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गहलोत से पंगा लेना भारी पड़ रहा है सचिन को, विश्वेन्द्र सिंह की हालत खस्ता
महेश झालानी
कांग्रेस के उन विधायकों में भी जबरदस्त उबाल है जो अशोक गहलोत से बगावत कर सचिन पायलट के साथ भाजपा का दरवाजा खटखटाने के लिए हरियाणा के मानेसर गए थे । और वे विधायक भी मुँह फुलाए बैठे है जिन्होंने संकट के समय गहलोत का साथ दिया था ।
इन विधायकों का मानना है कि सचिन के साथ जाकर उन्होंने जिंदगी की बहुत बड़ी भूल की थी । इन बगावती विधायकों की साथी विधायक आये दिन जमकर हंसी उड़ाते रहते है । साथ ही वे विधायक अपने को ठगा महसूस कर रहे है जिन्होंने गहलोत की उस समय हौसला अफजाई की जब सरकार संकट से घिरी हुई थी । न वफादार कांग्रेसियों को इसका इनाम मिला है और न ही निर्दलीय व बसपा के उन छह विधायकों को जो बसपा छोड़कर कांग्रेस के कुनबे शरीक हुए थे ।
गहलोत और सचिन समर्थकों को उम्मीद थी कि शीघ्र ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और वे मंत्री बन जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं । पायलट की जमात के विधायक तो उसी दिन से आस लगाए बैठे थे जिस दिन दिल्ली से लौटकर आए थे । सचिन ने अपने समर्थक विधायकों को मंत्री बनवाने के लिए जोर तो बहुत लगवाया, मगर वे अभी तक कामयाब नही हुए है ।
गहलोत के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाने वाले विधायकों को पूरी उम्मीद थी कि सचिन के साथ जाने पर उनको भरपूर राजनीतिक लाभ मिलेगा । लेकिन बगावती विधायकों को न माया मिली है और न ही राम । इन विधायकों से पार्टी के अन्य विधायकों ने दूरी और बना ली है । चर्चा है कि विधायक हेमाराम, दीपेन्द्रसिंह, रमेश मीणा तथा विश्वेन्द्र सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कराने के लिए सचिन पायलट पिछले कई महीनों से एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है । लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन नामों पर कतई सहमत नहीं है ।
सचिन संमर्थक विधायकों को गहलोत ठिकाने लगाते जा रहे है । सचिन के खास जीआर खटाना, प्रशांत बैरवा, वेदप्रकाश सोलंकी आदि को संगठन में जाने से इनका मंत्री बनना बहुत ही मुश्किल होगया है । उधर भरतपुर में विश्वेन्द्र सिंह की भट्टी बुझी हुई है । अफसर उनके बजाय राज्य मंत्री सुभाष गर्ग को ही अहमियत दे रहे है । विश्वेन्द्र सिंह भरतपुर के कलेक्टर को हटवाने के लिए खूब जोर लगाया । छह विधायकों के जरिये मुख्यमंत्री को कलेक्टर को हटाने की मांग की गई । लेकिन कलेक्टर नथमल ढढेल का बाल भी बांका नही हुआ । ऐसा माना जा रहा है कि विश्वेन्द्र सिंह का राजनीतिक भविष्य चौपट करने के लिए सुभाष गर्ग को पदोन्नत कर केबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है ।
विश्वेन्द्र सिंह की आंखे तब फटेगी जब उनके कट्टर विरोधियों को मेवात बोर्ड और भरतपुर यूआईटी का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा । गहलोत ने महेश जोशी को भरतपुर का प्रभारी बनवाकर विश्वेन्द्र सिंह की नाक में नकेल डाल दी है । उधर कमोबेश यही हाल गहलोत से पंगा लेने वाले रमेश मीणा का है । अफसर उन्हें टके सेर भी नहीं पूछते है । गहलोत ने तुरुप का इक्का आज भी अपने पास रख रखा है । विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा ने ज्यादा पंगा लिया तो उनसे सिविल लाइंस का बंगला भी खाली करवाया जा सकता है । दोनों नियमों के विपरीत सिविल लाइन के बंगलो पर काबिज है ।
गहलोत और पायलट के बीच जंग पहले से ही जारी है । यह जंग खत्म हो जाएगी, इसकी संभावना शून्य है । उधर कांग्रेस आलाकमान को समझ नहीं आ रहा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही जंग को समाप्त किया जाए तो कैसे । राजस्थान के प्रभारी अजय माकन के बीच बचाव के बाद भी दोनों नेताओं के बीच आज भी तलवारें खिंची हुई है । दोनों नेताओं के बीच सुलह कैसे हो, इसके लिए आलाकमान ने पवन बंसल और अजय माकन को भेजा है । लेकिन दोनों ही नेता झुकने को तैयार नहीं है ।