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राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पन्त की बैटिंग से आम जनता बेहद खुश
जिस तरह पिछले कुछ साल से प्रशासन में जड़ता थी और अफसर बेकाबू थे । अब लगता है नए मुख्य सचिव सुधांश पन्त सबके पेच कस कर रख देंगे । अफसरों में तो इनका खौफ पैदा हो ही रहा है, अधीनस्थ विभागों में भी इनके औचक निरीक्षण से अधिकारी और कर्मचारियों में आतंक माहौल है ।
कुछ अधिकारी केवल ड्यूटी पूरी करते है तो कुछ आक्रमक बेटिंग करने के लिए ही होते है । पन्त अभी मैदान में उतरे है । इनके चौके और छक्के देखना अभी बाकी है । इनकी कार्य शैली को देखकर लगता है कि ये सबके छक्के छुड़ा देंगे । काश ! इनकी तर्ज पर अन्य अफसर भी सक्रिय हो जाए तो प्रदेश की कायापलट होना स्वाभाविक है । लेकिन अधिकांश अफसर अपने चैम्बर में बैठकर ड्यूटी पूरी करने का स्वांग रच रहे है ।
मनमोहन कृष्ण वलि के जमाने से मैं पिछले 45 साल से मुख्य सचिव के कक्ष में आता-जाता रहा हूँ । जो भीड़ सुधांश पन्त के कार्यालय के बाहर इन दिनों दिखाई दे रही है, ऐसी भीड़ इससे पहले किसी और मुख्य सचिव के यहां देखने को नही मिली । यह सही है कि वीबीएल माथुर और आनंद मोहन लाल का जबरदस्त रुतबा था । लेकिन जनता की समस्याओं के निराकरण में मीठा लाल मेहता, टीवी रमनन, निहाल चन्द गोयल और डीबी गुप्ता काफी संवेदनशील रहे ।
यू सीके मैथ्यू बहुत ईमानदार और सहज स्वभाव वाले मुख्य सचिब रहे है राजीव महर्षि और सलाउद्दीन अहमद रुतबे के लिहाज से ठीक मुख्य सचिव रहे । लेकिन लोगो की समस्या निराकरण में इनकी कोई उल्लेखनीय भूमिका नही रही । लेकिन आज ? स्थिति पूरी तरह से बदल गई है । अपनी समस्याओं के निराकरण की गरज से लोगो का हजूम उमड़ता ही जा रहा है । पिछले 45 साल में पहली दफा जनता का सैलाब देखने को मिल रहा है ।
जनता में यह आम धारणा थी कि मुख्य सचिव के पास जाने के बाद भी समस्या का कोई निराकरण होने वाला नही है । वही परम्परागत तरीके से मार्किंग । नतीजा शून्य । मुझे कल मुख्य सचिव के कमरे में 15-20 मिनट बैठने और उनकी कार्यशैली को बारीकी से देखने का अवसर मिला । भीड़ का जत्था, अलग अलग समस्या । बावजूद इसके न तो चेहरे पर कोई थकान थी और न ही झुंझलाहट । बड़े इत्मीनान से लोगो की समस्या को सुनकर उनका यथोचित निर्णय भी किया जा रहा था ।
यही नही, आवश्यकता पड़ने पर सम्बन्धित अफसर को फोन करने से भी नही चूक रहे थे । सीएस वाला कोई रुतबा नही । केवल विनम्र आग्रह । मैंने देखा कल उन्होंने एक अधीनस्थ अधिकारी को फोन करते हुए उसका हालचाल पूछते हुए कहा - अरे भाई क्या हाल है ? फलां का मामला आपके पास है । आपकी कृपादृष्टि हो जाएगी तो उसका उद्धार हो जाएगा । अपुन को पॉजिटिव एटीट्यूड रखना चाहिए, न कि नेगेटिव ।
पन्त की रफ्तार बुलेट ट्रेन से भी तेज गति से चल रही है । मिलने के वक्त अफसरों की मीटिंग बहुत खलती है । कल सैकड़ो लोग बाहर उमड़ रहे थे और अंदर आरती डोगरा के साथ लम्बी मीटिंग के चलते दूर दराज से आए लोगो को काफी परेशानी से रूबरू होना पड़ रहा था । पन्त को चाहिए कि मिलने के वक्त न तो कोई मीटिंग रखी जाए और
अफसरों से भी डिसकस करने से परहेज रखना मुनासिब होगा । फिलहाल सीएस के कमरे के बाहर कम लोग खड़े हो सकते है । बैठने की तो कोई व्यवस्था ही नही है । सीएस और सीएम को पूर्व राज्यपाल मदनलाल खुराना की तर्ज पर जनता दरबार लगाने की परंपरा प्रारम्भ करनी चाहिए । इससे निश्चय ही प्रशासन निखरेगा भी और दौड़ेगा भी ।