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Rajasthan government: सोनिया ने कराया गोपनीय सर्वे : राजस्थान में क्या होगा सरकार रिपीट, देखिए होश उड़ाने वाली रिपोर्ट
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Rajasthan government: कांग्रेस आलाकमान की ओर से राजस्थान की नब्ज टटोलने के लिए भिजवाई गई टीम का गोपनीय सर्वे लगभग समाप्त हो चुका है । करीब तीन दर्जन व्यक्तियों की इस टीम ने समूचे राजस्थान का जायजा लेने के बाद निचोड़ निकाला है कि वर्तमान में अगर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होते है तो कांग्रेस किसी भी हालत में सरकार बनाने की स्थिति में नही है । कांग्रेस को अधिकतम 64 सीट मिलने का अनुमान है ।
सर्वे के मुताबिक अधिकांश मंत्रियों की अपने क्षेत्र में बहुत ही दयनीय स्थिति है । भरतपुर क्षेत्र से भजनलाल जाटव, विश्वेन्द्र सिंह तथा डॉ सुभाष गर्ग की हालत बेहद खस्ता है । जनता के कार्य कराने में ये तीनो फिसड्डी साबित हुए है । कमोबेश यही हाल अलवर से श्रम मंत्री टीकाराम जूली और उद्योग मंत्री शंकुन्तला रावत का है । दोनो विकास कार्यो में कम और जनता की जेब खाली करने में ज्यादा सक्रिय है । रामगढ़ की विधायक साफिया जुबेर का जीतना तो क्या, जमानत तक बचाना कठिन होगा । इन पर भ्रस्टाचार और जमीन हड़पने जैसे कई गंभीर आरोप है ।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोनिया गांधी की ओर से अपने स्तर पर 25 सितम्बर की घटना के बाद दिल्ली स्थित गुड़गांव की एक निजी सर्वे एजेंसी से राजस्थान की ताजा हालत जानने के लिए विस्तार से पड़ताल कराई गई है । पिछले महीने की 28 तारीख से जारी सर्वे का पूरा काम कल तक पूरा हो जाएगा । दीपावली से पूर्व सर्वे की अंतिम रिपोर्ट आलाकमान को सौंप दी जाएगी । अंतरिम रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है जिसमे साफ तौर पर कहा गया है कि प्रदेश की जनता में सरकार के कामकाज और मंत्री, विधायको और अफसरों की उदासीनता को लेकर भारी आक्रोश है ।
रिपोर्ट के मुताबिक पुख्ता निगरानी के अभाव में अच्छी और जनपयोगी योजनाओं का लाभ जनता को नही मिल पा रहा है । जनता इसलिए आक्रोशित है क्योंकि उसकी सुनने वाला कोई नही है । मंत्रियों का व्यवहार जनता के प्रति बहुत ही उपेक्षित है जिसका खामियाजा पार्टी को चुनावो में निश्चित रूप से उठाना पड़ेगा । साथ ही मंत्री और अफसरों में आपसी तालमेल के अभाव में योजनाओं का केवल कागजो में ही क्रियान्वन हो रहा है । मंत्री और विधायक केवल तबादलों तक सीमित होकर रह गए है । आए दिन तबादला सूची जारी करना सरकार की विवशता बन गई है ।
पता चला है कि सर्वे टीम को चार भागों में बांटा गया है । एक टीम मेवाड़, दूसरी मारवाड़, तीसरी शेखावाटी चौथी जयपुर, करोली, सवाईमाधोपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर और दौसा आदि का सर्वे पूरा कर चुकी है । इस एजेंसी के संचालक बहुत ही प्रोफेशनल और हाई क्वालीफाई है । रुड़की से एमटेक, आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए और अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स किया है । इस बन्दे को सुंदर पिचाई ने 80 करोड़ के पैकेज का ऑफर दिया था जिसे इसने विनम्र शब्दो मे अस्वीकार कर दिया ।
सर्वे टीम में करीब 70-80 लोगों की मदद ली है । इनमे से सर्वे कम्पनी के स्थायी एम्प्लाई के अलावा राजस्थान के 6 पत्रकार, दो रिटायर्ड आईएएस, यूनिवर्सिटी के सात प्रोफेसर तथा करीब दस सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओ की मदद ली गई है । इससे पहले यह एजेंसी एमपी, छतीसगढ़ और गुजरात का भी सर्वे कर चुकी है । नया सर्वे हिमाचल प्रदेश का करना प्रस्तावित है । एजेंसी के मुताबिक छतीसगढ़ और एमपी में राजस्थान से बेहतर हालत है । छतीसगढ़ में भूपेश बघेल और एमपी में कमलनाथ के कार्यो से जनता प्रभावित है । गुजरात की स्थित वर्तमान में कांग्रेस के लिए उत्साहजनक नही कही जा सकती है ।
राजस्थान टीम का नेतृत्व राधा शरण झा कर रहे है । इन्हें भी इस क्षेत्र का बहुत तजुर्बा है । इससे पहले ये केंद्र की एक खुफिया एजेंसी में उच्च पद पर कार्यरत थे । चूंकि इनका जब विदेश में तबादला होगया तो पारिवारिक कारणवश नौकरी छोड़कर इस एजेंसी को जॉइन कर लिया । झा ने बताया कि हमारा उद्देश्य किसी के पक्ष या विपक्ष में रिपोर्ट तैयार करना नही है । हमारा काम राजस्थान की वर्तमान राजनीतिक हालत पर बगैर किसी पूर्वाग्रह के कांग्रेस के संदर्भ में रिपोर्ट तैयार कर कांग्रेस नेतृत्व को सौपनी है । अन्तरिम रिपोर्ट 12 अक्टूबर को सौप दी गई थी । मुकम्मल रिपोर्ट 20 अक्टूबर के आसपास सुपुर्द करदी जाएगी ।
झा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने कई प्रकार की जन उपयोगी योजनाए प्रारम्भ की है । लेकिन जन प्रतिनिधियों और अफसरों की उदासीनता के चलते आमजन को इन योजनाओं का अपेक्षित लाभ नही मिल पा रहा है । राजनीतिक अस्थिरता के चलते प्रशासनिक ढांचा डीरेल हो चुका है । वैसे तो पूरे देश मे भ्रस्टाचार का बोलबाला है । लेकिन राजस्थान में इसकी रफ्तार बहुत तेज है । प्रशासन शहरों के संग अभियान पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ है । जन प्रतिनिधियों की इसमे कोई भागीदारी नही रही । परिणामतः जनता को इसका वास्तविक लाभ नही मिला ।
एक कॉफी हाउस पर झा से तीन चार विस्तार से राजस्थान की राजनीति को लेकर बातचीत हुई । झा ने माना कि सीएम के पास वास्तविक जानकारी नही पहुंच पा रही है । खुफिया तंत्र भी ज्यादा प्रभावी नही है । यही वजह है प्रशासनिक और राजनीतिक धींगामुश्ती से सीएम पूरी तरह अनभिज्ञ है । झा ने स्वीकार किया कि राजस्थान की राजनीतिक टटोलने के अलावा 25 सितम्बर की शर्मनाक घटना की तह में जाना भी हमारा बुनियादी मकसद है । हम वास्तविक जानकारी जुटाने में पूरी तरह कामयाब हुए है । बिना किसी मिलावट के बेबाक रिपोर्ट पेश करना हमारी कम्पनी का मूल उद्देश्य है ।
चूँकि झा और उनके एक दो साथियों से कई बार अनौपचारिक मुलाकात हो चुकी थी । इसलिए बिना हिचक बातों का भी खुलकर आदान-प्रदान होता है । झा का स्पस्ट मानना है कि 25 सितम्बर को मुख्य सचेतक महेश जोशी ने विधायको को बरगला कर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के घर जाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से बाध्य किया । धारीवाल, महेश जोशी और अन्य विधायको ने समानांतर बैठक असयोजित कर न केवल केंद्रीय पर्यवेक्षको का अपमान किया बल्कि आलाकमान को खुले तौर पर धमकी देने का प्रयास किया गया । सीएम अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ की संदेह के दायरे से बाहर नही रखा जा सकता है । निश्चित रूप से इन दोनों के इशारे और संरक्षण में आलाकमान को अपनी ताकत का अहसास कराने की गरज से धारीवाल ने मीटिंग की । सर्वे में सबसे बेहतर और निष्पक्ष भूमिका के लिए रघु शर्मा की तारीफ की गई है ।
झा ने कहा कि हमारी अंतरिम रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि 37 विधायक अशोक गहलोत के समर्थन में है । शेष 70 से ज्यादा विधायको ने साफ शब्दों में कहा है कि जो आलाकमान का फैसला होगा, वह उन्हें मंजूर होगा । हम लोग न गहलोत के साथ है और न पायलट के साथ । हमारी निष्ठा और वफादारी सिर्फ सोनिया गांधी के साथ है । 21 विधायको ने अवश्य यह कहा है कि उनका सचिन पायलट से कोई बैर नही है । लेकिन सीएम बदलने की आवश्यकता क्यो हो रही है, यह समझ से परे है । कांग्रेस के 30-35 विधायकों ने 25 सितम्बर की घटना को बेहद शर्मनाक और पार्टी के लिए आत्मघाती कदम बताया है । इन विधायकों का कहना था कि गहलोत और उनके समर्थकों की नासमझी से कांग्रेस ने चलाकर अपनी राह में कांटे बिछा लिए ।
टीएम की ओर से सभी विधानसभाओं का बारीकी से सर्वे किया गया है । सर्वे के मुताबिक मंत्रियों में जयपुर में लालचंद कटारिया, प्रतापसिंह खाचरियावास, साले मोहम्मद, हेमाराम चौधरी, राजेन्द्र गुढा, ममता भूपेश, ब्रजेंद्र ओला, मुरारी मीणा तथा भंवर सिंह भाटी की स्थिति बेहतर है । धारीवाल, कल्ला, प्रमोद जैन भाया, विश्वेन्द्र सिंह, महेश जोशी, गोविंद राम मेघवाल, सुखराम विश्नोई और रमेश मीणा की हालत बेहद ही खस्ता है । इनमे कई की टिकट कट सकती है तो कई लोग जमानत बचाने के लिए भी संघर्ष करेंगे । 25 सितम्बर की घटना के बाद सीएम गहलोत की भी जोधपुर में प्रतिष्ठा पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है । रिपोर्ट की माने तो उनके पुत्र वैभब का विधानसभा जाना इस दफा आसान नही लगता है ।