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सचिन पायलट ने फिर भरी वही हुंकार, गहलोत से लेकर कांग्रेस खेमे तक मची खलबली क्या पंजाब दोहराया जाएगा!
राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में पिछले लगभग साढ़े चार साल से चल रहा आपसी गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। हांलांकि पिछले 24 घंटे में दिल्ली और जयपुर के बीच चल रहे घटनाक्रम से ऐसा महसूस हो रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान में चल रही गुटबाजी पर अंतिम रूप से कोई निर्णय लिया जा कर स्थिति सामान्य करने का प्रयास शुरू हो किया है।। यह बात अलग है कि इसी प्रकार के कयास पहले भी कई बार लगाए गए लेकिन कुछ नया नहीं निकला।
बात शुरू करते हैं कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा की तो यह समझ में आ रहा है कि जब से वे प्रभारी बने तभी से वह खुद भी अपने द्वारा दिए गए बयानों पर कायम नहीं रह सकते इसके पीछे हाईकमान का दबाव रहा हो या फिर गहलोत के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है लेकिन जिस तरह से 11 अप्रैल को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पिछली भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर जयपुर में एक दिवसीय धरने पर बैठने के मामले के तुरंत बाद रंधावा ने कहा था कि यह पार्टी विरोधी कदम है जिस पर कार्रवाई होगी लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने यह कहकर अपना बयान बदल दिया था कि जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।
इसके बाद वे जयपुर आए और मुख्य मंत्री गहलोत तथा पीसीसी चीफ डोटासरा की मौजूदगी में विधायकों रूबरू होकर उनसे रायशुमारी की लेकिन यह समझा जा सकता है कि जो विधायक संगठन और सरकार से नाराज थे क्या वह गहलोत और डोटासरा के सामने खुलकर अपनी बात रख सकते थे। इतना ही नहीं सूत्रों से उसमें जो खबर मिली थी उसके अनुसार तो डोटासरा ने रंधावा से जब कुछ विधायकों का परिचय कराया तो मानेसर शब्द बीच में लाकर उनकी पहचान बताइ जिसको लेकर मसूदा विधायक राकेश पारीख ने तो स्पष्ट रूप से इसका विरोध किया था। उसके बाद उन्होंने हाथ खड़े करवा कर सरकार के प्रति संतोष व्यक्त करवाने की रजामंदी ली जिस में भी कुछ विधायक नाराज रहे!
चार दिन बाद में रंधावा रिपोर्ट बनाकर दिल्ली चले गए लेकिन उस रिपोर्ट पर तो फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन रंधावा पर जरूर इसका असर विपरीत असर पड़ा। हाई कमान ने राजस्थान में एक नहीं बल्कि तीन सह प्रभारी बनाकर रंधावा की शक्तियों को कम जरूर कर दिया। कांग्रेस की सचिव अमृता धवन, काजी मोहम्मद निजामुद्दीन और वीरेंद्र सिंह राठौड़ को राजस्थान में कांग्रेस का सह प्रभारी बनाया गया है। चाहते हुए भी रंधावा सचिन पायलट को कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं करा सके, जबकि सचिन पायलट आज भी अपनी बात पर कायम है। आज उन्होंने जयपुर में
झारखंड महादेव मंदिर में भोलेनाथ की
विशेष पूजा अर्चना की तथा इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि आरपीएससी सदस्य जो गिरफ्तार हुए, उसकी जांच होनी चाहिए, यह आरपीएससी सदस्य कैसे बना,सचिन पायलट ने कहा
'राहुल गांधी ने लोकसभा में मुद्दा उठाया है, भाजपा के शासन में जो भ्रष्टाचार हो रहा है, हम सब भाजपा के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हैं, मैंने कोई गलत नहीं किया। पूर्ववती भाजपा सरकार में कई तरह के माफिया पनपे थे जिनकी जांच को लेकर मैं अनशन पर बैठा था क्योंकि यह मुद्दा लेकर हम पिछले चुनाव में गए थे और चुनाव में कम समय बचा है इसलिए इस पर कार्रवाई होनी चाहिए। उधर अशोक गहलोत के अचानक दिल्ली जाने से और सचिन पायलट के झारखंड महादेव मंदिर में पूजा अर्चना को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कयास ये लगाए जा रहे हैं कि संगठन में बड़ा और सरकार में छोटे पैमाने पर बदलाव हो सकता है! देखने वाली बात होगी क्या कुछ नया सामने निकलकर आता है!
रमेश शर्मा वरिष्ठ पत्रकार की रिपोर्ट