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अजय माकन ने राजस्थान के प्रभारी महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है । मैंने करीब डेढ़ माह पहले 30 नवम्बर को स्पस्ट तौर पर लिख दिया था कि या तो अजय माकन को प्रभारी पद से हटाया जाएगा अथवा वे खुद इस्तीफा दे देंगे । आज मेरी खबर पर मोहर लग गई है । अजय माकन के इस्तीफे से कांग्रेस आलाकमान पर निश्चित रूप से दबाव पड़ेगा ।
माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे बतौर पर्यवेक्षक 25 नवम्बर को जयपुर आए थे । लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने षधयन्त्रपूर्वक दोनों परतवेक्षको की इज्जत की शवयात्रा निकाल दी । इस पर गहलोत को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी । खैर ! गहलोत पर इस माफी का कोई असर इसलिए नही हुआ क्योकि बेइज्जती उसकी होती है जिसकी कोई इज्जत हो । माफी मांगने के बाद गहलोत की मनमानी और बढ़ गई । बहरहाल डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी अनुशासनहीनता करने वाले शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ पर कोई कार्रवाई नही होने से माकन बेहद आक्रोशित थे ।
माकन और खड़गे की रिपोर्ट के आधार पर ही तीनो को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था । इतने दिन बाद भी कोई कार्रवाई नही होंने से माकन अपने को अपमानित महसूस कर रहे थे । लगता है माकन के इस्तीफे के बाद तीनों के खिलाफ कोई कार्रवाई होने के साथ साथ राजस्थान में किसी नए तमाशे की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है । तीनो ही गहलोत की नाक के बाल है । यदि इनमे से किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है तो गहलोत चुप बैठने वाले नही है । वैसे भी आलाकमान गहलोत की जेब मे है ।