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राजस्थान स्पेशल चुनावी रिपोर्ट: विधायकों मंत्रियों से नाराजगी क्या है...?
अरविंद चोटिया
जानना चाहते हैं तो बात ही देता हूं जो मुझे विभिन्न जिलों में लोगों ने बताया है। ऐसा नहीं है कि सारे मंत्री और विधायकों से लोग नाराज ही हैं। बहुत सारे मंत्रियों और विधायकों ने लोगों से बहुत अच्छा कनेक्ट स्थापित किया है और लोगों का दिल भी जीता है लेकिन एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे विधायकों और मंत्रियों की है जो अचानक से हाथ आई "विशेष पावर" को पचा नहीं पाए। ज्यादातर के लिए कहा गया कि उन्होंने विरोधियों को निपटाने के लिए पुलिस का बेजा इस्तेमाल किया है। सरकारी सिस्टम में कोई विधायक या मंत्री कितना भ्रष्टाचार कर रहा है इससे आम आदमी का ज्यादा लेना-देना नहीं होता और उसे तकलीफ भी नहीं होती। लेकिन जब एक ही कार्यकाल में विधायक महोदय का रहन-सहन बदल जाए और रुतबा भारी होने लग जाए तो वह आंखों में खटकने जरूर लग जाता है। और एक बड़ी चीज जो अनपेक्षित शक्तियां हाथ में आने पर अपने आप आ जाती है वह है अहंकार। एक राजनीति के जानकार ने इसे इन शब्दों में बयान किया जो मैं पहले भी ट्वीट कर चुका हूं
खुदा जब हुस्न देता है
नजाकत आ ही जाती है...
अपने ही बनाए हुए नेता का घमंड जनता तो कम से कम बर्दाश्त नहीं करना चाहती। एक अजीब सी चिढ़ पैदा होती है इससे। अब कुछ ज्यादा सुनी गई चर्चाओं पर बात...
1. पूर्वी राजस्थान की एक महिला विधायक ने अपने खिलाफ बोलने वालों, विरोध या असहमति जताने वालों के यहां पुलिस भेजकर डराने का प्रयास एक बार नहीं अनेक बार किया।
2. पूर्वी राजस्थान की ही एक महिला मंत्री के लिए लोगों ने कहा कि उन्होंने जातीय भेदभाव की पराकाष्ठा कर दी। अपनी जाति से बाहर वालों के तबादलों के लिए नए केवल पैसे लिए बल्कि पैसे लेकर तबादला करवाने के कुछ ही महीने में वापस तबादले करवा दिए।
3. पश्चिमी राजस्थान के एक विधायक महोदय ने अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को पुलिस के जरिए दबाया। एक पत्रकार महोदय के तो हाथ-पांव तक तुड़वाने के आरोप हैं। इसे लोगों ने बिल्कुल भी पसंद नहीं किया। पत्रकार महोदय भी उसे वर्ग से आते हैं जिस वर्ग में विधायक महोदय को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था।
4. पश्चिमी राजस्थान के ही एक और विधायक महोदय एक कदम आगे निकल गए। लोग बताते हैं कि अपने खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट तो बड़ी बात थी, किसी ने उसे पोस्ट को लाइक भी कर दिया तो उसे औकात बता दी गई। पुलिस का खुलेआम दुरुपयोग किया गया। एक निजी स्कूल के कार्यक्रम में विधायक महोदय गए। स्कूल संचालक की ओर से यथायोग्य सम्मान भी किया गया लेकिन अगले ही दिन शिक्षा विभाग की टीम वहां जांच करने पहुंच गई। संचालक महोदय की समझ से बाहर था यह कि आखिर हो क्या रहा है। फिर किसी ने पहले दिन हुए कार्यक्रम की फोटो देखकर बताया कि आपसे गलती यह हुई कि आपने विधायक महोदय सहित अन्य सभी अतिथियों को एक जैसा ही साफा पहना दिया जबकि विधायक महोदय को यह पसंद है।
ऐसे ऐसे न जाने कितने किस्से हवाओं में तैरते हुए मिलेंगे। आपके पास भी ऐसे कुछ किस्से हैं तो शेयर कर सकते हैं। मुझे जो लोगों ने बताया वह मैंने बता दिए हैं।