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प्रतियोगिता परीक्षा में नकल होना राजस्थान की नीयति बन गई है । सही मायने में राजस्थान नकल करने का हब बन गया है । कोई ऐसी परीक्षा नही, जिसमे नकल नही होती हो । हाल में सम्पन्न रीट की परीक्षा में बड़े स्तर पर नकल हुई और पहले से पेपर आउट होगया । ऐसे में परीक्षा कराने का कोई औचित्य है । नकलची उतीर्ण हो जाते है और प्रतिभाशाली लोगों को हाथ लगती है विफलता ।
इसके अलावा अधिकांश परीक्षाओं का परिणाम घोषित नही होता है । सन 2018 को आयोजित आरएएस की परीक्षा का परिणाम पिछले दिनों घोषित हुआ । नतीजतन बेरोजगारों को समय पर नौकरी नही मिल पा रही है । हर साल लाखों बेरोजगार आयु सीमा पार कर जाते है ।
प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था आरपीएससी भ्रस्टाचार में आकंठ डूबी हुई है । अधिकांशतः रिश्वत देने वाले या ऊंची पहुंच वालो का ही चयन होता है । शिक्षा मंत्री गोविंदसिंह डोटासरा के सभी रिश्तेदारों के इंटरव्यू में 80 अंक आना कोई संयोग नही, गहरी और प्रायोजित साजिश है ।
सरकार को नकल प्रूफ परीक्षा आयोजित करने के लिए पुख्ता इंतजाम करने चाहिए और राजनेताओं के दामाद व नौकरशाहों की पत्नियों को आरपीएससी से निकालकर रिटायर्ड जजों को नियुक्त करें । वरना परीक्षा का स्वांग करने का कोई औचित्य नही है ।