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Rajasthan Big News: इस बार पर्यवेक्षक आएंगे आर-पार के मूड में, ऑपरेशन "कुर्सी की अदला-बदली" 26 के बाद
Rajasthan , Rajasthan Big News: कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खड़गे द्वारा पद ग्रहण के साथ ही राजस्थान में "ऑपरेशन कुर्सी की अदला-बदली" को अंजाम दिया जाएगा । संभवत इसकी शुरुआत 27 अक्टूबर के बाद किसी भी दिन हो सकती है । ऑपरेशन से पहले खड़गे और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात होने की संभावना है । इस मुलाकात में ऑपरेशन की रणनीति तथा 25 सितम्बर को बगावत करने वाले तीनो नेताओ शांति धारीवाल, महेश जोशी तथा धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई पर भी विचार होने की संभावना है ।
पुख्ता सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने राजस्थान में पुनः पर्यवेक्षक भेजने को हरी झंडी दे दी है । पर्यवेक्षक कौन होंगे और कब आएंगे, यह अभी तय नही हुआ है । दिल्ली से आने वाले पर्यवेक्षक उसी कार्य को पूरा करेंगे जो 25 सितम्बर को अधूरा रह गया था । पहले पर्यवेक्षको को दुम दबाकर भागना पड़ा था । इस दफा पर्यवेक्षको के तेवर तीखे और आक्रमक रहने की सम्भवना है । विधायक दल की बैठक में परम्परानुसार दो लाइन का प्रस्ताव पारित कराया जाएगा । अलबत्ता तो कोई भी विधायक इसका विरोध करने की हिम्मत नही दिखाएगा । यदि किसी ने ऐसा दुस्साहस दिखाया तो उसकी पार्टी से तत्काल छुट्टी होना तय है ।
अभी यह तय नही कि सीएलपी की बैठक में पारित दो लाइन के प्रस्ताव के बाद आखिर होगा क्या, तस्वीर स्पस्ट नही है । लेकिन यह तय है कि वह निर्णय कम से कम गहलोत के लिए मुफीद नही होगा । बदली हुई परिस्थियों में गहलोत को खड़गे के साथ अटैच करने की भी सम्भवना व्यक्त की जा रही है । अहमद पटेल के निधन के बाद एक चतुर राजनेता की दिल्ली में आवश्यकता है । गहलोत इस कार्य को बखूबी अंजाम दे सकते है । गहलोत के दिल्ली जाने से राजस्थान में शांति हो जाएगी । इसके अलावा गुजरात के साथ साथ हिमाचल प्रदेश की भी जिम्मेदारी सौपने की चर्चा है ।
माना कि आज जबकि गहलोत मुख्यमंत्री पद पर आसीन है, तब उनके साथ 75 के करीब विधायक है । जिस दिन सचिन पायलट के नाम की घोषणा मुख्यमंत्री के रुप में होती है तो उनके साथ भी उतने ही विधायक आ जाएंगे, जितने आज गहलोत के साथ है । जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे भागते है । गहलोत खास समर्थक बाबूलाल नागर, टीकाराम जूली, साले मोहम्मद सरीखे विधायक भी पाला बदलने में मिनट भर की देरी नही लगाएंगे । जब गहलोत किसी की पीठ में छुरा भोप सकते है तो वे दूसरों से वफादारी की अपेक्षा कैसे रख सकते है ?
यद्यपि मल्लिकार्जुन खड़गे ने भले ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद ग्रहण नही किया है । लेकिन उन्होंने आगामी योजनाओं को लागू करने के लिए होमवर्क प्रारम्भ कर दिया है । संगठन को मजबूत करने के अलावा राजस्थान के राजनीतिक संकट करना तथा अपनी इज्जत का फलूदा करने वालो को "ठिकाने" लगाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी । राजनीति के सबसे बुजुर्ग नेता खड़गे अपनी ऐतिहासिक "फजीहत" को न तो भूले है और भूल पाएंगे । पचास साल की राजनीति में खड़गे का जो गहलोत के निर्देशन में अपमान हुआ है, उसका वे चुन चुन कर निश्चय ही बदला लेकर तीनो को घर बैठा सकते है ।
भले ही अशोक गहलोत की ओर से तीनो बगवतियो शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ की जोरदार पैरवी की जा रही है, लेकिन राजनीति का यह बब्बर शेर अपने अपमान का सूद सहित बदला लेने से कतई नही चूकेंगे । खड़गे के एक निकटवर्ती व्यक्ति का कहना है कि अगर शेर कुछ दिन के लिए बीमार हो जाए तो यह नही समझना चाहिए कि जंगल मे कुत्ते राज करेंगे । खड़गे इसी 26 तारीख को अपना पद ग्रहण करने के बाद निश्चय ही अपना जलवा दिखाएंगे । जी-23 को समाप्त करने के साथ वे एक ऐसा संदेश देना चाहेंगे, जिससे फिर कभी कोई बगावत के बारे में सपने में भी नही सोच सके । यह तभी सम्भव है जब तीनो को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है ।
हालांकि ए के अंटोनी अध्यक्षता वाली अनुशासन समिति का आगे क्या स्वरूप रहेगा, कुछ कहा नही जा सकता है । बावजूद इसके समिति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की गरज से पुख्ता प्रमाण एकत्रित किये जा चुके है । इसके अतिरिक्त 25 सितम्बर की घटना से सम्बंधित पत्र और दस्तावेजो को भी संकलित किया जा रहा है ताकि तीनो के खिलाफ कार्रवाई में इनको सबूत के तौर पर उपयोग में लिया जा सके ।
सूत्रों का कहना है कि 25 सितम्बर को जयपुर से लौटने के बाद अपने अपमान को लेकर सोनिया के समक्ष खड़गे फूट फूट कर खूब रोये । बताया जाता है कि उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने तक का निर्णय ले लिया था । जब सोनिया ने उन्हें भरोसा दिलाया कि समय का इंतजार करो । जिन लोगों ने नियोजित तरीके से आपका अपमान किया है, समय आने पर निश्चय ही हिसाब किताब बराबर किया जाएगा । आज वह अवसर आ चुका है जब खड़गे तीनो को उनकी औकात बताने की स्थिति में है । धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ के अलावा सीएम के पुत्र वैभब गहलोत का भी राजनीतिक कैरियर चौपट होने की संभावना है । धर्मेंद्र राठौड़ का वह बयान भी खड़गे को प्राप्त हो चुका है जिसमे राठौड़ ने खड़गे को काला हाथी कहा था ।
आज सचिन पायलट से लंबी मुलाकात हुई । जहां अशोक गहलोत रोजाना झल्लाते दिखाई देते है, वही पायलट पूरी तरह आश्वस्त है । उनके निवास पर पैर रखने तक कि जगह नही थी । लोगो का भरपूर जमावड़ा था । जब पायलट से पूछा गया कि अब आगे क्या होगा ? उनका जवाब था कि खड़गे जैसे बुजुर्ग नेता के तजुर्बे का लाभ पार्टी को मिलेगा । थोड़े दिनों बाद पार्टी में एक नई ऊर्जा का संचार दिखाई देगा । वे पार्टी के अनुशासित और वफादार सिपाही है । वे किसी भी हालत में अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नही करेंगे । 25 सितम्बर को योजनाबद्ध तरीके से घोर अपमान किया गया, उसकी निंदा के लिए पर्याप्त शब्द नही है ।
आपकी भूमिका क्या होगी, पूछने पर पायलट ने कहा कि मैं दिखावे के लिए ही नही, कर्म से भी समर्पित सिपाही हूँ । पार्टी नेतृत्व जो भी निर्देश देगा, उसे पूरी ईमानदार और लगन के साथ पूरा करने का प्रयास करूंगा । मानेसर जाकर फिर बगावत क्यो की ? मेरे यह पूछने पर पायलट ने जवाब दिया कि क्या मैंने पार्टी से बगावत की थी ? नही, मैंने तानाशाह सिस्टम को जागृत करने का काम किया था । मानेसर सबको याद है । लेकिन वहां जाने के लिए बाध्य किसने किया, इस पर भी विचार किया जाना चाहिए । देशद्रोह तक के मुकदमे दर्ज किए गए ।
मेरा मूल सवाल अब भी वही है कि क्या आप सीएम बनने जा रहे है ? जवाब देते हुए पायलट ने कहाकि यह बहुत ही काल्पनिक सवाल है । मेरा एक ही मकसद है कि राजस्थान में पुनः सरकार रिपीट हो । इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे । देश की जनता मोदी राज से त्रस्त है । महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी तथा अराजकता ने आम व्यक्ति का जीना हराम होगया है । हमको मजबूती से इन मुद्दों से लड़ना होगा । तभी सरकार रिपीट होगी । मैं आपकी सभी बातों से सहमत हूँ । असल सवाल यही है कि राजस्थान में क्या बदलाव होने वाला है और कब तक । हंसते हुए पायलट के कहाकि वे ज्योतिषी नही है ।