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सचिन पायलट और अशोक गहलोत आमने सामने, क्या राजस्थान चला पंजाब की ओर!
रमेश शर्मा
दो दिन पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट सहित उनके समर्थक विधायकों के साथ-साथ अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान पर सरकार गिराने को लेकर करोड़ों रुपए की लेनदेन की बात कही जाने के दो दिन बाद जब सचिन पायलट ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की तो यह समझा जा रहा था कि वे कोई बड़ा बयान देंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ जिस प्रकार से पहले वे राजस्थान की गतिविधियों पर आरोप लगाते रहे है, उन पर कायम रहते हुए अब पेपर लीक मामले में युवा वर्ग का समर्थन करते हुए अजमेर से जयपुर तक पैदल यात्रा की घोषणा की है।
पायलट ने कहा, 'सीएम गहलोत के धौलपुर में दिए गए भाषण को सुनकर लगा कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं हैं, बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं।एक तरफ ये कहा जा रहा है कि कांग्रेस सरकार को गिराने का काम बीजेपी कर रही थी, दूसरी तरफ ये कहा गया कि कांग्रेस सरकार को बचाने का कार्य वसुंधरा राजे कर रही थी। गहलोत को इस बात को स्पष्ट करने की जरूरत है। साथ ही गहलोत द्वारा पायलट समर्थक विधायकों को करोड़ों रुपए के लेनदेन की बात पर कहा कि कहा कि उन्हें पहले भी 'कोरोना', 'गद्दार' और 'निकम्मा' तक कहा गया है। गहलोत ने जो आरोप लगाए, वह पहले कई बार लगाए जा चुके हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर हम कुछ नहीं कहना चाहते, अशोक गहलोत के भाषण ने कांग्रेस के नेताओं का अपमान किया और बीजेपी के नेताओं का गुणगान किया।
सचिन पायलट ने आगे कहा कि सीएम गहलोत ने ऐसे विधायकों पर आरोप लगाए, जो राजनीति में 40-45 साल से काम कर रहे हैं। उनके क्षेत्र के लोग जानते हैं कि वह कैसे नेता हैं, कैसा काम करते हैं। ऐसे विधायकों पर इल्जाम लगाना गलत है। पायलट ने 11 मई से अजमेर से जयपुर तक पैदल यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे के समय में करप्शन की बात करता हूं, पेपर लीक आदि की बात करता हूं तो जवाब ही नहीं मिलता।।इसलिए ग्यारह मई अजमेर से जयपुर एक यात्रा निकालूंगा। जनता के बीच जाकर जनता की समस्या सुनुंगा और जनता के सरकार तक पहुंचाऊंगा। यह यात्रा नौवजानों के मुद्दों को लेकर संघर्ष यात्रा होगी। पायलट ने इस प्रेस कांफ्रेंस मैं गहलोत द्वारा उनके समर्थकों पर करोड़ों रुपए के लेनदेन के आरोप के बारे में भले ही खुल कर नहीं कहा हो लेकिन पायलट समर्थक कुछ विधायकों ने गहलोत के आरोप को सिरे से नकारते हुए कहा है की इस बारे में जानकारी गहलोत ही दे सकते हैं।
कुल मिलाकर सबसे बड़ी बात यह सामने आ रही है कि पायलट जब आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बार-बार अपनी बात चाहे आरोप के रूप में या सलाह के रूप उठा रहे हों, वहीं गहलोत द्वारा भी पायलट और उनके समर्थकों पर सार्वजनिक रूप से आक्रमक हमले हो रहे हैं, तो आलाकमान आखिर दोनों की सुलह कराने में रुचि क्यों नहीं दिखा रहे है। कुल मिलाकर अपनी ही पार्टी के विधायकों पर इस तरह के आरोप लगाने से संबंधित विधायकों का कुछ हो या ना हो लेकिन आम जनता के बीच में इस तरह के आरोप पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं! अब देखने वाली बात यह होगी कि जब पायलट ने 11 मई से जन संघर्ष यात्रा की घोषणा कर दी है तो इसको लेकर पार्टी के शीर्ष नेता क्या कुछ कदम उठाते हैं!