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पायलट की स्थित सर्कर्स के शेर जैसी हो गई है, गुढा के मुद्दे पर पायलट खामोश क्यो ?
जयपुर:राजेन्द्र गुढा की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी उन लोगो के मुंह पर जबरदस्त तमाचा है जो पार्टी को आंखे दिखाने की हिमाकत कर रहे थे । इस बर्खास्तगी का सबसे बड़ा असर सचिन पायलट पर पड़ने वाला है । पिछले काफी दिनों से राजेन्द्र गुढा पार्टी के खिलाफ सरेआम बयान देकर यह जाहिर कर रहे थे कि उनके खिलाफ कार्रवाई करने की किसी हिम्मत नही है । लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनकी सारी हेकड़ी निकाल दी है ।
गुढा को उम्मीद नही थी कि उनके बयान की इतनी जबरदस्त प्रतिक्रिया होगी । वे यह मानकर चल रहे थे कि किसी मे इतनी हिम्मत नही है जो उनका कुछ बिगाड़ सके । वे यह भी कह चुके थे कि कांग्रेस की स्थिति बहुत ही बदतर है और आगामी चुनाव में इतने ही विधायक चुनकर आएंगे जितने फॉर्च्यूनर में बैठ सके । यानी दस-ग्यारह विधायक । मुख्यमंत्री ने उन्हें अविलम्ब मंत्री पद से बर्खास्त कर न केवल गुढा की गलतफहमी दूर करदी बल्कि पायलट के लिए भी यह एक सबक है ।
मुख्यमंत्री गुढा को बर्खास्त नही करते तो असन्तुष्ट लोगो का हौसला और बढ़ जाता । इस कार्रवाई के बाद सबके मुंह पर ताला लग गया है । यद्यपि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच समझौता अवश्य होगया है । लेकिन इस समझौते के बाद पायलट के हाथ लगा क्या ? बाबाजी का ठुल्लू । चर्चा थी कि उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा । लेकिन उनको चौथे स्थान पर बैठाकर उनकी ऐतिहासिक किरकिरी करदी ।
आज पायलट की हालत सबसे ज्यादा बदतर है । न उनसे उगलते बनता है और न ही निगलते । दहाड़ मारने वाले शेर की हैसियत सर्कर्स जैसी होगई है । राजनीति के जादूगर के जाल में ऐसे फंस गए है कि अब तो उनकी बोलती तक बंद होगई है । कल तक धमकी देकर अपनी बात मनवाने वाले पायलट को गहलोत के इशारे पर नाचना उनकी विवशता बन गई है । इनसे ज्यादा खस्ता हालत इनके समर्थको की है । डर सताने लगा है कि चुनाव में टिकट भी मिलेगी या नही ।
यह सर्वविदित है कि सचिन पायलट के दम पर ही गुढा उछल-कूद मचा रहे थे । सचिन का यह दायित्व बनता है कि गुढा की बर्खास्तगी पर उन्हें अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी । लेकिन बजाय प्रतिक्रिया देने के वे खामोश है । गुढा की बर्खास्तगी के बाद यह साफ होगया है कि आज की तारीख में पायलट की हैसियत फ्यूज बल्ब से ज्यादा नही है । अगर उन्होंने अपना मुंह खोला तो हो सकता है कि उनकी भी पार्टी से छुट्टी हो जाए । क्योंकि दिल्ली के आलाकमान को गहलोत ने पूरी तरह वशीकृत कर रखा है ।
गुढा सोचते है कि सोमवार को वे विधानसभा में कोई जबर्दस्त हंगामा खड़ा कर देंगे । यह उनकी सबसे बड़ी भूल है । उनके समर्थन में कांग्रेस का एक भी विधायक बोलने वाला नही है । बल्कि उनकी निंदा ज्यादा होगी । यहां तक कि पायलट कुछ बोलेंगे, इसकी भी दूर दूर तक संभावना नही है । हाँ, बीजेपी वाले अवश्य मजा लेंगे । यह भी चर्चा है कि क्षेत्रीय जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए गुढा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते है ।