुर करौली, अमरचंद चौधरी को सीकर, दईराम को चूरू, खेताराम को बीकानेर, सोनू धानका को दौसा, राजेश तंवर को जयपुर, इंजी अंजला को भरतपुर, फजल हुसैन को अलवर, देव करण नायक को गंगानगर, भीम सिंह कुंतल को कोटा और लाल सिंह राठौड़ को जालोर से चुनावी रण में उतारा गया है। खास बात ये है कि पहले चरण के चुनाव के लिए जयपुर ग्रामीण सीट को छोड़कर शेष 11 सीटों पर बसपा ने प्रत्याशी उतार दिए हैं।
गंगानगर लोकसभा सीट
गंगानगर आरक्षित सीट है। इसमें आठ विधानसभा सादुलशहर, गंगानगर, करणपुर, सूरतगढ़, रायसिंह नगर, संगरिया, हनुमानगढ़, पीलीबंगा आती हैं। कांग्रेस के यहां पांच विधायक, भाजपा के दो और एक निर्दलीय है। कांग्रेस को यहां पांच विधानसभा में 532809 वोट 2023 चुनाव में मिले थे। भाज़पा को 8 विधानसभा में 594818, निर्दलीय को 3 विधानसभा में 199518 वोट मिले। भाजपा ने यहां अपना प्रत्याशी बदल दिया है। किसान आंदोलन का प्रभाव इस क्षेत्र में है। वर्तमान में भाजपा की जो प्रत्याशी प्रियंका बैलान हैं वो मूलत: अनूपगढ़ की रहने वाली हैं। अनूपगढ़ बीकानेर लोकसभा में आता है। कांग्रेस ने यहां कुलदीप इंदौरा को प्रत्याशी बनाया है। 2019 के चुनाव में पुलवामा की लहर में निहालचंद मेघवाल को 897177 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के भारत राम मेघवाल को 490199 वोट मिले थे।
चुरू लोकसभा सीट
चूरू में आठ विधानसभा सीट हैं- नोहर, भादरा, सादुलपुर, तारानगर, सरदारशहर, चूरू, रतनगढ़, सुजानगढ़। यहां कांग्रेस के 5, भाज़पा के 2 व बसपा के 1 विधायक हैं। सात विधानसभा में कांग्रेस को 661969 वोट, 6 विधान सभा में भाजपा को 566856 वोट, 1 विधानसभा में बसपा को 64368 वोट, 1 निर्दलीय को 77250 एवं एक लेफ्ट पार्टी के प्रत्याशी को 101616 वोट मिले।
चूरू की लोकसभा सीट पिछले पांच बार से भाजपा के खाते में ही रही है। पिछले दो बार के भाजपा के सांसद राहुल कस्वां कुछ दिन पहले भाजपा को अलविदा कह कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे और कांग्रेस ने राहुल कस्वां को यहां से प्रत्याशी बनाया है। भाजपा से देवेंद्र झाझरिया को प्रत्याशी उतारा गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में लहर के दौरान भाजपा के राहुल कस्वां को 792999 वोट, कांग्रेस के रफ़ीक मंडेलिया को 458557 वोट मिले थे।
झुंझुनू लोकसभा सीट
शेखावटी इलाके के झुंझुनू लोकसभा के तहत 8 विधानसभा सीट- पिलानी, सूरजगढ़, झुंझनू, नवलगढ़, मंडावा, उदयपुरवाटी खेत्री व फतेहपुर हैं। यहां कांग्रेस के 6 व भाजपा के 2 विधायक हैं। कांग्रेस को 7 विधानसभा में 2023 में 629463 वोट मिले जबकि भाजपा को 8 विधानसभा में 561978 व बसपा को एक विधान सभा में 61 483 वोट प्राप्त हुए थे।
1989 में जनता दल की टिकट पर वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ यहां से सांसद बने थे। जाट नेता सीसराम ओला यहां से 5 बार सांसद रहे। 2014 की मोदी लहर में भाजपा उम्मीदवार संतोष अहलावत को यहां 488181 वोट मिले थे। 2019 की पुलवामा की लहर में नरेंद्र कुमार को 738163 वोट मिले और कांग्रेस के श्रवण कुमार को लहर के बावजूद 435616 वोट मिले थे। कांग्रेस ने बृजेन्द्र सिंह ओला को प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा ने शुभकरण चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जाट बहुल इस सीट पर रोचक मुकाबला किसान आंदोलन व अग्निवीर योजना की पृष्ठभूमि में होना तय है।
सीकर लोकसभा सीट
शेखावटी के गढ़ सीकर की सीट इंडिया गठबंधन में लेफ्ट पार्टी के लिए छोड़ दी गई है। विधानसभा क्रमवार लक्ष्मणगढ़, धोद, सीकर, दांता रामगढ, चौमू, नीम का थाना, खंडेला, श्री माधोपुर हैं। कांग्रेस के 5 विधायक यहां 2023 के विधानसभा में विजयी हुए थे। भाजपा में 3 को जीत मिली थी। कांग्रेस ने 7 विधानसभा सीटों पर 639720 मत पाए तो भाजपा ने 8 विधानसभा सीटों पर 6,86,571 मत प्राप्त किए थे।
भाजपा के पिछले दो बार के विजेता स्वामी सुमेधानंद सरस्वती का मुकाबला अबकी बार लेफ्ट विचारधारा की सीपीआइ (एम) के कामरेड अमरा राम से होगा जो संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्य चेहरों में से एक हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा का यह घर क्षेत्र भी है। किसान संघर्षों की भूमि किस और झुकेगी यह देखना रोचक होगा।
नागौर लोकसभा सीट
नागौर सीट कांग्रेस से गठबंधन में रालोपा के खाते में आई है। नागौर लोकसभा क्षेत्र में लाडनू, डीडवाना, जयाल, नागौर, खिंवसर, मकराना, परबतसर, नावां की 8 विधानसभा आती हैं। यहां वर्तमान में 4 कांग्रेस, 1 निर्दलीय, 2 भाजपा, 1 रालोपा के खाते में हैं। यहां 2019 में रालोपा के हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को मात दी थी। अब फिर दोनों आमने सामने होंगे। ज्योति मिर्धा ने 2023 विधानसभा चुनावों से ऐन पहले कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दमन थम लिया था। 2019 में हनुमान बेनीवाल को 660051 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस से ज्योति मिर्धा को 478791 वोट मिले थे। दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं लेकिन नागौर में हनुमान बेनीवाल के किसानों की हिमायत करने के चलते युवा वर्ग में खासी लोकप्रियता कायम है।
दौसा लोकसभा
पूर्वी राजस्थान की सबसे चर्चित सीट दौसा पर अब भाजपा की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। दौसा से भाजपा ने कन्हैया लाल मीणा को प्रत्याशी बनाया है। निवर्तमान संसद जसकौर मीणा का टिकट काट दिया गया। वहीँ किरोड़ी लाल मीणा इस टिकट को लेकर खासे नाराज हैं क्योंकि वे अपने भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिलवाने के लिए प्रयासरत थे। दौसा से पहले सचिन पायलट सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक मुरारी लाल मीणा को चुनाव में उतारा है।
दौसा की लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा आती हैं- बस्सी, चाकसू, थानागाजी, बंदीकुई, महोबा, सिकराय, दौसा, लालसोट। भाजपा के यहां से 5 विधायक 2023 में जीते हैं। कांग्रेस के 3 विधायक हैं। 2019 में पुलवामा लहर के चलते इस सीट पर भाजपा की जसकौर मीणा ने 548733 वोट हासिल किए जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार सविता मीणा ने 470289 वोट पाए थे।
भरतपुर लोकसभा सीट
भरतपुर सीट पर पहले चरण में चुनाव होंगे। भरतपुर की सीट में जिले की 7 विधानसभा व 1 विधानसभा अलवर जिले की आती है। भाजपा के इस गढ़ में 5 विधायक भाजपा के व 1 विधायक रालोद, 1 विधायक कांग्रेस व एक विधायक निर्दलीय है। पिछले दो बार से यहां से भाजपा लगातार जीत रही है। यह सीट आरक्षित है। भरतपुर में अभी तक कोई भी पार्टी हैट्रिक नहीं लगा पाई है। संजना जाटव को कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी बनाया है। 2023 के विधानसभा चुनाव मे संजना ज़ाटव केवल 473 वोट से हार गई थीं।
भाजपा ने यहां अपना प्रत्याशी फिर से बदल दिया है। अबकी बार रामस्वरूप कोली को यहां से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने संजना जाटव पर भरोसा जताया है। बसपा ने इंजीनियर अंजिला शकरावल को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2019 में रंजीता कोली ने एक बड़ी जीत यहां से प्राप्त की थी। पुलवामा की लहर में वे 707992 वोट बटोरने में सफल रही थीं। कांग्रेस के अभिजीत कुमार जाटव को 389593 वोट मिले थे।
करौली धौलपुर लोकसभा सीट
करौली धौलपुर की सीट का अधिकतर हिस्सा मध्यप्रदेश और उतर प्रदेश के साथ लगता हुआ है। 2008 में पुन: परिसीमन के बाद यह लोकसभा क्षेत्र आरक्षित हो गई थी। बसेरी, बरी, धौलपुर, राजाखेड़ा, टोडाभीम, हिण्डोन, करौली, सपोटरा विधानसभा क्षेत्र इस लोकसभा में हैं। वर्तमान में यहां से कांग्रेस के 5 विधायक, भाजपा से 2 और बसपा से एक विधायक हैं।
करौली-धौलपुर लोकसभा सीट के लिए भाजपा ने प्रत्याशी इंदु देवी जाटव को प्रत्याशी घोषित किया है। कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव और बसपा प्रत्याशी विक्रम सिंह हैं। अधिकतर मतदाता लगभग 82प्रतिशत ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ कहा जाता है। अनुसूचित जाति के यहां करीब 22.5 प्रतिशत मतदाता हैं, अनुसूचित जनजाति के 14.6 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय के 4 प्रतिशत मतदाता हैं। 2019 की लहर में यहां से मनोज रजोरिया ने 526443 वोट प्राप्त किये थे। कांग्रेस के स्नजय जाटव ने 428761 मत हासिल किए थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में कंग्रेस को यहां 7 विधानसभा में 589040 मत मिले थे जबकि मुख्य विपक्षी भाजपा को 7 विधानसभा में 534199 मत मिले थे। बसपा को यहां 2 विधानसभा में 153935 मत प्राप्त हुए थे। यहां मुकाबला काफी रोचक होगा। स्थानीय समीकरण यहां बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। कौन कितने रूठे हुए को मना पाता है यही सफलता का सूत्र होगा।
अलवर लोकसभा सीट
अलवर की सीट हॉट सीट की श्रेणी में आ गई है। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में यहां से 5 सीट कांग्रेस ने जीती हैं। यहां से सांसद महंत बालकनाथ को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था और वे विधायक का चुनाव हार गए थे। भाजपा को 8 विधानसभा वाली इस लोकसभा सीट में केवल 2 सीटों पर ही जीत 2023 के विधानसभा चुनावों में मिल पाई थी। तिजारा, किशनगढ़, बॉस मुंडावर, बहरोड़, अलवर ग्रामीण, अलवर शहरी, रामगढ़, राजगढ़, लक्ष्मणगढ़ सीट अलवर लोकसभा में हैं।
जातीय समीकरण में यादव यहां 13.63 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 17.8 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 5.9 प्रतिशत, ब्राह्मण 11.21 प्रतिशत, मुस्लिम 18.6 प्रतिशत, जाट 8.13 प्रतिशत, माली 5.06 प्रतिशत, सिख 2.3 प्रतिशत और गुर्जर 3.8 प्रतिशत हैं।
भाजपा ने यहां से महंत बालकनाथ को बदल कर भूपेंदर यादव को टिकट दिया है। भूपेंदर यादव के बारे में पहले हरियाणा से चुनाव में उतरने की अटकलें लगाई जा रही थी। पिछली बार महंत बालकनाथ ने बड़े अंतर से यहां जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने मुंडावर विधायक ललित यादव को मैदान में उतारा है जबकि बसपा से फजल हुसैन पर दांव खेला है।
जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट
जयपुर ग्रामीण में कोटपुतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा, आम्बेर, झोटवाड़ा, जामवा-रामगढ़, बानसूर की विधानसभाएं आती हैं। कांग्रेस ने यहां से 2023 के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर जीत पाई और भाजपा 5 सीटों पर जीती है। भाजपा को 7 विधानसभा में 645705 वोट प्राप्त हुए थे जबकि कांग्रेस को 637658 मत मिले। एक निर्दलीय को लगभग 59124 व एक प्रत्याशी आसपा (कांशीराम) को 54185 मत मिले। 2014 और 2019 में राज्यवर्धन सिंह राठोड यहां से विजयी रहे थे जिन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान विधायक के चुनाव के लिए उतार दिया गया था। भाजपा ने अब यहां से राव राजेंद्र सिंह को चुनाव में उतारा है। कांग्रेस ने अनिल चोपड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया है। कोटपुतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा, बानसूर के समीकरण इस सीट को बहुत प्रभावित करने वाले हैं जहां से स्थानीय मतदाताओं में एक हलचल भीतर ही भीतर चल रही है। यह सीट भाजपा के लिए सरल नहीं रह गई है।
जयपुर शहरी लोकसभा सीट
जयपुर शहरी सीट को एक तरह से भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा की 6 सीट यहां भाजपा के खाते में हैं जबकि कांग्रेस को यहां 2 सीट ही मिल पाई। हवामहल, विद्याधर नगर, सिविल लाइन्स, किशनपोल, मालवीय नगर, आदर्श नगर, सांगानेर, बांगरू की सीटों की यह लोकसभा शहरी मतदाताओं की मानी जाती है। भाजपा ने यहां भी निवर्तमान सांसद का टिकट काट कर नए प्रत्याशी मंजू शर्मा को चुनाव में उतरा है। कांग्रेस ने अब टिकट बदल कर प्रताप सिंह खाचरियावास को अपना प्रत्याशी बनाया है। मंजू शर्मा भाजपा के कद्दावर नेता कई बार के विधायक भंवर लाल शर्मा की बेटी हैं। कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की पसंद के कारण मंजू शर्मा को दो बार के सांसद राम चरण वोहरा की जगह टिकट दिया गया है।
वहीँ कांग्रेस को भी अपना प्रत्याशी जयपुर डायलॉग से जुड़े विवादित सुनील शर्मा को बदलना पड़ा है। प्रतापसिंह खाचरियावास को मैदान में उतरा गया है जो भैरोंसिंह शेखावत के भतीजे हैं। अबकी बार जयपुर सीट एकतरफा नहीं रहेगी, यहां भाजपा को काफी मशक्क्त करनी पड़ेगी।
कुछ हाल की घटनाएं भी बताती हैं कि भाजपा के लिए राजस्थान में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा। मसलन, सीकर के नन्द किशोर और झुंझनू के राजेंदर भांभू जयपुर मे भाजपा कार्यालय मे पार्टी में शामिल होने पहुंचे लेकिन वहां उनको किसी ने भी शामिल नहीं करवाया। कहा जा रहा कि उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए बुलाया गया था लेकिन डॉ. अरुण चतुर्वेदी या अन्य किसी भी पदाधिकारी ने उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। निराश हो कर अपने सैकडों समर्थकों के साथ उन्हें बैरंग लौटना पड़ा।
उधर बाड़मेर में रविंदर भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। समझा जा रहा है कि वे भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। भाजपा के वर्तमान सांसद कैलाश चौधरी को स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यहां से कांग्रेस ने उमेदा राम बेनीवाल को उतारा है।
कोटा की सीट से भाजपा में ओम बिड़ला के धुर विरोधी रहे प्रहलाद गुंजल को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। शांति धारीवाल से भी प्रहलाद गुंजल की अच्छी आदवत जगजाहिर है। गुर्जर अन्दोलन से ही प्रहलाद गुंजल को तेजतर्रार नेता माना जाता है। कांग्रेस के स्थानीय नेता प्रहलाद गुंजल के पीछे अब एकजुट हो गए हैं जिससे लोकसभा स्पीकर भाजपा के ओम बिडला के लिए राह मुश्किल हो गई है।
शायद यही वजह है कि अमित शाह के राजस्थान के दो दिन के प्रवास के तुरंत बाद 2 अप्रैल को नरेंद्र मोदी की जनसभा अलवर में रखी गई है।