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राजस्थान में राजनीतिक घमासान का जबरदस्त कम्पीटिशन, फ़िल्म की शूटिंग पूरी, शीघ्र रिलीज होने की संभावना
जिस प्रकार बीजेपी आलाकमान प्रदेश में हो रहे आंतरिक घमासान को चुपचाप देख रहा है, उसी प्रकार कांग्रेस नेतृत्व ने भी राजस्थान की आपस में लड़ाने की सुपारी ले रखी है । आलाकमान की खमोशी और निष्क्रियता की वजह से प्रदेश में जबरदस्त उधम मच रहा है । अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमा एक दूसरे को नीचा दिखाने पर आमादा है । वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए प्रतीत होता है कि दोनों पार्टियों के बीच घमासान की प्रतियोगिता चल रही है ।
प्रदेश के विधायकों की अनुशासनहीनता और मनमानी को देखते हुए लगता है कि कांग्रेस पूरी तरह नेतृत्वविहीन है और उसका कोई धनी धोरी नही है । न कोई प्रभारी है और न ही कोई लड़ाई रोकने वाला आलाकमान । नतीजतन कांग्रेस के विधायक एक दूसरे पर अपमानजनक टिप्पणी कर यह साबित कर रहे है कि वे घमासान मचाने के वे बहुत बड़े एक्सपर्ट है ।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मनमानी के चलते हुए बीजेपी नेतृत्व असहाय और याचक की भूमिका में है । राजे समर्थक विधायक लगातर अनुशासन को अंगूठा दिखाते हुए स्पस्ट रूप से आलाकमान को चुनोती दे रहे है । सौम्या गुर्जर के मामले में आयोजित बैठक में वसुंधरा राजे समर्थक विधायको ने उपस्थित होना भी मुनासिब नही समझा । प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया केंद्र को रिपोर्ट भेजने से ज्यादा हैसियत नही रखते है । यही वजह है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी लड़ाई का अखाड़ा बनी हुई है । बीजेपी नेतृत्व में इतनी हिम्मत नही है कि वह वसुंधरा को पार्टी से निकाल दे या नोटिस दे ।
दरअसल जब से सचिन पायलट ने बगावत की, तब से कांग्रेस पार्टी में अस्थिरता और मनमानी का माहौल व्याप्त है । कलह तो उसी समय मच गई थी जब पायलट ने मुख्यमंत्री बनने के लिए दिल्ली में डेरा डाला । उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया । लेकिन राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते वे बीजेपी के जरिये मुख्यमंत्री बनने के लिए जयपुर से अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर कूच कर गए ।
पायलट की यही सबसे बड़ी मूर्खतापूर्ण और बचकानी हरकत थी । इस बेवकूफी और बेसब्री के चलते हुए उन्हें और उनके समर्थकों को बहुत कुछ गवांना पड़ा । पायलट खेमे की आज हालत यह होगई है कि उन्हें कोई टके सेर कोई पूछता नही है । बयानों को गंभीरता से नही लिया जाता और सारी धमकिया बेअसर साबित हो रही है । दिशाविहीन पायलट और उनके समर्थक पूरी तरह अवसाद में है ।
अपनी मांगों को मनवाने के लिए 11 जून को पायलट दिल्ली गए । छह दिन सड़को की खाक छानने के बाद भी उन्हें बैरंग जयपुर लौटना पड़ा । हाल की दिल्ली यात्रा के दौरान भी पायलट ने आलाकमान से सम्पर्क साधने का प्रयास किया । लेकिन कोई सफलता हासिल नही हुई । लगता है इस बार भी उन्हें बैरंग जयपुर लौटना पड़ेगा । वे पिछले चार दिनों से दिल्ली में है ।
बकौल प्रभारी अजय माकन के - पायलट पार्टी के लिए असेट (सम्पति) है । बिल्कुल है । लेकिन ऐसी असेट है जिसका न तो कोई मूल्य है और न ही कोई खरीददार । अनुपयोगी व महत्वहीन असेट । यदि वाकई पायलट असेट है तो उनकी मांगों पर निर्णय क्यों नही ? माकन ने यह भी कहा था कि पायलट समय मांगे और कोई समय नही दे, ऐसा हो ही नही सकता । फिर दिल्ली में आये दिन आना-जाना क्यो ?
हकीकत यह है कि पायलट की वजह से पार्टी पूरी तरह कलहग्रस्त होकर रह गई है । गहलोत सरकार बचाने में सक्रिय है तो पायलट खेमा सरकार को अस्थिर करने पर आमादा है । इस मारकाट के चलते प्रशासन बेलगाम होकर रह गया है और अफसरशाही मनमानी करने पर उतारू । विकास का पहिया थमकर रह गया है और राजनीतिक वातावरण पूरी तरह प्रदूषित है ।
इस लड़ाई के चलते हुए कई निर्दलीय विधायक अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की जुगत में है । बैठक के बहाने संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर, महादेव सिंह खण्डेला और रामकेश मीणा मंत्रिमंडल में जगह बनाने का जुगाड़ कर चुके है । बाकी निर्दलीय केवल तमाशा देखते रह जाएंगे । बसपा विधायकों में राजेंद्र गुढा ही मलाई खा सकते है । बाकी विधायकों को सब्र करना होगा ।
राजस्थान राजनीति का यह केवल ट्रेलर है । फ़िल्म अभी बाकी है । इसमें कॉमेडी भी है और फाइटिंग भी । फ़िल्म में शायद रोमांश की कमी रहेगी । फाइटिंग में वसुंधरा को आलाकमान और प्रदेश नेतृत्व से लड़ता हुआ दिखाया जा सकता है । कांग्रेस की लगभग पूरी शूटिंग हो चुकी है । लड़ाई के दृश्य में पायलट और गहलोत के बीच घमासान को कई बार फिल्माया गया है । फ़िल्म की शूटिंग, दिल्ली, गुड़गांव, मानेसर, जैसलमेर, गुजरात, कूकस तथा जयपुर के होटल मेरियट में की गई है ।
मुख्य भूमिका में अशोक गहलोत, सचिन पायलट, रणदीप सुरजेवाला, अविनाश पांडे, केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी, अजय माकन, वसुंधरा राजे, अमित शाह, जेपी नड्डा और सतीश पूनिया है । जबकि सह अभिनेता की भूमिका में विश्वेन्द्र सिंह, हेमाराम चौधरी, महादेव सिंह खण्डेला, दीपेंद्र सिंह, वेदप्रकाश सोलंकी, रमेश मीणा, इन्द्रराज गुर्जर, मुरारी मीणा, संयम लोढ़ा, राजेन्द्र गुढा, बाबूलाल नागर, रामकेश मीणा, बलजीत यादव, पीआर मीणा, गुलाबचन्द कटारिया, राजेन्द्र राठौड़आदि है । फ़िल्म की शूटिंग पूरी होने के बावजूद क्लाइमेक्स फिल्माना बाकी है । सम्भवतः क्लाइमेक्स एक-दो माह में फिल्माया जा सकता है । दीपावली के आसपास फ़िल्म रिलीज होने की संभावना जताई जा रही है ।