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नियुक्तियो को लेकर मचेगा जोर का घमासान, अफसर, राजनेता और पत्रकार कतार में
महेश झालानी
लाभ के पदों पर नियुक्ति को लेकर अगले माह सेवानिवृत अफसरों में जमकर घमासान मचने की पूरी उम्मीद है । इसके अलावा कई राजनेता भी कुर्सी हथियाने के लिए तेजी से सक्रिय होकर कतार में खड़े है ।
इस माह पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता तथा एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी सेवानिवृत होने वाले है । ये दोनों काबिल अफसर है तथा मुख्यमंत्री की गुडबुक में है । गुप्ता को मुख्य सचिव पद से हटाना गहलोत की मजबूरी थी । चूंकि उस वक्त इन्हें मुख्यमंत्री ने फौरी तौर पर इन्हें अपना सलाहकार बना लिया । मुख्यमंत्री ने इनसे वादा किया था कि शीघ्र ही मुख्य सूचना आयुक्त आयुक्त के पद पर नियुक्त कर दिया जाएगा ।
गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त पद पर नियुक्त करने के लिए फाइल भी दौड़ने लगी । अंततः इन्हें मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाया गया । मुख्यमन्त्री के पहले से ही गोविंद शर्मा तथा अरविंद मायाराम सलाहकार पद पर कार्य कर रहे है । ऐसे में डीबी गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त अथवा आरपीएससी का चेयरमैन नियुक्क्त करने की संभावना है ।
मुख्य सूचना आयुक्क्त का पद पहले से ही खाली पड़ा है । जबकि आरपीएससी के चेयरमैन का पद अगले माह खाली होने वाला है । फिलहाल इस पद पर दीपक उप्रेती कार्यरत है जो अगले माह सेवानिवृत होने जा रहे है । मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा एक आयुक्क्त का पद भी रिक्त पड़ा है । नवम्बर में कार्यवाहक मुख्य सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा के सेवानिवृत्त होने पर एक और पद रिक्त होने वाला है ।
सूचना आयोग में नियुक्ति के लिए कई अफसर और राजनेता कतार में खड़े है । सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार अब इस आयोग में नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करना आवश्यक है । राज्य सरकार दो बार विज्ञापन तो जारी कर चुकी है । लेकिन भर्ती की प्रक्रिया पूरी नही की गई है । पहले के विज्ञापन की अनुपालना में रिटायर मुख्य सचिव अशोक जैन तथा पुलिस महानिदेशक रहे कपिल गर्ग सहित कई दिग्गजों ने मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए आवेदन कर रखा है ।
इस बार विज्ञापन जारी होने पर अफसरों के अलावा राजनीति से जुड़े नेता और पत्रकार भी मुख्य अथवा सूचना आयुक्क्त की कुर्सी पाने के लिए टूट पड़ेंगे । सूचना आयुक्त के लिए प्रशासनिक अधिकारी, लोक सेवक, विधिवेत्ता, समाजसेवी, पत्रकार आदि आवेदन कर सकते है । तीन-चार पत्रकार भी सूचना आयोग में पद हथियाने के लिए अपनी गोटिया फिट करने में लगे हुए है ।
क्योकि यहां पहले से ही आशुतोष शर्मा कार्यरत है जो पहले राजस्थान पत्रिका में कार्यरत थे । गहलोत के निकट के पत्रकारों का तर्क है कि जब आशुतोष की नियुक्ति हो सकती है तो उनकी क्यो नही ।
सूचना आयुक्त के लिए अधिकतम आयु 62 वर्ष निर्धारित है । सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका को निस्तारित करते हुए निर्देश दिए है कि सूचना आयोग के सभी पद सेवानिवृत अफसरों से नही भरे जाए । ऐसे में वकीलों, राजनेता, समाजसेवी तथा पत्रकारों के लिए नियुक्ति के लिए और ज्यादा दरवाजे खुल गए है ।
वैसे तो ज्यादा संभावना यही है कि डीबी गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त पद पर नियुक्क्त किया जाए । क्योकि वे भी संवैधानिक पद पर नियुक्ति के इच्छुक है । अगर गुप्ता की इस पद पर नियुक्ति नही होती है तो संभावना है कि इन्हें आरपीएससी का चेयरमैन बनाया जाए । ऐसे में एसीबी से रिटायर होने वाले डीजी आलोक त्रिपाठी को सूचना आयोग में नियुक्क्त किया जा सकता है ।
जहाँ तक एसीबी में आलोक त्रिपाठी की सेवानिवृति से रिक्त हुई डीजी की पोस्ट को भरने का सवाल है, संभावना यही जताई जा रही है कि एमएन दिनेश को कार्यवाहक डीजी का पद सौपा जा सकता है । अगर ऐसा नही हुआ तो बीएल सोनी को भी इस पद पर नियुक्क्त करने की संभावना है । जेल में किसी को कार्यवाहक डीजी की जिम्मेदारी दी जा सकती है ।
उधर राजस्थान अधीनस्थ सेवा आयोग में सदस्य पदों की नियुक्ति के लिए कई लोग पंगत में खड़े है । अध्यक्ष पद पर बीएल जाटावत काबिज है । जबकि सदस्यों के चार पद रिक्त पड़े है । यह आयोग अपने लोगो को उपकृत करने के लिए बनाया गया है । इसकी कोई उपयोगिता नही है । इसे तत्काल भंग कर आरपीएससी में मर्ज कर देना चाहिए । दोनो आयोग का एक ही काम है । सफेद हाथी के अलावा यह कुछ नही है ।