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संजय रोकड़े पत्रकार
इस बखत राजस्थान में चुनाव हो जाए तो कांग्रेस की सरकार फिर से सत्ता में आ सकती है। ऐसा हम नही बल्कि केन्द्रीय भाजपा संगठन व आरएसएस के तमाम आंतरिक सर्वे बयां कर रहे है।
यह बात राजस्थान के गांव की चौपालों व शहरी राजनीतिक चर्चाओं में देखी-सुनी जा सकती है। वैसे तो राजस्थान की जनता एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा को सत्ता में बैठने का मौका देती है। सत्तारूढ़ सरकार को दोबारा सत्ता पर बिठाने की आदी नही है, पर अबकि बार स्थिति कुछ अलग नजर आ रही है। इस स्थिति को सत्तारूढ़ कांग्रेस से बेहतर भाजपा व आरएसएस समझ पा रही है।
ये हार का डऱ ही है कि प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी को बीस दिन के अंदर तीसरी बार राजस्थान का कार्यक्रम बनाना पड़ा है। हालाकि वे गुरूवार को राजस्थान के आबूरोड में ब्रह्माकुमारी संस्थान के जल जन अभियान की शुरुआत को लेकर आयोजित कार्यक्रम को डिजिटल तौर पर संबोधित कर रहे थे।
पर वे नये साल में 28 जनवरी से ही राजस्थान में कार्यक्रम कर रहे हैं। गुरुवार के इस कार्यक्रम के 4 दिन पहले ही वे राजस्थान गए थे। रविवार (12 फरवरी) को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का दिल्ली-दौसा-लालसोट खंड का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित किया था। इस मौके पर उनने कहा था कि हम लोग आधारभूत संरचना पर बहुत निवेश कर रहे हैं। इस निवेश का बहुत बड़ा फायदा राजस्थान को ही होने वाला है।
इससे 14 दिन पहले शनिवार (28 जनवरी) को भी पीएम मोदी राजस्थान पहुंचे थे। तब राजस्थान के मालासेरी गांव के मंच से भलाजी भला देवजी भला का उदघोष किया था। वे तब यहां भीलवाड़ा में भगवान देवनारायण की 1111 वीं जयंती समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे। इस दौरान जनता का भावनात्मक शोषण करते हुए कहा था कि मैं यहां पीएम की तरह नहीं बल्कि भक्तिभाव से आम इंसान की तरह एक यात्री के तौर पर आशीर्वाद लेने आया हूं।
सनद रहे कि 2023 के आखिर में राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस शासित इस राज्य में भाजपा को हार सीधे दिख रही है। इस कारण यहां पर मोदी का ही नही बल्कि आरएसएस का भी खासा फोकस है। विदित है कि आने वाले साल याने 2024 में केन्द्र के भी चुनाव है। नरेन्द्र मोदी से बेहतर ये बात कौन जानता है कि अगर सत्ता पर फिर से काबिज होना है तो साल के अंत में होने वाले तीन बड़े राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़) के विधानसभा चुनाव में विजय फताका फहराना होगा, नही तो केन्द्र में काबिज होना अधर में लटक जाएगा।
लगता है इस बात को प्रधानसेवक शायद भलीभांति जान गए है कि अब समय 2014 वाला नही रहा है और तिलिस्म भी टूटते जा रहा है। शायद वे इस सच को करीब से जान गए है इसीलिए वे बार- बार राजस्थान के कार्यक्रम कर रहे है। वे ऐसा करके जताना चाह रहे है कि उनका राज्य पर विशेष ध्यान है। खैर, हार का डऱ क्या न करवाएं।