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विधायकों के दबाव पर सचिन कर रहे है भागदौड़, माना बगावत करना हमारी बहुत बड़ी भूल थी!
कांग्रेस आलाकमान ने दो टूक शब्दों में सचिन पायलट को कह दिया है कि वे किसी भी शर्त रखने की स्थिति में नही है। निर्णय आलाकमान खुद के विवेक पर करेगा। आलाकमान का मानना है कि पायलट की कोई भी शर्त मानी गई तो इससे बगावत को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही पार्टी से विद्रोह करने वाले और ज्यादा उत्साहित हो जाएंगे।
दिल्ली में आज उच्च स्तर पर राजस्थान में उत्पन्न कांग्रेस के सियासी संकट से निपटने के लिए उच्च स्तर पर चर्चा चल रही है। पायलट खेमे के विधायकों के सब्र का पैमाना छलकने के बाद उन्होंने दबाव बनाना प्रारम्भ कर दिया था कि जल्दी ही वे कोई यथोचित निर्णय ले, अन्यथा जयपुर लौट जाएंगे। आपसी बातचीत विधायकों ने यह स्वीकार किया कि बगावत करना हमारी बहुत बड़ी भूल थी। यदि शीघ ही समुचित समाधान नही निकाला गया तो वापसी पर जनता कपड़े फाड़ देगी।
विधायकों के बगावती तेवरों के बाद इतने दिन की खामोशी के बाद वे सक्रिय हो गये। उंन्होने अपने साथी विधायकों को भरोसा दिलाया कि जल्द ही कोई अनुकूल परिणाम सामने आ सकते है । इसी सम्बन्ध में पायलट ने कल अपने विधायको की बैठक आयोजित की थी जो ऐन टाइम पर अपरिहार्य कारणों से स्थगित करदी गई।
उधर पार्टी के संगठन सचिव कैसी वेणुगोपाल के जरिये पायलट ने समझौते का प्रस्ताव रखा। पायलट खेमे ने केवल इतना ही कहा बताया कि उनकी सम्मानजनक वापसी हो ताकि जनता में जो किरकिरी हुई है, उसकी कुछ भरपाई हो सके। उम्मीद की जा रही है कि लंबे समय से कांग्रेस संकट अब फौरी तौर निपट सकता है।
माफ तो राजेश पायलट को भी किया था...
बीस साल पहले जब कांग्रेसियों के मनाने के बाद सोनिया पार्टी का अध्यक्ष बनने को तैयार हो गईं तो जितेन्द्र प्रसाद और राजेश पायलट ने सोनिया का विरोध किया था। जितेन्द्र सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़े और पायलट उनके मुख्य प्रचारक बने। लेकिन सोनिया ने न केवल दोनों को माफ किया बल्कि दोनों की पत्नियों और बेटों को चुनाव लड़ाया, मंत्री बनाया। कांता प्रसाद लोकसभा हार गईं थीं जबकि रमा पायलट जीती थीं। लेकिन इतिहास की विडंबना देखिए कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के समय जितिन ने और अब सचिन ने भाजपा से हाथ मिलाने की कोशिश की।
और फिर इतिहास की खुद को दोहराने की आदत देखिए कि इस बार राहुल गांधी और प्रियंका सचिन को माफ कर रहे हैं!